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मुजफ्फरनगर: पुलिस का मकड़ जाल, नाबालिग किशोर को भेजा हत्या के मामले में जेल

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Published : Nov 4, 2020, 9:02 PM IST

Updated : Nov 6, 2020, 3:34 PM IST

यूपी के मुजफ्फरनगर में थाना पुरकाजी पुलिस ने हत्या और लूट के जुर्म में एक 12 साल के बच्चे को जेल भेज दिया. पुलिस ने यह कदम तब उठाया, जबकि जांच के दौरान गिरफ्त में आए दो युवकों ने जुर्म स्वीकार कर लिया था और बच्चे के इस वारदात में शामिल नहीं होने की बात कही थी. पुलिस ने इसके बाद भी बच्चे को नहीं छोड़ा.

नाबालिग किशोर को भेजा हत्या के मामले में जेल
नाबालिग किशोर को भेजा हत्या के मामले में जेल

मुजफ्फरनगर: जिले के थाना पुरकाजी क्षेत्र में हत्या और लूट के जुर्म में एक 12 साल के बच्चे को पुलिस ने 15 दिन गैर कानूनी ढंग से हिरासत में रखा और फिर हत्या के मामले में जेल भेज दिया. पुलिस ने यह कदम तब उठाया, जबकि जांच के दौरान गिरफ्त में आए दो युवकों ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था. साथ ही बच्चे के इस वारदात में शामिल नहीं होने की बात भी कही थी.

नाबालिग किशोर को भेजा हत्या के मामले में जेल.

जांच अधिकारी ने किया ये खेल

पुलिस के जांच अधिकारी ने बच्चे को हत्या से पहले घटनास्थल से भागना दर्शाकर उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 411 लगा दी. बच्चे की 80 वर्षीय वृद्ध दादी पुलिस के आला अधिकारियों के चक्कर लगाती रहीं. उच्च अधिकारियों ने इस मामले की जांच उसी जांच अधिकारी को दे दी, जिसकी शिकायत बच्चे के परिजनों ने की थी. बच्चे के अधिवक्ता ने किशोर न्याय बोर्ड में प्रार्थना पत्र देकर इस केस को तलब करने का आग्रह किया है. खाकी के खेल के चलते बच्चा आज भी राजकीय सम्प्रेक्षण गृह (किशोर) नोएडा में बंद है.

यह था मामला

जिले के थाना पुरकाजी क्षेत्र में 19 अगस्त 2020 को कस्बा निवासी मयंक सिंघल गायब हो गया था. इस पर मयंक के पिता सुनील सिंघल ने 21 अगस्त को थाना पुरकाजी में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. 23 अगस्त को पुरकाजी के लक्सर रोड पर झाड़ियों में मयंक का शव बरामद हुआ था. इस पर थाना पुरकाजी में अज्ञात के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया. पुलिस ने इस मामले में 05 सितम्बर 2020 को 12 वर्षीय बच्चे को हिरासत में ले लिया. इसी बीच 13 सितम्बर 2020 को पुलिस ने मयंक की हत्या के मामले में वाजिद उर्फ बाजी और शमीम को हिरासत में लेकर पूछताछ की. इसमें वाजिद और शमीम ने मयंक की हत्या कर 54,000 रुपये लूटना स्वीकारा था. इसके बाद पुलिस ने वाजिद और शमीम को जेल भेज दिया, लेकिन पुलिस ने बच्चे गैर कानूनी रूप से हिरासत में ही रखा.

दादी लगाती रहीं थाने के चक्कर

किशोर की 80 वर्षीय दादी सत्तो और किशोर की बुआ उसको थाने से छुड़ाने के लिए चक्कर लगाती रहीं. पुलिस ने बच्चे को थाने से रिहा करने के लिए उसकी दादी और बुआ (जिला पंचायत सदस्य) से पांच लाख रुपये मांगे. 16 सितम्बर 2020 को किशोर की दादी ने पुरकाजी कोतवाल जितेंद्र यादव और दरोगा लेखराज की पुलिस के आला अधिकारी, पुलिस महा निदेशक उत्तर प्रदेश, पुलिस महानिरीक्षक मेरठ, एसएसपी मुजफ्फरनगर के अलावा प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में शिकायत कर दी.

आरोपी को ही सौंप दी जांच

पुलिस के उच्च अधिकारियों ने इस मामले की जांच थाना पुरकाजी में तैनात उसी लेखराज दारोगा को सौंप दी, जिसकी शिकायत की गई थी. इसके बाद पुलिस ने नाटकीय रूप से राहुल का 19 सितम्बर 2020 को चालान कर उसे भी हत्या के मामले में शामिल कर दिया. इतना ही नहीं बिना किसी बरामदगी के उसे IPC की धारा 411 लगाकर जांच उच्च अधिकारियों को भेज दी. किशोर न्याय बोर्ड ने इस मामले में पुलिस की केस डायरी को तलब किया. उसमें स्पष्ट अंकित था कि कोई भी बरामदगी इस मामले में पुलिस को बच्चे से नहीं हुई है. किशोर न्याय बोर्ड के निर्देशित करने पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 411 को हटाया. इसके बाद भी किशोर की दादी अपने पोते की रिहाई के लिए कचहरी में भटक रही है.

