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मुरादाबाद: पांचवी पास लड़की ने बदल दी गांव की तस्वीर, लड़कियों के लिए बनी मसीहा - मुरादाबाद न्यूज

मन का विश्वास सभी मुश्किलों से उबरने के लिए काफी होता है. ऐसा ही कुछ मुरादाबाद के देहात क्षेत्र की रहने वाली शोभा के साथ भी हुआ. आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई छुटने के बाद तमाम मुश्किले झेलते हुए शोभा आज गांव की लड़कियों के लिए एक मिशाल बनी हैं.

गांव की लड़कियों के लिए मिशाल बनीं शोभा.
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Published : Mar 13, 2019, 11:40 PM IST

मुरादाबाद: मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती. जी हां! ऐसी ही कहानी है मुरादाबाद के देहात क्षेत्र में रहने वाली शोभा की. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद पांचवी तक पढ़ी शोभा आज पूरे गांव की शान बन गई हैं.

गांव की लड़कियों के लिए मिशाल बनीं शोभा.


घर के बाहर बगीचे में रखी मधुमक्खियों की पेटी में शहद जांच रही इस लड़की का नाम शोभा है. मुरादाबाद के छजलैट ब्लॉक स्थित मानपुर नजराना गांव की रहने वाली शोभा आज पूरे गांव के लिए एक मिसाल बन गई है. आर्थिक तंगहाली के चलते पांचवीं तक की पढ़ाई करने वाली शोभा ने अपने जैसी और ग्यारह लड़कियों को संगठित किया. इसके बाद उन्होंने घर में ही कपड़े सिलने और मधुमक्खी पालन का काम शुरू कर दिया.


शोभा के लिए यह राह आसान नहीं थी. उस वक्त परिजनों से लेकर ग्रामीणों ने उन्हें जमकर कोसा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. समाज के तानों को अनसुना कर शोभा आगे बढ़ती गई और जल्द ही उसने अपने साथ काम कर रही लड़कियों की आगे की पढ़ाई शुरू करवाई. सिलाई कढ़ाई के ऑर्डर मिलने शुरू हुए, तो उन्होंने चार समूह बनाए और कारोबार को आगे बढ़ाया. शोभा गांव के किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग भी दे रही हैं. उनका लक्ष्य गांव की लड़कियों को शिक्षित करने के साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देना भी है.


शोभा के पिता को आज तक इस बात का मलाल है कि उन्होंने अपनी बेटी को ट्रेनिंग के लिये केवल इसलिये बंगलुरू नहीं जाने दिया कि वो एक लड़की है. शोभा के बढ़ते कदमों के साथ उनके परिजन भी उनके साथ खड़े हैं. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि शोभा ने अपने इरादों से पूरे गांव की शोभा में चार चांद लगा दिया.

मुरादाबाद: मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती. जी हां! ऐसी ही कहानी है मुरादाबाद के देहात क्षेत्र में रहने वाली शोभा की. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद पांचवी तक पढ़ी शोभा आज पूरे गांव की शान बन गई हैं.

गांव की लड़कियों के लिए मिशाल बनीं शोभा.


घर के बाहर बगीचे में रखी मधुमक्खियों की पेटी में शहद जांच रही इस लड़की का नाम शोभा है. मुरादाबाद के छजलैट ब्लॉक स्थित मानपुर नजराना गांव की रहने वाली शोभा आज पूरे गांव के लिए एक मिसाल बन गई है. आर्थिक तंगहाली के चलते पांचवीं तक की पढ़ाई करने वाली शोभा ने अपने जैसी और ग्यारह लड़कियों को संगठित किया. इसके बाद उन्होंने घर में ही कपड़े सिलने और मधुमक्खी पालन का काम शुरू कर दिया.


शोभा के लिए यह राह आसान नहीं थी. उस वक्त परिजनों से लेकर ग्रामीणों ने उन्हें जमकर कोसा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. समाज के तानों को अनसुना कर शोभा आगे बढ़ती गई और जल्द ही उसने अपने साथ काम कर रही लड़कियों की आगे की पढ़ाई शुरू करवाई. सिलाई कढ़ाई के ऑर्डर मिलने शुरू हुए, तो उन्होंने चार समूह बनाए और कारोबार को आगे बढ़ाया. शोभा गांव के किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग भी दे रही हैं. उनका लक्ष्य गांव की लड़कियों को शिक्षित करने के साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देना भी है.


