ETV Bharat / state

High court news: एनजीटी जा सकता है गंगा प्रदूषण का मामला

वर्ष 2006 से गंगा में प्रदूषण नियंत्रण करने के कार्य की निगरानी कर रही गंगा प्रदूषण याचिका राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) स्थानांतरित हो सकती है. चलिए जानते हैं इस बारे में.

Etv bharat
High court news: एनजीटी जा सकता है गंगा प्रदूषण का मामला
author img

By

Published : Feb 22, 2023, 9:43 PM IST

प्रयागराज: वर्ष 2006 से गंगा में प्रदूषण नियंत्रण करने के कार्य की निगरानी कर रही गंगा प्रदूषण याचिका राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) स्थानांतरित हो सकती है. बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुनवाई कर रही तीन जजों की पीठ ने महाधिवक्ता से कहा कि वह इस संबंध में एक प्रार्थना पत्र पीठ के समक्ष दाखिल कर याचिका स्थानांतरित करने की मांग करें, जिस पर कोर्ट सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय करेगी. इससे पूर्व महाधिवक्ता अजय मिश्र ने पीठ के समक्ष सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि देश के सभी राज्यों में गंगा प्रदूषण को लेकर चल रहे सभी मामलों को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को स्थानांतरित कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब इस कोर्ट को याचिका पर सुनवाई का अधिकार नहीं है.

महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पहले से ही गंगा प्रदूषण के मामले की सुनवाई कर रहा है. गंगा से संबंधित सभी राज्य ट्रिब्यूनल में अपना पक्ष रखते हैं. उन्होंने कहा कि नमामि गंगे परियोजना भी केंद्र सरकार की है और हमारे पास विशेषज्ञों की काफी कमी है जबकि ट्रिब्यूनल के पास अच्छे विशेषज्ञ हैं इसलिए यह बेहतर रहेगा कि गंगा में प्रदूषण के प्रकरण की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा ही की जाए. हालांकि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता और एमिकस क्यूरी अरुण गुप्ता ने इसका विरोध किया मगर कोर्ट का कहना था कि अगर उन्हें इस मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है तो वह इस पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं. कोर्ट ने इस मामले में 27 मार्च की तिथि नियत करते हुए महाधिवक्ता से कहा है कि वह कोर्ट में नियमानुसार स्थानांतरण अर्जी दाखिल करें तथा इस मामले से संबंधित सभी पक्षों को भी उसकी प्रति दें ताकि सभी पक्ष अपनी बात अदालत के सामने रख सकें सभी को सुनने के बाद ही अदालत इस मामले पर कोई निर्णय करेगी.

हाई कोर्ट द्वारा याचिका स्थानांतरित करने के लिए अर्जी मांगने पर इस मामले से जुड़े तमाम अधिवक्ताओं का यह कहना था कि हाईकोर्ट ने जो अब तक निर्देश जारी किए हैं उन आदेशों का क्या होगा इस पर अदालत ने महाधिवक्ता से कहा कि गंगा सबकी हैं इसलिए प्रदूषण नियंत्रण के लिए हाईकोर्ट ने जो भी आदेश जारी किए हैं उन सभी का पालन होना चाहिए.

17 वर्षों से हाईकोर्ट कर रहा था निगरानी
गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने की मांग को लेकर सबसे पहले वर्ष 2006 में स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने इस याचिका के माध्यम से गंगा को प्रदूषण मुक्त किए जाने संबंधी कार्यों की मॉनिटरिंग शुरू कर दी. कोर्ट ने समय-समय पर तमाम महत्वपूर्ण आदेश दिए ताकि गंगा में गिरने वाले प्रदूषण को रोका जा सके और उसके जल को निर्मल बनाया जा सके. बाद में कोर्ट ने इस मामले को स्वता प्रेरित याचिका के तौर पर स्वीकार कर लिया और प्रकरण की सुनवाई जारी रखा. हाईकोर्ट ने गंगा प्रदूषण याचिका की सुनवाई के दौरान ही गंगा किनारे बसे शहरों में एसटीपी लगाए जाने, प्रयागराज में गंगा के उच्चतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर तक किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाने, माघ मेले में पॉलिथीन पर पूरी तरीके से बैन लगाने तथा शहर में नाले नालियों पर से अतिक्रमण हटाए जाने सहित तमाम महत्वपूर्ण आदेश दिए जिनका काफी असर भी दिखाई दिया. गंगा प्रदूषण याचिका के साथ ही साथ कोर्ट ने वाराणसी में गंगा तटों पर बने निर्माणों को लेकर भी याचिकाओं की सुनवाई की और निर्देश जारी किए। जरूरत पड़ने पर कोर्ट ने प्रदेश के आला अधिकारियों को तलब करके भी निर्देश जारी किए ताकि गंगा के जल को निर्मल बनाने के लिए किए जा रहे प्रयास सफल हो सके.

