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आज 36 साल का हुआ जिला फिरोजाबाद, कई मूलभूत सुविधाओं की दरकार - FIROZABAD NEWS

रंग बिरंगी चूड़ियां फिरोजाबाद शहर की खास पहचान है. यहां लाखों मजदूरों को रोजगार मिलता है.

फिरोजाबाद
फिरोजाबाद (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 5, 2025, 2:00 PM IST

फिरोजाबाद: देश भर में चूड़ियों के शहर और कांच की नगरी के नाम से मशहूर फिरोजाबाद शहर को जनपद बने हुए आज यानी बुधवार (5 फरवरी) को 36 साल पूरे हो गए. इस दौरान जिले को कई सौगातें तो मिली है, लेकिन आज भी जिले के ऐसे तमाम इलाके है, जिनमें मूलभूत सुविधाओं की कमी है. आइये जानते है कि 36 साल के लंबे समयांतराल में जिले को क्या मिला? और अभी तक किस सुविधा की दरकार है.

फिरोजाबाद आगरा मंडल में आता है. रंग बिरंगी चूड़ियां इस शहर की खास पहचान है. यह चूड़ियां जहां महिलाओं के सौंदर्य में चार चांद लगाती है, तो वहीं यहां लाखों मजदूरों को रोजगार भी मिलता है.

फिरोजाबाद जनपद में पांच तहसीलें फिरोजाबाद सदर, टूण्डला, शिकोहाबाद, सिरसागंज और जसराना है. हर तहसील के हिसाब से यहां विधानसभा क्षेत्र भी है. यहां से पांच विधायक और एक सांसद चुने जाते है. जिले में नौ विकास खंड है. फिरोजाबाद शहर को एक लंबे आंदोलन के बाद पांच फरवरी 1989 को जनपद दर्जा मिला था. इस दौरान यूपी में कांग्रेस की सरकार थी और नारायण दत्त तिवारी यूपी के मुख्यमंत्री थे.

मुख्यमंत्री ने स्थानीय टीबी ग्राउंड मैदान में एक जनसभा के दौरान फिरोजाबाद जिले को जनपद का दर्जा दिया था. इससे पहले यह शहर आगरा जनपद की तहसील हुआ करता था. सरकार ने आगरा की सदर, टूण्डला और मैनपुरी जनपद की जसराना और शिकोहाबाद तहसील को फिरोजाबाद में शामिल किया. 1989 से साल 2025 तक यह जनपद 36 साल का हो गया. इतने बड़े अंतराल में जिले को काफी सौगात भी मिली.

जनपद को जिला अस्पताल की जगह मेडिकल कॉलेज मिला. नगर पालिका की नगर निगम मिला. पेयजल समस्या का समाधान हुआ और जेड़ाझाल परियोजना से शहर के लोगों की पेयजल समस्या का हल हुआ. जिला बनाओ आंदोलन समिति के सदस्य द्विजेन्द्र मोहन शर्मा और उमाकांत पचौरी का कहना है कि अभी भी तमाम काम ऐसे है जिनकी जनपद को दरकार है. फिरोजाबाद शहर के बस स्टैंड को अभी तक डिपो का दर्जा नहीं मिला. कई महत्वपूर्ण ट्रेनें भी यहां नहीं रुकती है.

मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं के विस्तार की जरूरत है, जिससे गंभीर रोगियों को आगरा रैफर न किया जाय. ग्रामीण इलाकों में खारे पानी की समस्या को दूर करना, ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना, किसी बड़ी आवासीय कॉलोनी की स्थापना, उच्च और टेक्निकल शिक्षा के लिए सरकारी शिक्षण संस्थान की स्थापना यह कमियां अभी भी खलती है.

यह भी पढ़ें: यूपी के फिरोजाबाद में रोजगार मेला आज, कई बड़ी कंपनियां युवाओं को देंगी नौकरी का मौका

यह भी पढ़ें: फिरोजाबाद महोत्सव में ब्रजरास और हास्य का संगम, अनवर साबरी ब्रदर्स ने झुमाया

फिरोजाबाद: देश भर में चूड़ियों के शहर और कांच की नगरी के नाम से मशहूर फिरोजाबाद शहर को जनपद बने हुए आज यानी बुधवार (5 फरवरी) को 36 साल पूरे हो गए. इस दौरान जिले को कई सौगातें तो मिली है, लेकिन आज भी जिले के ऐसे तमाम इलाके है, जिनमें मूलभूत सुविधाओं की कमी है. आइये जानते है कि 36 साल के लंबे समयांतराल में जिले को क्या मिला? और अभी तक किस सुविधा की दरकार है.

फिरोजाबाद आगरा मंडल में आता है. रंग बिरंगी चूड़ियां इस शहर की खास पहचान है. यह चूड़ियां जहां महिलाओं के सौंदर्य में चार चांद लगाती है, तो वहीं यहां लाखों मजदूरों को रोजगार भी मिलता है.

फिरोजाबाद जनपद में पांच तहसीलें फिरोजाबाद सदर, टूण्डला, शिकोहाबाद, सिरसागंज और जसराना है. हर तहसील के हिसाब से यहां विधानसभा क्षेत्र भी है. यहां से पांच विधायक और एक सांसद चुने जाते है. जिले में नौ विकास खंड है. फिरोजाबाद शहर को एक लंबे आंदोलन के बाद पांच फरवरी 1989 को जनपद दर्जा मिला था. इस दौरान यूपी में कांग्रेस की सरकार थी और नारायण दत्त तिवारी यूपी के मुख्यमंत्री थे.

मुख्यमंत्री ने स्थानीय टीबी ग्राउंड मैदान में एक जनसभा के दौरान फिरोजाबाद जिले को जनपद का दर्जा दिया था. इससे पहले यह शहर आगरा जनपद की तहसील हुआ करता था. सरकार ने आगरा की सदर, टूण्डला और मैनपुरी जनपद की जसराना और शिकोहाबाद तहसील को फिरोजाबाद में शामिल किया. 1989 से साल 2025 तक यह जनपद 36 साल का हो गया. इतने बड़े अंतराल में जिले को काफी सौगात भी मिली.

जनपद को जिला अस्पताल की जगह मेडिकल कॉलेज मिला. नगर पालिका की नगर निगम मिला. पेयजल समस्या का समाधान हुआ और जेड़ाझाल परियोजना से शहर के लोगों की पेयजल समस्या का हल हुआ. जिला बनाओ आंदोलन समिति के सदस्य द्विजेन्द्र मोहन शर्मा और उमाकांत पचौरी का कहना है कि अभी भी तमाम काम ऐसे है जिनकी जनपद को दरकार है. फिरोजाबाद शहर के बस स्टैंड को अभी तक डिपो का दर्जा नहीं मिला. कई महत्वपूर्ण ट्रेनें भी यहां नहीं रुकती है.

मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं के विस्तार की जरूरत है, जिससे गंभीर रोगियों को आगरा रैफर न किया जाय. ग्रामीण इलाकों में खारे पानी की समस्या को दूर करना, ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना, किसी बड़ी आवासीय कॉलोनी की स्थापना, उच्च और टेक्निकल शिक्षा के लिए सरकारी शिक्षण संस्थान की स्थापना यह कमियां अभी भी खलती है.

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