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हाईकोर्ट ने मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर को लेकर दाखिल याचिका खारिज की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर विंध्याचल, मिर्जापुर के निर्माणाधीन गलियारे के दायरे में आने वाले छोटे मंदिरों के ध्वस्तीकरण पर रोक की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Sep 14, 2021, 3:06 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर विंध्याचल, मिर्जापुर के निर्माणाधीन गलियारे के दायरे में आने वाले छोटे मंदिरों के ध्वस्तीकरण पर रोक की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इससे पहले भी दाखिल जनहित याचिका कोर्ट ने यह कहते हुए 30 मार्च 2007को खारिज कर दी थी कि प्राइवेट मंदिर के खिलाफ जनहित याचिका पोषणीय नहीं है.

इसी आधार पर कोर्ट ने याचिका ग्राह्य न मानते हुए खारिज कर दी है. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने अरुण पाठक की जनहित याचिका पर दिया है. कोर्ट को अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने पिछले आदेश व मंदिर प्रोजेक्ट की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जनहित याचिका पोषणीय नहीं है. इस पर कोर्ट ने याचिका सुनने से इंकार कर दिया. याची का कहना था कि मंदिर प्रोजेक्ट के तहत तमाम छोटे मंदिरों को तोड़ा जा रहा है. इस पर रोक लगाई जाए.

हाईकोर्ट ने सीडीओ जौनपुर को किया तलब
वहीं, एक अन्य याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार मॉडल नियोजक है. ऐसे में याची से बेगार लेना दुर्भाग्यपूर्ण है. कोर्ट ने मुख्य विकास अधिकारी जौनपुर को 27सितंबर को तलब किया है और सफाई मांगी है कि याची को वेतन का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है. याचिका की सुनवाई 27 सितंबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने आशुतोष कुमार श्रीवास्तव की अवमानना याचिका पर दिया है. याची के पक्ष में कोर्ट का अंतरिम आदेश था कि कार्रवाई न की जाए. इसके बावजूद उसे बर्खास्त कर दिया गया. जब गलती का अहसास हुआ तो 12 फरवरी 2020 को बहाल कर लिया गया और आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट पेश की. इस पर याची ने कोर्ट को बताया कि मार्च 19 से 12फरवरी 2020 तक का एक पैसे का भुगतान नहीं किया गया है. इसके बाद 5 माह तक वेतन दिया गया है. जिसपर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार बेगार नहीं ले सकती.

हाईकोर्ट ने खंड शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का दिया आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी सहारनपुर को खंड शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार मेहता के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. और अनुपालन रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने कहा है कि 24सितंबर तक यदि कार्रवाई नहीं की तो कोर्ट अधिकारी को तलब करेगी. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने अनिल कुमार की जनहित याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि याचिका में लगाये गये आरोप गंभीर है.

इसे भी पढ़ें-शादी की आड़ में अपराधों से बचने के लिए पीड़िता का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए : हाई कोर्ट

खंड शिक्षा अधिकारी ने कम राशि की बोली के कारण नीलामी 14जुलाई 21को निरस्त कर दी. बोली पिछले साल की सिक्योरिटी से भी कम थी. लेकिन किन्तु 23 जुलाई को नीलामी निरस्त करने के अपने आदेश को वापस लेते हुए ठेका यह कहते हुए मंजूर कर लिया कि तीन दिनों में किसी ने कोई आपत्ति नहीं की है. याची का कहना है कि किसी ने भी निश्चित राशि बोली नहीं लगाई।तो बोली स्वीकार नहीं करना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी को सफाई देनी चाहिए ।उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जानी चाहिए. इसपर कोर्ट ने जिलाधिकारी को कार्यवाही कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। सुनवाई 24सितंबर को होगी.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर विंध्याचल, मिर्जापुर के निर्माणाधीन गलियारे के दायरे में आने वाले छोटे मंदिरों के ध्वस्तीकरण पर रोक की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इससे पहले भी दाखिल जनहित याचिका कोर्ट ने यह कहते हुए 30 मार्च 2007को खारिज कर दी थी कि प्राइवेट मंदिर के खिलाफ जनहित याचिका पोषणीय नहीं है.

इसी आधार पर कोर्ट ने याचिका ग्राह्य न मानते हुए खारिज कर दी है. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने अरुण पाठक की जनहित याचिका पर दिया है. कोर्ट को अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने पिछले आदेश व मंदिर प्रोजेक्ट की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जनहित याचिका पोषणीय नहीं है. इस पर कोर्ट ने याचिका सुनने से इंकार कर दिया. याची का कहना था कि मंदिर प्रोजेक्ट के तहत तमाम छोटे मंदिरों को तोड़ा जा रहा है. इस पर रोक लगाई जाए.

हाईकोर्ट ने सीडीओ जौनपुर को किया तलब
वहीं, एक अन्य याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार मॉडल नियोजक है. ऐसे में याची से बेगार लेना दुर्भाग्यपूर्ण है. कोर्ट ने मुख्य विकास अधिकारी जौनपुर को 27सितंबर को तलब किया है और सफाई मांगी है कि याची को वेतन का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है. याचिका की सुनवाई 27 सितंबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने आशुतोष कुमार श्रीवास्तव की अवमानना याचिका पर दिया है. याची के पक्ष में कोर्ट का अंतरिम आदेश था कि कार्रवाई न की जाए. इसके बावजूद उसे बर्खास्त कर दिया गया. जब गलती का अहसास हुआ तो 12 फरवरी 2020 को बहाल कर लिया गया और आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट पेश की. इस पर याची ने कोर्ट को बताया कि मार्च 19 से 12फरवरी 2020 तक का एक पैसे का भुगतान नहीं किया गया है. इसके बाद 5 माह तक वेतन दिया गया है. जिसपर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार बेगार नहीं ले सकती.

हाईकोर्ट ने खंड शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का दिया आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी सहारनपुर को खंड शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार मेहता के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. और अनुपालन रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने कहा है कि 24सितंबर तक यदि कार्रवाई नहीं की तो कोर्ट अधिकारी को तलब करेगी. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने अनिल कुमार की जनहित याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि याचिका में लगाये गये आरोप गंभीर है.

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खंड शिक्षा अधिकारी ने कम राशि की बोली के कारण नीलामी 14जुलाई 21को निरस्त कर दी. बोली पिछले साल की सिक्योरिटी से भी कम थी. लेकिन किन्तु 23 जुलाई को नीलामी निरस्त करने के अपने आदेश को वापस लेते हुए ठेका यह कहते हुए मंजूर कर लिया कि तीन दिनों में किसी ने कोई आपत्ति नहीं की है. याची का कहना है कि किसी ने भी निश्चित राशि बोली नहीं लगाई।तो बोली स्वीकार नहीं करना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी को सफाई देनी चाहिए ।उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जानी चाहिए. इसपर कोर्ट ने जिलाधिकारी को कार्यवाही कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। सुनवाई 24सितंबर को होगी.

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