शोभा के पिता को आज तक इस बात का मलाल है कि उन्होंने अपनी बेटी को ट्रेनिंग के लिये केवल इसलिये बंगलुरू नहीं जाने दिया कि वो एक लड़की है. शोभा के बढ़ते कदमों के साथ उनके परिजन भी उनके साथ खड़े हैं. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि शोभा ने अपने इरादों से पूरे गांव की शोभा में चार चांद लगा दिया.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती. जी हां कुछ ऐसी ही कहानी है मुरादाबाद के देहात क्षेत्र में रहने वाली शोभा की. दूर-दराज के गांव में रहने वाली शोभा के परिवार की कमजोर आर्थिक हालत ने उसको पांचवी कक्षा पास करने के बाद घर में बैठने को मजबूर कर दिया था. मन में कुछ करने का जज्बा लिए शोभा हर किसी के विरोध के बाद भी आगे बढ़ी और आज पूरे गांव की शान बन गयी. गांव की लड़कियों का समूह बनाकर शोभा ने पहले मधुमक्खी पालन और सिलाई कड़ाई सीखी और उसके बाद अपना कारोबार शुरू कर दिया. सौ रुपये की रकम से कारोबार शुरू करने वाली इन लड़कियों ने न सिर्फ कारोबार किया बल्कि अपनी पढ़ाई भी दुबारा शुरू की और आज सैकड़ो महिलाओं के लिए रोजगार मुहैया करा रही शोभा से बुजुर्ग भी शिक्षा ले रहे है.


Body:वीओ वन: घर के बाहर बगीचे में रखी मधुमक्खियों की पेटी में शहद जांच रहीं इस लड़की का नाम शोभा है. मुरादाबाद जनपद के छजलैट ब्लॉक स्थित मानपुर नजराना गांव में रहने वाली शोभा आज पूरे गांव के लिए मिसाल है. पांचवी पास होने के बाद शोभा के परिजनों ने कमजोर आर्थिक हालात और कॉलेज की दूरी के चलते उसे आगे पढ़ाने से इनकार कर दिया था. शोभा ने अपनी जैसी और लड़कियों को संगठित किया और सिलाई कड़ाई का प्रशिक्षण लेकर घर में कपड़े सिलने और मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया. शुरुआत में गांव की ग्यारह लड़कियों के जरिये शुरू हुए समूह ने हर महीने ग्यारह सौ रुपये की बचत कर कारोबार बढ़ाया. कारोबार शुरू हुआ लेकिन राह आसान नहीं थी. परिजनों से लेकर ग्रामीणों ने उस वक्त शोभा को जमकर कोसा लेकिन शोभा ने हार नहीं मानी.
बाइट: शोभा: लड़की
वीओ टू: समाज के तानों को अनसुना कर शोभा आगे बढ़ती रहीं और जल्द ही उसने अपना और अपने साथ काम करने वाली लड़कियों की आगे की पढ़ाई शुरू करवाई. सिलाई कड़ाई के ऑर्डर मिलने शुरू हुए तो शोभा ने अलग-अलग चार समूह बनाये और स्थानीय महिलाओं को प्रशिक्षण देना शुरू किया. ऑर्डर मिलने पर शोभा सभी महिलाओं को कपड़े,बैग,यूनिफॉर्म सिलने का काम देती थी जिसके बाद महिलाएं अपने घरों में जाकर ऑर्डर पूरे करने लगी. अब तक दो हजार महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुकी शोभा के समूह को चाइना से भी ऑर्डर मिल चुका है. वर्तमान में शोभा गांव के किसानों को मिट्टी परीक्षण और जैविक खेती की ट्रेनिंग दे रहीं है. हर रोज शोभा की क्लास में दर्जनों लोग पहुंच रहें है. शोभा के मुताबिक कई सरकारी विभागों की योजनाओं से प्रशिक्षण लेने के बाद उसने गांव के लोगों को प्रशिक्षित करने की ठानी. शोभा कहती है कि उसका लक्ष्य गांव की लड़कियों को शिक्षित करना और मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाना है.
बाइट: शोभा
वीओ तीन: आज दिल्ली से लेकर मुंबई तक अपने समूह के कामकाज के सिलसिले में ऑर्डर लेने शोभा जाती है लेकिन शुरुआत में यह सम्भव नहीं था. खुद शोभा के पिता के मुताबिक एक बार शोभा को ट्रेनिंग के लिए बैंगलुरु जाना था लेकिन लडक़ी की चिंता के चलते उन्होंने मना कर दिया था जिसका मलाल उन्हें आज तक है.
बाइट: हुकुम सिंह: शोभा के पिता
वीओ चार: शोभा से जैविक खेती का प्रशिक्षण ले रहे गांव के बुजुर्ग और महिलाएं भी शोभा की तरक्की से खासे खुश है. गांव के लोगों के मुताबिक शोभा की वजह से आज उनके गांव का नक्शा बदल गया है. आज गांव की लड़कियां न सिर्फ शिक्षित हो रहीं है बल्कि स्वरोजगार के जरिये अपना भविष्य बना रहीं है. शुरुआत में सौ रुपये जमाकर शुरू हुई यह राह आज हर समूह सदस्य को सात हजार से ज्यादा का मुनाफा दे रहीं है.
बाइट: गोपाल: स्थानीय निवासी
बाइट:अतर सिंह: स्थानीय निवासी


Conclusion:वीओ पांच: पांचवी पास शोभा आज समाजशास्त्र में एम.ए की छात्रा है. उसके समूह की ज्यादातर लड़कियों ने ग्रेजुएशन पास करने के बाद शादी कर ली है लेकिन शोभा आज भी अपने मिशन में जुटी है. शोभा के बढ़ते कदमों के बाद आज उनके परिजन भी उसके साथ खड़े है. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि शोभा ने अपने इरादों से पूरे गांव की शोभा में चार चांद लगा दिए.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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