मिर्जापुर : सरकार एक तरफ किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है, वहीं मिर्जापुर के आलू किसानों का हाल यह है कि उनको आलू रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज तक नहीं मिल पा रहा है. जनपद के सभी किसान यूनियन की मांग है कि कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने की व्यवस्था करें अन्यथा आंदोलन के लिए वह बाध्य होंगे. यहां पर लगभग हजारों किसानों का नुकसान हो रहा है. किसान औने-पौने दाम पर आलू बेचने को मजबूर हैं.
'हजारों किसानों का हो रहा नुकसान'
चुनार तहसील के किसानों के आलू भंडारण के लिए बनाया गया पद्मावती कोल्ड स्टोरेज विवादों में घिरा है. ऐसे में आलू किसानों को परेशानी हो रही है. मार्च 2020 में बिना सूचना के जिला प्रशासन ने पद्मावती कोल्ड स्टोरेज की बिजली काट दी. बिजली काट कर किसानों से आलू निकालने को कह दिया. अब यहां पर किसानों का आलू नहीं रखा जा रहा है, जिससे इस साल नारायणपुर ब्लॉक के 25000 किसान प्रभावित हो रहे हैं. इस कोल्ड स्टोरेज में लगभग 50 हजार मीट्रिक टन आलू रखने की क्षमता है. अब किसान मजबूर हैं औने-पौने दाम पर आलू बेचने के लिए. या फिर किसान भाड़ा लगाकर अधिक दामों पर दूसरे कोल्ड स्टोरेज का रुख करें.
किसान संगठनों ने जिला प्रशासन को दी चेतावनी
पत्रकारों से बात करते हुए जिला मुख्यालय पर भारतीय किसान यूनियन (भानु), भारतीय किसान सेना, भारतीय किसान यूनियन और अपना दल (एस) किसान मंच के प्रतिनिधियों ने बताया कि चुनार तहसील में आलू किसानों के सामने भंडारण के लिए संकट पैदा हो गया है. स्वामित्व विवाद के कारण किसानों को परेशानी के साथ ही आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि कोल्ड स्टोरेज के बिजली कनेक्शन को मनमाने तरीके से काट दिया गया है. इसके चलते आलू किसानों को मजबूरन निकालकर औने-पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है. सरकार कोल्ड स्टोरेज में रखवाने की व्यवस्था नहीं करती है तो किसान आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे.
मजबूरी में औने-पौने दाम पर आलू बेच रहे किसान
जनवरी-फरवरी से कोल्ड स्टोरेज में नए आलू के भंडारण का काम शुरू हो जाता है. मगर इस बार चुनार पद्मावती कोल्ड स्टोरेज में आलू न रखे जाने से किसान बेहद परेशान हैं. चुनार तहसील में लगभग 2000 बीघे में आलू की खेती की जाती है. लगभग चार लाख बोरी आलू का उत्पादन होता है. लगभग एक लाख बोरी भंडारण क्षमता वाले पद्मावती शीतगृह में किसानों को भंडारण की सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है. यहां पर 180 रुपए प्रति कुंतल भंडारण किया जाता है, जबकि दूसरी जगहों पर भाड़ा लगाकर 25 से 40 किलोमीटर कछवा और सिखड़ जाने पर भी 230 रुपए लिया जा रहा है. साथ ही 500 रुपये तक की वसूली किसानों से की जा रही है. किसानों को डर है कि उन्हें आगे भी अपने आलू को औने-पौने दामों में ना बेचना पड़े.
भंडारण को लेकर किसान परेशान, औने-पौने दामों में आलू बेचने को मजबूर - आलू भंडारण
मिर्जापुर में किसानों ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उनके आलू रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नहीं की गई तो वह आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे. किसानों का कहना है कि कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नहीं होने से वो औने-पौने दामों में अपने आलू बेचने के लिए मजबूर हैं.
मिर्जापुर : सरकार एक तरफ किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है, वहीं मिर्जापुर के आलू किसानों का हाल यह है कि उनको आलू रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज तक नहीं मिल पा रहा है. जनपद के सभी किसान यूनियन की मांग है कि कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने की व्यवस्था करें अन्यथा आंदोलन के लिए वह बाध्य होंगे. यहां पर लगभग हजारों किसानों का नुकसान हो रहा है. किसान औने-पौने दाम पर आलू बेचने को मजबूर हैं.
'हजारों किसानों का हो रहा नुकसान'
चुनार तहसील के किसानों के आलू भंडारण के लिए बनाया गया पद्मावती कोल्ड स्टोरेज विवादों में घिरा है. ऐसे में आलू किसानों को परेशानी हो रही है. मार्च 2020 में बिना सूचना के जिला प्रशासन ने पद्मावती कोल्ड स्टोरेज की बिजली काट दी. बिजली काट कर किसानों से आलू निकालने को कह दिया. अब यहां पर किसानों का आलू नहीं रखा जा रहा है, जिससे इस साल नारायणपुर ब्लॉक के 25000 किसान प्रभावित हो रहे हैं. इस कोल्ड स्टोरेज में लगभग 50 हजार मीट्रिक टन आलू रखने की क्षमता है. अब किसान मजबूर हैं औने-पौने दाम पर आलू बेचने के लिए. या फिर किसान भाड़ा लगाकर अधिक दामों पर दूसरे कोल्ड स्टोरेज का रुख करें.
किसान संगठनों ने जिला प्रशासन को दी चेतावनी
पत्रकारों से बात करते हुए जिला मुख्यालय पर भारतीय किसान यूनियन (भानु), भारतीय किसान सेना, भारतीय किसान यूनियन और अपना दल (एस) किसान मंच के प्रतिनिधियों ने बताया कि चुनार तहसील में आलू किसानों के सामने भंडारण के लिए संकट पैदा हो गया है. स्वामित्व विवाद के कारण किसानों को परेशानी के साथ ही आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि कोल्ड स्टोरेज के बिजली कनेक्शन को मनमाने तरीके से काट दिया गया है. इसके चलते आलू किसानों को मजबूरन निकालकर औने-पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है. सरकार कोल्ड स्टोरेज में रखवाने की व्यवस्था नहीं करती है तो किसान आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे.
मजबूरी में औने-पौने दाम पर आलू बेच रहे किसान
जनवरी-फरवरी से कोल्ड स्टोरेज में नए आलू के भंडारण का काम शुरू हो जाता है. मगर इस बार चुनार पद्मावती कोल्ड स्टोरेज में आलू न रखे जाने से किसान बेहद परेशान हैं. चुनार तहसील में लगभग 2000 बीघे में आलू की खेती की जाती है. लगभग चार लाख बोरी आलू का उत्पादन होता है. लगभग एक लाख बोरी भंडारण क्षमता वाले पद्मावती शीतगृह में किसानों को भंडारण की सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है. यहां पर 180 रुपए प्रति कुंतल भंडारण किया जाता है, जबकि दूसरी जगहों पर भाड़ा लगाकर 25 से 40 किलोमीटर कछवा और सिखड़ जाने पर भी 230 रुपए लिया जा रहा है. साथ ही 500 रुपये तक की वसूली किसानों से की जा रही है. किसानों को डर है कि उन्हें आगे भी अपने आलू को औने-पौने दामों में ना बेचना पड़े.