मुजफ्फरनगरः जिले की एक अदालत में हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची ने शुक्रवार को सरेंडर कर दिया. साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के एक मामले में कोर्ट में पेश न होने पर उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ था. इसी के चलते उन्हें कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा.
एमपी व एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मयंक जायसवाल ने साध्वी प्राची के सरेंडर करने के बाद उनके खिलाफ जारी वारंट वापस ले लिया और आगे की सुनवाई के लिए 20 जनवरी की तारीख तय कर दी. सिविल जज सीनियर डिवीजन मयंक जायसवाल की कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई है और पिछली तारीख पर न आने की वजह से जारी हुए गैर जमानती वारंट के बाद साध्वी प्राची ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. कोर्ट ने 25-25 हजार के निजी मुचलके पर साध्वी प्राची को ज़मानत देते हुए रिहाई का आदेश सुनाया.
केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, साध्वी प्राची, बीजेपी के पूर्व सांसद भारतेंदु सिंह, पूर्व बीजेपी विधायक उमेश मलिक, डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद समेत कई लोगों के खिलाफ आईपीसी की अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज है. इसकी सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही है. इनमें कई लोग कोर्ट में हाज़िर होकर अपनी ज़मानत करा चुके हैं.
इन सभी पर इल्ज़ाम है कि उन्होंने नगला मंडोर की महापंचायत में हिस्सा लिया. यहां 31 अगस्त 2013 को अपनी स्पीच के ज़रिए निषेधाज्ञा का कथित तौर पर उल्लघंन करते हुए भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया. बता दें कि 2013 अगस्त और सितंबर में मुज़फ्फरनगर और आसपास के इलाक़ों में हुए सांप्रदायिक दंगे भड़के थे. इसमें तकरीबन 60 लोगों की जान गई थी और 40,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए थे. इसके बाद साध्वी प्राची, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान समेत 14 लोगों पर अलग अलग धाराओं में केस दर्ज किया गया था. इसकी सुनवाई जारी है.
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