ये भी पढ़ेंः Allahabad High Court : कोर्ट ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने की याचिका खारिज की

प्रयागराज: वर्ष 2006 से गंगा में प्रदूषण नियंत्रण करने के कार्य की निगरानी कर रही गंगा प्रदूषण याचिका राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) स्थानांतरित हो सकती है. बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुनवाई कर रही तीन जजों की पीठ ने महाधिवक्ता से कहा कि वह इस संबंध में एक प्रार्थना पत्र पीठ के समक्ष दाखिल कर याचिका स्थानांतरित करने की मांग करें, जिस पर कोर्ट सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय करेगी. इससे पूर्व महाधिवक्ता अजय मिश्र ने पीठ के समक्ष सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि देश के सभी राज्यों में गंगा प्रदूषण को लेकर चल रहे सभी मामलों को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को स्थानांतरित कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब इस कोर्ट को याचिका पर सुनवाई का अधिकार नहीं है.

महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पहले से ही गंगा प्रदूषण के मामले की सुनवाई कर रहा है. गंगा से संबंधित सभी राज्य ट्रिब्यूनल में अपना पक्ष रखते हैं. उन्होंने कहा कि नमामि गंगे परियोजना भी केंद्र सरकार की है और हमारे पास विशेषज्ञों की काफी कमी है जबकि ट्रिब्यूनल के पास अच्छे विशेषज्ञ हैं इसलिए यह बेहतर रहेगा कि गंगा में प्रदूषण के प्रकरण की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा ही की जाए. हालांकि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता और एमिकस क्यूरी अरुण गुप्ता ने इसका विरोध किया मगर कोर्ट का कहना था कि अगर उन्हें इस मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है तो वह इस पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं. कोर्ट ने इस मामले में 27 मार्च की तिथि नियत करते हुए महाधिवक्ता से कहा है कि वह कोर्ट में नियमानुसार स्थानांतरण अर्जी दाखिल करें तथा इस मामले से संबंधित सभी पक्षों को भी उसकी प्रति दें ताकि सभी पक्ष अपनी बात अदालत के सामने रख सकें सभी को सुनने के बाद ही अदालत इस मामले पर कोई निर्णय करेगी.

हाई कोर्ट द्वारा याचिका स्थानांतरित करने के लिए अर्जी मांगने पर इस मामले से जुड़े तमाम अधिवक्ताओं का यह कहना था कि हाईकोर्ट ने जो अब तक निर्देश जारी किए हैं उन आदेशों का क्या होगा इस पर अदालत ने महाधिवक्ता से कहा कि गंगा सबकी हैं इसलिए प्रदूषण नियंत्रण के लिए हाईकोर्ट ने जो भी आदेश जारी किए हैं उन सभी का पालन होना चाहिए.

17 वर्षों से हाईकोर्ट कर रहा था निगरानी
गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने की मांग को लेकर सबसे पहले वर्ष 2006 में स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने इस याचिका के माध्यम से गंगा को प्रदूषण मुक्त किए जाने संबंधी कार्यों की मॉनिटरिंग शुरू कर दी. कोर्ट ने समय-समय पर तमाम महत्वपूर्ण आदेश दिए ताकि गंगा में गिरने वाले प्रदूषण को रोका जा सके और उसके जल को निर्मल बनाया जा सके. बाद में कोर्ट ने इस मामले को स्वता प्रेरित याचिका के तौर पर स्वीकार कर लिया और प्रकरण की सुनवाई जारी रखा. हाईकोर्ट ने गंगा प्रदूषण याचिका की सुनवाई के दौरान ही गंगा किनारे बसे शहरों में एसटीपी लगाए जाने, प्रयागराज में गंगा के उच्चतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर तक किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाने, माघ मेले में पॉलिथीन पर पूरी तरीके से बैन लगाने तथा शहर में नाले नालियों पर से अतिक्रमण हटाए जाने सहित तमाम महत्वपूर्ण आदेश दिए जिनका काफी असर भी दिखाई दिया. गंगा प्रदूषण याचिका के साथ ही साथ कोर्ट ने वाराणसी में गंगा तटों पर बने निर्माणों को लेकर भी याचिकाओं की सुनवाई की और निर्देश जारी किए। जरूरत पड़ने पर कोर्ट ने प्रदेश के आला अधिकारियों को तलब करके भी निर्देश जारी किए ताकि गंगा के जल को निर्मल बनाने के लिए किए जा रहे प्रयास सफल हो सके.

ये भी पढ़ेंः Allahabad High Court : कोर्ट ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने की याचिका खारिज की

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.