मिर्जापुर: ऊर्जा राज्य मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल के गृह जनपद के विसुन्दरपुर कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना की एक हफ्ते से बिजली बिना सूचना के काट दी गई है. इस कारण कई परिवार बिना बिजली रहने को मजबूर हैं. पानी की जो व्यवस्था तो की गई है वह भी पर्याप्त नहीं है. उनका कहना है कि हमलोग रोज कमाने खाने वाले हैं.
उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार के दौरान मायावती ने अपनी सबसे महत्वकांक्षी कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना शुरू की थी. इसके तहत लाखों गरीबों को रहने के लिए मुफ्त में घर दिए गए थे. मायावती की यह योजना पूरे देश में चर्चा का विषय बनी थी, लेकिन योगी सरकार में एक बार फिर कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना चर्चा में है. क्योंकि मिर्जापुर के विसुन्दरपुर कांशीराम शहरी गरीब आवास की बिजली काट दी गई है. इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि इन आवासों में रहने वाले लोगों ने बिल जमा नहीं किया है. लोगों का कहना है कि यूपी बोर्ड की परीक्षा नजदीक है. बच्चों को पढ़ाई से लेकर सोने तक की समस्या हो रही है. रात में सोते वक्त मच्छरों के आतंक से परेशान हैं. 372 आवासों की बिजली काटे जाने के चलते यहां के लोग नाराज हैं. इन घरों में रहने वालों का आरोप है कि बिजली विभाग ने कभी न बिल भेजा और इस बीच न उन्होंने कोई नोटिस दिया. बिना बताए कनेक्शन काट दिया. पिछले 8 दिन से कांशीराम आवास अंधेरे में डूबे हैं. जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक गुहार लगाई जा रहा है, लेकिन केवल आश्वासन ही दिया जा रहा है.
परिवार अंधेरे में रहने को मजबूर
मिर्जापुर जनपद बसपा सरकार के दौरान विसुन्दरपुर, कछवा, चुनार, अहरौरा और कंतित में कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना के तहत आवास बनाए गए थे. 9 अक्टूबर 2008 को मायावती ने शिलान्यास किया था. बीपीएल कार्ड धारक पात्रों को 2010 में विसुन्दरपुर में 372 लोगों को कांशीराम आवास आवंटित किए गए थे. घर के साथ ही उन्हें बिजली के कनेक्शन बिजली विभाग ने दिए थे और मीटर भी लगाया था. 2014 तक कुछ लोगों ने बिल जमा किया था, कुछ लोगों ने अभी बिल जमा नहीं किया है. 2014 के बाद न तो यहां के लोगों ने बिजली बिल जमा किया है और न ही कोई बिजली विभाग का कर्मचारी इन से बिजली बिल वसूली करने गया और न कोई बिजली बिल दिया गया. उनका कहना है कि बसपा सरकार में 95 रुपये महीने का बिल आता था, लेकिन सरकार बदलने के बाद सपा में 800 रुपये महीने कर दिया गया. इसके बाद बिल इतना महंगा हो गया कि लोगों ने जमा करना बंद कर दिया. इनका कहना है कि रोज कमाने खाने वाले लोग इतना बिल कहां से दे सकते हैं. किसी का 80 हजार तो किसी का लाखों रुपये बकाया हो गया है. वर्तमान में 250 परिवार बिजली काटे जाने से प्रभावित हैं. अभी भी इस आवास में 134 लोगों का केवल कनेक्शन हो पाया है. कुछ लोगों ने आवास तो आवंटित करा लिया, लेकिन यहां रहते नहीं हैं.
बिजली विभाग से लेकर जनप्रतिनिधियों तक लगा रहे गुहार
बिजली विभाग ने लाखों रुपये बकाया होने की वजह से 8 दिन पहले कांशीराम आवास की बिजली कटवा दी गई. तब से 372 घरों में अंधेरा है. बिजली कटने के चलते पानी की समस्या होने लगी, तो आवास में रह रहे लोगों ने बिजली विभाग का चक्कर काटना शुरू कर दिया. परेशानी को देखते हुए बिजली विभाग ने पानी की टंकी का कनेक्शन जुड़वा दिया, ताकि पेयजल संकट न होने पाए. वहीं, स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि बिजली विभाग ने बिना बताएं कनेक्शन काट दिया है. इसको लेकर जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक गुहार लगा रहे हैं. कोई सुनने वाला नहीं है. अंधेरे में रहने को बेबस हैं.
पढ़ें: महिलाएं करेंगी बिजली के बिल की वसूली, रीडिंग भी करेंगी नोट
बिजली विभाग के एक्सईएन ने दी जानकारी
बिजली विभाग के एक्सईएन मनोज यादव से जब संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा बिजली नहीं काटी गई है. ऊपर लेवल का मामला है. आवास में रह रहे लोग 30 प्रतिशत बिजली बिल आखिरी मार्च तक जमा करते हैं, तो उनके कनेक्शन हो जाएंगे. बकाया ज्यादा होने पर विभाग को मजबूरन कनेक्शन काटना पड़ा है. वहीं, आवास में रह रहे लोगों का कहना है कि इससे अच्छी तो मायावती की सरकार थी. हम लोगों को फ्री में आवास दिए थे. बिजली भी बहुत सस्ती मिल रही थी, लेकिन जब से सरकार चली गई है, तब से हम लोगों को आए दिन परेशान किया जा रहा है.