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आखिर क्यों सुबह के वक्त ही दी जाती है फांसी?

निर्भया मामले में दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी, जिसकी तैयारी जेल प्रशासन ने पूरी कर ली है. आज हम आपको बताने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्यों किसी भी दोषी को फांसी सुबह के वक्त ही जाती है.

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आखिर क्यों सुबह के वक्त ही दी जाती है फांसी?
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Published : Jan 15, 2020, 12:49 PM IST

मेरठ: निर्भया केस में चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है. 22 जनवरी की सुबह 7 बजे चारों दोषियों को फांसी दी जाएगी, जिसकी तैयारी जेल प्रशासन ने पूरी कर ली है. क्या आप जानते हैं कि किसी भी दोषी को फांसी सुबह के वक्त ही क्यों दी जाती है, क्यों नहीं इसके लिए दोपहर या शाम या फिर रात का वक्त चुना जाता है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जो कि प्रशासनिक, व्यावहारिक और सामाजिक पहलुओं से जुड़े हो सकते हैं.


जेल मैनुअल के मुताबिक जेल के सभी काम सूरज उगने के बाद शुरू किए जाते हैं और फांसी की वजह से जेल के बाकी के कामों पर असर न पड़े इसलिए फांसी सुबह के वक्त दी जाती है. सुबह के वक्त बाकी कैदी सो रहे होते हैं और जिस कैदी को फांसी दी जानी है उसे पूरे दिन का इंतजार नहीं करना पड़ता.

आखिर क्यों सुबह के वक्त ही दी जाती है फांसी?


फांसी का टाइम महीने और मौसम के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है. फांसी देने के बाद शव को परिवार को सौंप दिया जाता है. भारत में आखिरी फांसी याकूब मेमन को साल 2015 में दी गई थी जो कि मुंबई बम ब्लास्ट का दोषी था.

मेरठ: निर्भया केस में चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है. 22 जनवरी की सुबह 7 बजे चारों दोषियों को फांसी दी जाएगी, जिसकी तैयारी जेल प्रशासन ने पूरी कर ली है. क्या आप जानते हैं कि किसी भी दोषी को फांसी सुबह के वक्त ही क्यों दी जाती है, क्यों नहीं इसके लिए दोपहर या शाम या फिर रात का वक्त चुना जाता है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जो कि प्रशासनिक, व्यावहारिक और सामाजिक पहलुओं से जुड़े हो सकते हैं.


जेल मैनुअल के मुताबिक जेल के सभी काम सूरज उगने के बाद शुरू किए जाते हैं और फांसी की वजह से जेल के बाकी के कामों पर असर न पड़े इसलिए फांसी सुबह के वक्त दी जाती है. सुबह के वक्त बाकी कैदी सो रहे होते हैं और जिस कैदी को फांसी दी जानी है उसे पूरे दिन का इंतजार नहीं करना पड़ता.

आखिर क्यों सुबह के वक्त ही दी जाती है फांसी?


फांसी का टाइम महीने और मौसम के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है. फांसी देने के बाद शव को परिवार को सौंप दिया जाता है. भारत में आखिरी फांसी याकूब मेमन को साल 2015 में दी गई थी जो कि मुंबई बम ब्लास्ट का दोषी था.

Intro:मेरठ: फांसी के समय को लेकर एक्सपर्ट की राय

नोट- यह इनपुट शारिक जी द्वारा मांगा गया था। कृपया उन्हें उपलब्ध करा दें।




Body:मेरठ। सुबह के समय फांसी देने को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि जेल मैनुअल में समय को लेकर कोई निश्चित बाध्यता नहीं है। फैसला सुनाने वाली कोर्ट ही फांसी का समय तय करती है। कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार ही फांसी देने का उल्लेख जेल मैनुअल में है।

बाइट- डॉ ओपी शर्मा, पूर्व अध्यक्ष मेरठ बार एसोसिएशन
बाइट- चंद्रमोहन शर्मा, रिटायर्ड वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी

फोटो जेल मैनुअल

अजय चौहान
9897799794


Conclusion:बाइट- डॉ ओपी शर्मा, पूर्व अध्यक्ष मेरठ बार एसोसिएशन
बाइट- चंद्रमोहन शर्मा, रिटायर्ड वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी

फोटो जेल मैनुअल

अजय चौहान
9897799794
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