पुलिस के आलाधिकारी लापरवाही पर डाल रहे पर्दा
क्षेत्राधिकारी सदर कुलदीप कुमार का कहना है कि किशोर को पुलिस नाबालिग तो मान रही है, लेकिन उसकी उम्र 12 वर्ष न मानकर 16 - 17 वर्ष बता रही है, जबकि किशोर के स्कूल के सर्टिफिकेट के अनुसार जन्मतिथि 19-01-2008 है. क्षेत्राधिकारी ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट कहा कि किशोर के बयान के मुताबिक मृतक मयंक की चप्पल बरामद हुई और हत्या के समय राहुल घटना स्थल पर पहरा दे रहा था.

मुजफ्फरनगर: जिले के थाना पुरकाजी क्षेत्र में हत्या और लूट के जुर्म में एक 12 साल के बच्चे को पुलिस ने 15 दिन गैर कानूनी ढंग से हिरासत में रखा और फिर हत्या के मामले में जेल भेज दिया. पुलिस ने यह कदम तब उठाया, जबकि जांच के दौरान गिरफ्त में आए दो युवकों ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था. साथ ही बच्चे के इस वारदात में शामिल नहीं होने की बात भी कही थी.

नाबालिग किशोर को भेजा हत्या के मामले में जेल.

जांच अधिकारी ने किया ये खेल

पुलिस के जांच अधिकारी ने बच्चे को हत्या से पहले घटनास्थल से भागना दर्शाकर उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 411 लगा दी. बच्चे की 80 वर्षीय वृद्ध दादी पुलिस के आला अधिकारियों के चक्कर लगाती रहीं. उच्च अधिकारियों ने इस मामले की जांच उसी जांच अधिकारी को दे दी, जिसकी शिकायत बच्चे के परिजनों ने की थी. बच्चे के अधिवक्ता ने किशोर न्याय बोर्ड में प्रार्थना पत्र देकर इस केस को तलब करने का आग्रह किया है. खाकी के खेल के चलते बच्चा आज भी राजकीय सम्प्रेक्षण गृह (किशोर) नोएडा में बंद है.

यह था मामला

जिले के थाना पुरकाजी क्षेत्र में 19 अगस्त 2020 को कस्बा निवासी मयंक सिंघल गायब हो गया था. इस पर मयंक के पिता सुनील सिंघल ने 21 अगस्त को थाना पुरकाजी में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. 23 अगस्त को पुरकाजी के लक्सर रोड पर झाड़ियों में मयंक का शव बरामद हुआ था. इस पर थाना पुरकाजी में अज्ञात के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया. पुलिस ने इस मामले में 05 सितम्बर 2020 को 12 वर्षीय बच्चे को हिरासत में ले लिया. इसी बीच 13 सितम्बर 2020 को पुलिस ने मयंक की हत्या के मामले में वाजिद उर्फ बाजी और शमीम को हिरासत में लेकर पूछताछ की. इसमें वाजिद और शमीम ने मयंक की हत्या कर 54,000 रुपये लूटना स्वीकारा था. इसके बाद पुलिस ने वाजिद और शमीम को जेल भेज दिया, लेकिन पुलिस ने बच्चे गैर कानूनी रूप से हिरासत में ही रखा.

दादी लगाती रहीं थाने के चक्कर

किशोर की 80 वर्षीय दादी सत्तो और किशोर की बुआ उसको थाने से छुड़ाने के लिए चक्कर लगाती रहीं. पुलिस ने बच्चे को थाने से रिहा करने के लिए उसकी दादी और बुआ (जिला पंचायत सदस्य) से पांच लाख रुपये मांगे. 16 सितम्बर 2020 को किशोर की दादी ने पुरकाजी कोतवाल जितेंद्र यादव और दरोगा लेखराज की पुलिस के आला अधिकारी, पुलिस महा निदेशक उत्तर प्रदेश, पुलिस महानिरीक्षक मेरठ, एसएसपी मुजफ्फरनगर के अलावा प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में शिकायत कर दी.

आरोपी को ही सौंप दी जांच

पुलिस के उच्च अधिकारियों ने इस मामले की जांच थाना पुरकाजी में तैनात उसी लेखराज दारोगा को सौंप दी, जिसकी शिकायत की गई थी. इसके बाद पुलिस ने नाटकीय रूप से राहुल का 19 सितम्बर 2020 को चालान कर उसे भी हत्या के मामले में शामिल कर दिया. इतना ही नहीं बिना किसी बरामदगी के उसे IPC की धारा 411 लगाकर जांच उच्च अधिकारियों को भेज दी. किशोर न्याय बोर्ड ने इस मामले में पुलिस की केस डायरी को तलब किया. उसमें स्पष्ट अंकित था कि कोई भी बरामदगी इस मामले में पुलिस को बच्चे से नहीं हुई है. किशोर न्याय बोर्ड के निर्देशित करने पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 411 को हटाया. इसके बाद भी किशोर की दादी अपने पोते की रिहाई के लिए कचहरी में भटक रही है.

पुलिस के आलाधिकारी लापरवाही पर डाल रहे पर्दा
क्षेत्राधिकारी सदर कुलदीप कुमार का कहना है कि किशोर को पुलिस नाबालिग तो मान रही है, लेकिन उसकी उम्र 12 वर्ष न मानकर 16 - 17 वर्ष बता रही है, जबकि किशोर के स्कूल के सर्टिफिकेट के अनुसार जन्मतिथि 19-01-2008 है. क्षेत्राधिकारी ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट कहा कि किशोर के बयान के मुताबिक मृतक मयंक की चप्पल बरामद हुई और हत्या के समय राहुल घटना स्थल पर पहरा दे रहा था.

Last Updated : Nov 6, 2020, 3:34 PM IST
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