मुरादाबाद: पितृ विसर्जन अमावस्या 28 सितंबर को है. यह इस साल श्राद्ध पक्ष का आखिरी दिन है. अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए हिंदू समाज में श्राद्ध करने की परंपरा है. श्राद्ध के आखिरी दिन उन पितरों को भी लोग श्राद्ध कर विदाई देते हैं, जिनकी मृत्यु का समय ज्ञात नहीं होता है. दुनिया में बहुत से ऐसे लोग भी होते हैं, जिनकी मौत की जानकारी उनके परिजनों को भी नहीं हो पाती. जिले में आज पूरे साल लावारिश मिले ऐसे ही सैकड़ों शवों के मोक्ष के लिए उनके अस्थि कलश पूजा के बाद गंगा में प्रवाहित किये जाते हैं. साथ ही आज के दिन उनका श्राद्ध भी किया जाता है.
लावारिस शवों के प्रवाहित किए गए अस्थि कलश
जनपद में पिछले एक साल में सड़क, रेलवे स्टेशन, अस्पताल और अन्य जगहों पर मौत के गाल में समाने वाले इन शवों का अंतिम संस्कार पुलिस रिकार्ड में मौजूद है. इन शवों के मिलने के बाद पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम कराया जाता है और इनके परिजनों की तलाश में शवों को तीन दिन तक मोर्चरी में रखा जाता है. परिजनों के न आने पर पुलिस इन शवों को अंतिम संस्कार के लिए भिजवा देती है. धार्मिक मान्यताओं के आधार पर उन्हें अंतिम विदाई दी जाती है.
पढ़ें:- आज है महालया, पितृ विसर्जन पर पितरों को खुश करने के लिए करें ये उपाय
जनपद में इस साल लावारिस मिले शवों की संख्या 250 से अधिक है. लावारिस मिले शवों में 191 हिंदू शव और 78 मुस्लिम शव का अंतिम संस्कार किया गया. पितृ विसर्जन अमावस्या पर 191 हिंदू शवों के अस्थि कलश पूजा के बाद गंगा नदी में प्रवाहित करने के लिए भेजे गए हैं. अंतिम संस्कार कराने में योगदान देने वाले लोगों के मुताबिक उनके द्वारा पिछले 18 सालों में पांच हजार से ज्यादा लावारिस शवों को अंतिम विदाई दी गई है.