मिर्जापुर: चुनार का किला जिस चट्टान पर बना है. यदि वह चट्टान न होती तो बनारस शहर न बसता. क्योंकि गंगा नदी इसी चट्टान से टकराकर उत्तर की दिशा में मुड़ जाती हैं. अधिकांश जगह इस क्षेत्र में सेंड स्टोन हैं. मगर जिस चट्टान पर किला बना है, वह ब्लैकस्टोन है. पानी के थपेड़ों के बाद भी वह चट्टान आज भी जस का तस बना हुआ है.
चट्टान से टकरा कर मुड़ी गंगा
देश के अधिकांश शहर नदियों के किनारे बसे हुए हैं. मिर्जापुर शहर भी गंगा नदी पर बसा हुआ है. मान्यता है कि चुनार का किला जिस चट्टान पर बना है, अगर वह चट्टान न होती तो बनारस शहर जहां बसा है वहां न बसता. क्योंकि चट्टान से टकराकर गंगा नदी यहीं से उत्तर दिशा में बहती हैं. इसलिए गंगा किनारे बनारस है.
सामरिक और व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान
इतिहासकार के. एम सिंह बताते हैं कि चुनार सामरिक और व्यापारिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है. आज भी गंगा नदी में कोई भी नाव या स्टीमर कहीं से बहकर आती हैं तो वहीं पर कर्व होकर लटक जाते हैं. अमूमन इस क्षेत्र में सेंड स्टोन हैं. सेंड स्टोन झरता है, मगर जिस पर किला बना है. वह ब्लैक स्टोन है. पानी के थपेड़ों के बाद भी वह चट्टान जस का तस है.
विक्रमादित्य ने कराया था किले का जीर्णोद्धार
गंगा से सटे होने की वजह से किले से टकराकर गंगा नदी की धारा उत्तर दिशा में हो जाती है. इसके बाद गंगा सीधे काशी की ओर चली जाती हैं. वहीं चट्टान पर बनेहजारों वर्ष पुराने चुनार के किले का उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने जीर्णोद्धार कराया था. इसका संदर्भ पुराण में वर्णित राजा भर्तहरि से है. किले का जिक्र अकबर कालीन इतिहासकार शेख अबुल फजल के आईने अकबरी में भी मिलता है. कहा जाता है कि देवकी नंदन खत्री ने अपने लोकप्रिय उपन्यास का 'चंद्रकांता' में रहस्य, रोमांच और तिलिस्मी ऐयारी की पृष्ठभूमि इन्हीं इलाकों से प्रभावित होकर दी थी.