चंदौलीः वैश्विक महामारी कोविड-19 को देखते हुए डीडीयू रेलमंडल समेत पूर्व मध्य रेल द्वारा रोजाना औसतन 200 पीपीई किट का निर्माण किया जा रहा है. कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है. ऐसे में लोगों के व्यापक स्वास्थ्य हित को देखते हुए लॉकडाउन के दौरान पैंसेजर ट्रेनों का परिचालन तो बंद है, लेकिन कोरोना से जंग में रेलवे पहले मोर्चे पर खड़ी है.
कम कीमत पर बन रहे पीपीई किट
इन पीपीई किट्स को रेलवे के डॉक्टर, नर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ को उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके अलावा लोकल जरूरतों को भी सरकार के निर्देश पर पूरा किया जाएगा. पूर्व मध्य रेल द्वारा किट का निर्माण बाजार में उपलब्ध पीपीई किट की कीमत की तुलना में आधी कीमत पर बनाए जा रहे हैं. वर्तमान में प्रत्येक पीपीई किट के निर्माण पर लगभग 700 रुपये की लागत आती है.
जानें क्या है पीपीई किट
पीपई किट यानी पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट नाम से ही स्पष्ट है कि ऐसे सामान जिसमें संक्रमण से बचाव करते हुए मरीज की चिकित्सा में मदद मिले. कोरोना वायरस चूंकि संक्रामक बिमारी है. इसलिए कोरोना मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टर, नर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ आदि को सिर से पांव तक वायरस संक्रमण से बचाव के लिए कई तरह की चीजें पहननी होती हैं, जिसे पीपीई किट कहते हैं.
आम तौर पर पीपई किट में मास्क, ग्लब्स, गाउन, एप्रन, फेस प्रोटेक्टर, फेस शील्ड, स्पेशल हेलमेट, पेस्पिरेटर्स, आई प्रोटेक्टर, गोगल्स, हेड कवर, शू कवर आदि आते हैं. पूर्व मध्य रेल द्वारा 31 मई तक कुल 30 हजार पीपपीई किट तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है.