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प्रयागराज: लॉकडाउन में निजी स्कूलों की फीस माफी की याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लॉकडाउन में निजी स्कूलों की फीस माफी की याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट का कहना है कि याची की तरफ से कही गई बातें सत्य नहीं हैं. इसके साथ ही याचिका में पर्याप्त तथ्य भी नहीं दिए गए हैं. यह याचिका आशुतोष कुमार पाण्डेय की तरफ से दाखिल की गई थी.

allahabad high court
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Jun 27, 2020, 12:59 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों से कोविड-19 में लॉकडाउन के दौरान मासिक शुल्क वसूली न करने के लिए सरकार को शासनादेश जारी करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट का कहना है याची द्वारा कहीं बातें सत्य नहीं हैं और याचिका में पर्याप्त तथ्य भी नहीं है, जिस पर हस्तक्षेप किया जाय. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने आशुतोष कुमार पाण्डेय की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है. याचिका पर भारत सरकार के अधिवक्ता संजय यादव ने प्रतिवाद किया.

याची आशुतोष पाण्डेय का कहना था कि कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान सभी स्कूल बंद चल रहे हैं. एक प्रकार से स्कूल छुट्टियां मना रहे हैं. इसलिए सरकार को शासनादेश जारी करने का आदेश दिया जाए कि निजी स्कूलों अभिभावकों से मासिक फीस, जिसमें ट्यूशन फीस और अन्य सुविधाओं के शुल्क शामिल होते हैं, न वसूला जाए. याची का कहना था कि स्कूलों की फीस माफ की जाए, जिससे बच्चों और अभिभावकों को राहत मिल सके.

ये भी पढ़ें: पुलिस भर्ती चयन परिणाम में गड़बड़ी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने कहा कि याची द्वारा कही गई बातें सही नहीं हैं. लॉकडाउन और उसके बाद स्कूलों के बंद होने के बावजूद अधिकांश स्कूल ऑन लाइन क्लास चला रहे हैं. कोर्ट का कहना था कि बच्चों को वीडियो और अन्य माध्यमों से पढ़ाया जा रहा है. होमवर्क भी दिया जा रहा है और होमवर्क चेक हो रहा है. इसलिए यह कहना सही नहीं है कि स्कूलों में छुट्टियां हैं और पढ़ाई नहीं हो रही है. कोर्ट ने कहा कि याचिका में आदेश देने योग्य पर्याप्त तथ्य नहीं दिए गए हैं.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों से कोविड-19 में लॉकडाउन के दौरान मासिक शुल्क वसूली न करने के लिए सरकार को शासनादेश जारी करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट का कहना है याची द्वारा कहीं बातें सत्य नहीं हैं और याचिका में पर्याप्त तथ्य भी नहीं है, जिस पर हस्तक्षेप किया जाय. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने आशुतोष कुमार पाण्डेय की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है. याचिका पर भारत सरकार के अधिवक्ता संजय यादव ने प्रतिवाद किया.

याची आशुतोष पाण्डेय का कहना था कि कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान सभी स्कूल बंद चल रहे हैं. एक प्रकार से स्कूल छुट्टियां मना रहे हैं. इसलिए सरकार को शासनादेश जारी करने का आदेश दिया जाए कि निजी स्कूलों अभिभावकों से मासिक फीस, जिसमें ट्यूशन फीस और अन्य सुविधाओं के शुल्क शामिल होते हैं, न वसूला जाए. याची का कहना था कि स्कूलों की फीस माफ की जाए, जिससे बच्चों और अभिभावकों को राहत मिल सके.

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हाईकोर्ट ने कहा कि याची द्वारा कही गई बातें सही नहीं हैं. लॉकडाउन और उसके बाद स्कूलों के बंद होने के बावजूद अधिकांश स्कूल ऑन लाइन क्लास चला रहे हैं. कोर्ट का कहना था कि बच्चों को वीडियो और अन्य माध्यमों से पढ़ाया जा रहा है. होमवर्क भी दिया जा रहा है और होमवर्क चेक हो रहा है. इसलिए यह कहना सही नहीं है कि स्कूलों में छुट्टियां हैं और पढ़ाई नहीं हो रही है. कोर्ट ने कहा कि याचिका में आदेश देने योग्य पर्याप्त तथ्य नहीं दिए गए हैं.

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