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Allahabad High Court: कोर्ट ने संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के पीएचडी कोर्स के साक्षात्कार पर लगी रोक

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Published : Feb 6, 2023, 9:56 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में पीएचडी कोर्स के साक्षात्कार पर रोक लगा दी है. इसके अलावा कोर्ट ने विभागाध्यक्ष पर लगे भाई भतीजावाद के आरोपों पर जवाब तलब भी किया है.

रोक लगा
रोक लगा

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में पीएचडी कोर्स 2021-22 के साक्षात्कार पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने विश्वविद्यालय के निदेशक रिसर्च व विभागाध्यक्ष हरिप्रसाद अधिकारी पर लगे भाई भतीजावाद के गंभीर आरोपों पर जवाब तलब किया है. प्रांजल पांडेय व 13 अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल सुनवाई कर रहे हैं.

कोर्ट ने याची को निर्देश दिया है कि, हरिप्रसाद अधिकारी को याचिका में पक्षकार बनाया जाए तथा उनको नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है. याची का कहना है कि, संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में पीएचडी कोर्स के लिए आयोजित परीक्षा में निदेशक हरिप्रसाद अधिकारी के पुत्र व पुत्री ने सर्वाधिक 170 और 168 अंक अर्जित किए तथा परीक्षा में टॉप पर रहे. जबकि अन्य किसी छात्र को 160 अंक से अधिक नहीं मिला. यह भी बताया गया कि हरिप्रसाद अधिकारी 13 अप्रैल 2022 को आयोजित परीक्षा में इनविजीलेटर भी नियुक्त किए गए थे. संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि, हरिप्रसाद अधिकारी के दोनों पुत्र व पुत्री बहुत ही मेधावी छात्र है. मात्र उनका पुत्र व पुत्री होने से वह इस इस परीक्षा के लिए अयोग्य नहीं हो जाते हैं. याची ने उन दोनों के पूर्व के शैक्षणिक रिकॉर्ड नहीं लगाए हैं. जबकि उनके पुराने शैक्षणिक रिकॉर्ड से भी जाहिर है कि, दोनों बेहद मेधावी छात्र है.

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि, हरि हरिप्रसाद अधिकारी पर लगे आरोप बेहद गंभीर है. इसलिए उनको याचिका में पक्षकार बनाया जाए. विश्वविद्यालय और हरिप्रसाद अधिकारीअपना जवाब दाखिल करें. इस बीच 10 अगस्त 2022 को जारी परीक्षा परिणाम के परिपेक्ष में कोई साक्षात्कार आयोजित नहीं किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- Road Accident In Hapur: अस्थि विसर्जन कर लौट रहे परिवार की कार डिवाइडर पर चढ़ी, 2 लोगों की मौत और 3 घायल

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में पीएचडी कोर्स 2021-22 के साक्षात्कार पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने विश्वविद्यालय के निदेशक रिसर्च व विभागाध्यक्ष हरिप्रसाद अधिकारी पर लगे भाई भतीजावाद के गंभीर आरोपों पर जवाब तलब किया है. प्रांजल पांडेय व 13 अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल सुनवाई कर रहे हैं.

कोर्ट ने याची को निर्देश दिया है कि, हरिप्रसाद अधिकारी को याचिका में पक्षकार बनाया जाए तथा उनको नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है. याची का कहना है कि, संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में पीएचडी कोर्स के लिए आयोजित परीक्षा में निदेशक हरिप्रसाद अधिकारी के पुत्र व पुत्री ने सर्वाधिक 170 और 168 अंक अर्जित किए तथा परीक्षा में टॉप पर रहे. जबकि अन्य किसी छात्र को 160 अंक से अधिक नहीं मिला. यह भी बताया गया कि हरिप्रसाद अधिकारी 13 अप्रैल 2022 को आयोजित परीक्षा में इनविजीलेटर भी नियुक्त किए गए थे. संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि, हरिप्रसाद अधिकारी के दोनों पुत्र व पुत्री बहुत ही मेधावी छात्र है. मात्र उनका पुत्र व पुत्री होने से वह इस इस परीक्षा के लिए अयोग्य नहीं हो जाते हैं. याची ने उन दोनों के पूर्व के शैक्षणिक रिकॉर्ड नहीं लगाए हैं. जबकि उनके पुराने शैक्षणिक रिकॉर्ड से भी जाहिर है कि, दोनों बेहद मेधावी छात्र है.

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि, हरि हरिप्रसाद अधिकारी पर लगे आरोप बेहद गंभीर है. इसलिए उनको याचिका में पक्षकार बनाया जाए. विश्वविद्यालय और हरिप्रसाद अधिकारीअपना जवाब दाखिल करें. इस बीच 10 अगस्त 2022 को जारी परीक्षा परिणाम के परिपेक्ष में कोई साक्षात्कार आयोजित नहीं किया जाएगा.

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