मुरादाबाद: कोरोना संकट के चलते सबसे ज्यादा नुकसान परिवहन विभाग को उठाना पड़ रहा है. लॉकडाउन लागू होने के बाद रोडवेज बसों का संचालन रद्द किया गया था. वहीं अनलॉक-1 में बसों का संचालन शुरू किया गया, लेकिन कोरोना के चलते यात्री सफर करने से बचते रहे. बसों के संचालन के एक महीने बाद करोड़ों रुपये का नुकसान झेल चुके परिवहन विभाग ने अब राजस्व नुकसान को बचाने के लिए कदम उठाने शुरू किए हैं. मुरादाबाद मंडल में रोडवेज अधिकारियों ने डेढ़ सौ से ज्यादा बसों के परमिट सरेंडर कर बसों को खड़ा कर दिया है. परमिट सरेंडर करने के बाद अब इन बसों पर हर महीने लगने वाला टैक्स विभाग को नहीं देना होगा.
परिवहन निगम की बसों का संचालन शुरू होने के बाद यात्रियों की कमी से रोडवेज बसों को हर रोज लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. नुकसान से उबरने के लिए परिवहन निगम ने अब कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. मुरादाबाद मंडल में परिवहन निगम हर रोज 700 बसों का संचालन करता है. इसमें 490 रोडवेज बसें हैं, जबकि 210 बसों को निजी क्षेत्र से अनुबंधित किया गया है. यात्रियों की कमी के चलते रोडवेज ने अब निगम की 92 और निजी क्षेत्र की 62 बसों के परमिट सरेंडर कर दिए हैं. बसों के परमिट सरेंडर होने के बाद अब निगम को इन बसों पर लगने वाले अतिरिक्त करों का भुगतान नहीं करना पड़ेगा.
पांच से ज्यादा बसें रिजर्व
परिवहन निगम के अधिकारियों के मुताबिक मंडल की 700 बसों में से महज चार सौ बसों का ही संचालन किया जा रहा था, जबकि बाकी बसों में यात्रियों के न होने के चलते राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है. निगम ने कुल 154 बसों के परमिट सरेंडर कर दिए हैं, जबकि 50 से ज्यादा बसों को रिजर्व में रखा गया है. आरएम मुरादाबाद मंडल के मुताबिक मुरादाबाद मंडल से हर रोज रोडवेज को 75 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन अनलॉक के शुरुआती दौर में यह महज एक लाख रुपये पर सिमट गया था. जून के आखिरी सप्ताह में प्राप्त राजस्व 40 लाख रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिल रहा है, लेकिन अभी भी यह काफी कम है. परमिट सरेंडर किए जाने वाली बसों को रोडवेज वर्कशॉप में खड़ा कर दिया गया है.
परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक विभाग यात्रियों की संख्या को लेकर प्रतिदिन समीक्षा कर रहा है. जुलाई महीने में अगर यात्रियों की संख्या बढ़ती है तो रिजर्व रखी गई बसों को सड़कों पर उतारा जाएगा. अधिकारी लगातार हो रहे नुकसान की भी समीक्षा कर रहें है. हालात न सुधरने पर भविष्य में और भी कड़े कदम उठाने का दावा भी कर रहे हैं.