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खबर का असर: पीलीभीत ADPRO पर शासन से बैठी जांच, मुरादाबाद के डिप्टी डायरेक्टर को बनाया गया जांच अधिकारी - पीलीभीत विकास भवन

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में ईटीवी भारत की एक ही खबर का लगातार तीसरा बड़ा असर देखने को मिला है, जिसमें विकास कार्यों के करोड़ों रुपए वापस चले जाने पर हुई लापरवाही पर पंचायती राज विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने जिले के ADPRO प्रमोद कुमार यादव पर शासन से जांच बैठा दी गई है. इसमें मुरादाबाद के पंचायती राज विभाग के डिप्टी डायरेक्टर को जांच अधिकारी बनाया गया है. ADPRO पर हुई इस तरह की कार्रवाई पर पूरे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.

डिप्टी डायरेक्टर को बनाया गया जांच अधिकारी.
डिप्टी डायरेक्टर को बनाया गया जांच अधिकारी.
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Published : Jun 20, 2020, 10:21 PM IST

पीलीभीत: जिले में ईटीवी भारत की खबर का बड़ा असर देखने को मिला है. दरअसल, कोरोनाकाल की आड़ में करोड़ों रुपये की अनियमितता को लेकर ईटीवी भारत ने खबर चलाई थी. इस पर पंचायती राज विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने संज्ञान लेते हुए जिले के ADPRO ( सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी) प्रमोद कुमार यादव पर शासन से जांच बैठा दी. इसमें प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने मुरादाबाद के पंचायती राज विभाग के डिप्टी डायरेक्टर को जांच अधिकारी बनाया गया है.

जाने क्या है पूरा मामला

पीलीभीत विकास भवन में कोरोनाकाल की आड़ में अधिकारियों की ओर से करोड़ों रुपये की अनियमितता का मामला सामने आया है. यहां पर शासन स्तर से जनपद के घुंघचिआई, मानपुर बीसलपुर, संतोषपुर और बिलगंवा पर अंत्येष्टि स्थल बनाने के लिए 97 लाख 19 हजार 640 रुपये 7 अगस्त 2019 को भेज गए थे, लेकिन विकास भवन के उच्च अधिकारियों ने शासन की मंशा पर पलीता लगाते हुए कोई भी अंत्येष्टि स्थल का निर्माण नहीं कराया. जब 31 मार्च को 97 लाख 19 हजार 640 रुपये खर्च हो गए, तब अधिकारियों ने मिलीभगत से अपनी लापरवाही को छिपाना चाहा और अन्य मदों से 97 लाख 19 हजार 640 रुपये जारी कर दिए.

इस मामले का खुलासा होने पर जिला विकास अधिकारी ने खुद को बचाने के लिए अपने विभाग के दो बाबुओं हरिशंकर अग्रवाल और श्याम बहादुर सक्सेना को इस तर्क के आधार पर सस्पेंड कर दिया कि इन दोनों बाबुओं ने उच्च अधिकारियों को मामला बिना संज्ञान में दिए अन्य मदों से पैसा निकाल लिया, जबकि इतनी बड़ी धनराशि अधिकारियों के हस्ताक्षर से अन्य मदों से निकाली गई. मामले की सूचना जब जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव को हुई तो उन्होंने विकास भवन के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए शासन से शिकायत की.

वहीं ईटीवी भारत ने विकास के नाम पर की गई करोड़ों रुपये की अनियमितता की खबर को प्रमुखता से दिखाया था, जिसके बाद पहली बार खबर के असर में पंचायती राज निदेशालय से डायरेक्टर ने जिला विकास अधिकारी योगेंद्र पाठक और अपर जिला पंचायत राज अधिकारी प्रमोद कुमार यादव से सात दिन के अंदर लिखित स्पष्टीकरण मांगा है.

वहीं दूसरी बार कहने के असर में जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने भी कार्रवाई करते हुए जिला पंचायत राज विभाग के वित्तीय अधिकार जिला विकास अधिकारी से छीन लिए थे. वहीं जिला पंचायत राज अधिकारी प्रमोद कुमार यादव अछूते रह गए थे, जिसके बाद से पूरे विकास भवन में हड़कंप मच गया था.

पंचायती राज निदेशालय से जारी हुआ पत्र
उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज्य निदेशालय के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह के लेटर में बताया गया कि प्रशासनिक कार्यों में विलंब करने, लापरवाही बरतने, पदीय दायित्वों का सम्यक निर्वहन न करने, शासनादेशों की अवहेलना करने एवं बजट शर्तों का पालन न करने पर प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर तत्कालिक प्रभाव से प्रमोद कुमार यादव को उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक नियमावली 1999 के नियम 7 के अधीन अनुशासनिक कार्रवाई संस्थित कर उपनिदेशक मुरादाबाद मंडल, मुरादाबाद को जांच अधिकारी नामित किया जाता है.

पीलीभीत: जिले में ईटीवी भारत की खबर का बड़ा असर देखने को मिला है. दरअसल, कोरोनाकाल की आड़ में करोड़ों रुपये की अनियमितता को लेकर ईटीवी भारत ने खबर चलाई थी. इस पर पंचायती राज विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने संज्ञान लेते हुए जिले के ADPRO ( सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी) प्रमोद कुमार यादव पर शासन से जांच बैठा दी. इसमें प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने मुरादाबाद के पंचायती राज विभाग के डिप्टी डायरेक्टर को जांच अधिकारी बनाया गया है.

जाने क्या है पूरा मामला

पीलीभीत विकास भवन में कोरोनाकाल की आड़ में अधिकारियों की ओर से करोड़ों रुपये की अनियमितता का मामला सामने आया है. यहां पर शासन स्तर से जनपद के घुंघचिआई, मानपुर बीसलपुर, संतोषपुर और बिलगंवा पर अंत्येष्टि स्थल बनाने के लिए 97 लाख 19 हजार 640 रुपये 7 अगस्त 2019 को भेज गए थे, लेकिन विकास भवन के उच्च अधिकारियों ने शासन की मंशा पर पलीता लगाते हुए कोई भी अंत्येष्टि स्थल का निर्माण नहीं कराया. जब 31 मार्च को 97 लाख 19 हजार 640 रुपये खर्च हो गए, तब अधिकारियों ने मिलीभगत से अपनी लापरवाही को छिपाना चाहा और अन्य मदों से 97 लाख 19 हजार 640 रुपये जारी कर दिए.

इस मामले का खुलासा होने पर जिला विकास अधिकारी ने खुद को बचाने के लिए अपने विभाग के दो बाबुओं हरिशंकर अग्रवाल और श्याम बहादुर सक्सेना को इस तर्क के आधार पर सस्पेंड कर दिया कि इन दोनों बाबुओं ने उच्च अधिकारियों को मामला बिना संज्ञान में दिए अन्य मदों से पैसा निकाल लिया, जबकि इतनी बड़ी धनराशि अधिकारियों के हस्ताक्षर से अन्य मदों से निकाली गई. मामले की सूचना जब जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव को हुई तो उन्होंने विकास भवन के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए शासन से शिकायत की.

वहीं ईटीवी भारत ने विकास के नाम पर की गई करोड़ों रुपये की अनियमितता की खबर को प्रमुखता से दिखाया था, जिसके बाद पहली बार खबर के असर में पंचायती राज निदेशालय से डायरेक्टर ने जिला विकास अधिकारी योगेंद्र पाठक और अपर जिला पंचायत राज अधिकारी प्रमोद कुमार यादव से सात दिन के अंदर लिखित स्पष्टीकरण मांगा है.

वहीं दूसरी बार कहने के असर में जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने भी कार्रवाई करते हुए जिला पंचायत राज विभाग के वित्तीय अधिकार जिला विकास अधिकारी से छीन लिए थे. वहीं जिला पंचायत राज अधिकारी प्रमोद कुमार यादव अछूते रह गए थे, जिसके बाद से पूरे विकास भवन में हड़कंप मच गया था.

पंचायती राज निदेशालय से जारी हुआ पत्र
उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज्य निदेशालय के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह के लेटर में बताया गया कि प्रशासनिक कार्यों में विलंब करने, लापरवाही बरतने, पदीय दायित्वों का सम्यक निर्वहन न करने, शासनादेशों की अवहेलना करने एवं बजट शर्तों का पालन न करने पर प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर तत्कालिक प्रभाव से प्रमोद कुमार यादव को उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक नियमावली 1999 के नियम 7 के अधीन अनुशासनिक कार्रवाई संस्थित कर उपनिदेशक मुरादाबाद मंडल, मुरादाबाद को जांच अधिकारी नामित किया जाता है.

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