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बाइक बोट घोटालाः नोबेल बैंक के सीईओ विजय कुमार शर्मा गिरफ्तार

बाइक बोट घोटाले में नोबेल कॉपरेटिव बैंक के सीईओ विजय शर्मा को EOW ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस विजय शर्मा से पूछताछ में जुटी है.

नोबेल कॉपरेटिव बैंक के सीईओ विजय शर्मा
नोबेल कॉपरेटिव बैंक के सीईओ विजय शर्मा
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Published : Nov 19, 2020, 10:32 PM IST

मेरठ: 3500 करोड़ के बाइक बोट घोटाले में नोबेल कॉपरेटिव बैंक के सीईओ विजय शर्मा को EOW मेरठ ने गिरफ्तार किया है. बैंक के सीईओ विजय शर्मा पर बाइक बोट के 70 करोड़ रुपये अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनियों में लगाने का आरोप है. उन पर निवेश के नाम पर ग्राहकों से ठगी करने का भी आरोप है. वह निवेशकों के पैसे को इधर-उधर भी करते रहे हैं. निवेशकों ने पैसे की मांग की तो उन्हें खाली पड़े बैंक खातों के चेक थमा दिए गए. निवेशकों ने चेक खातों में लगाए तो वे बाउंस हो गए. इसके बाद बैंक के ग्राहकों और निवेशकों ने विजय शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. EOW की टीम ने गुरुवार को विजय शर्मा को नोएडा से गिरफ्तार किया है. फिलहाल EOW की टीम विजय शर्मा से पूछताछ कर रही है.

कौन हैं विजय शर्मा
बाइक बोट घोटाले का मुख्य आरोपी विजय शर्मा मूल रूप से हाथरस का रहने वाला है. 2003 में विजय शर्मा ने नोबल बैंक की स्थापना की थी. इस बैंक की 8 ब्रांचों में से 4 नोएडा में हैं. बैंक खोले जाने के बाद ग्राहकों ने पैसा जमा करना शुरू कर दिया. विजय शर्मा ने बड़े बेटे गोविंद भारद्वाज को लीगल एडवाइजर एवं पर्सनल सेकेट्री बनाया हुआ था, जबकि छोटे बेटे को बैंक का डिप्टी सीईओ का पद दिया था.

बिना KYC के खुलवाए बड़ी कंपनियों के खाते
EOW की पूछताछ में विजय शर्मा ने बताया कि 2018 में विजेंदर सिंह हुड्डा और संजय भाटी ने जीआईपीएल कंपनी और अन्य कंपनियों के अपने बैंक में बिना KYC की शर्त पूरी किए खाते खुलवाए थे. ये पूरी तरह से गैरकानूनी है. विजय शर्मा ने इनके साथ मिलकर न सिर्फ ग्राहकों के पैसे को इधर-उधर कर दिया, बल्कि नियम और कानून की खूब धज्जियां उड़ाईं. इतना ही नही संजय भाटी की मांग पर कैश काउंटिंग की मशीन जीआईपीएल कंपनी के नोएडा कार्यलय में उपलब्ध कराई गई.

चेक पर बिना हस्ताक्षर के बांट दिया निवेशकों का पैसा
EOW की टीम ने ग्राहकों की शिकायत पर मामले को गंभीरता से लेकर जांच की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. विजय शर्मा ने बिना चेकों पर हस्ताक्षर हुए ही बैंक से निवेशकों के पैसे का कई पार्टियों को नकद भुगतान कर दिया. संजय भाटी की कंपनी जीआईपीएल और विजेंद्र सिंह हुड्डा की कंपनियों के जुड़ने के बाद बैंक में ज्यादा काम आने लगा था. जीआईपीएल कंपनी में निवेशकों का 60-70 करोड़ रुपये नकद आया था. संजय भाटी से सांठगांठ कर विजय शर्मा ने उस पैसे को अपनी कंस्ट्रक्शन वाइट हाउस ग्रेटर नोएडा में लगा दिया. जीआईपीएल और आईटीवी कंपनी के खातों में आया 7 करोड़ 50 लाख रुपये भी अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी में लगा लिए. बैंक ग्राहकों और निवेशकों के पैसे को अन्य कंपनियों ने लगाना शुरू कर दिया. इससे ग्राहकों को किस्तों में मिलने वाला पैसा बंद हो गया.

नियम विरुद्ध बांट दिया करोड़ों का लोन
नोबल बैंक के सीईओ विजय शर्मा ने मनमानी कर बिजेंद्र सिंह हुड्डा की पीटीपीएल, आईटीवी और गर्वित इंफ्राटेक कंपनी के नाम पर गाड़ियों के लिए नियम के खिलाफ 2 करोड़ 10 लाख का लोन बांट दिया. जीआईपीएल कंपनी के निवेशकों को जब किस्तों में मिलने वाला पैसा नहीं मिला तो सभी लोग दुःखी होकर कंपनियों के चक्कर काटने लगे. कंपनी में जाकर अधिकारियों के साथ झगड़ा होने लगा. ग्राहकों को शांत करने के लिए कई बार पुलिस तक बुलाई गई. निवेशकों को पैसा मिलने की उम्मीद खत्म होने लगी तो निवेशकों को पुलिस में शिकायत करनी पड़ी.

निवेशकों को बांट दिए फर्जी चेक
कंपनी की धांधली बढ़ती देख निवेशकों का गुस्सा फुट पड़ा. निवेशकों के गुस्से को शांत करने के लिए विजय शर्मा ने बिजेंद्र हुड्डा और संजय भाटी के कहने पर अपराधिक षड्यंत्र के तहत नोबेल बैंक के नाम से लाखों फर्जी चेक छपवा लिए. इतना ही नहीं, जब निवेशकों और ग्राहकों ने पैसे की मांग की तो विजय कुमार ने 2.61 लाख चेक निवेशकों को बांट दिए. विजय शर्मा और जीआईपीएल कंपनी के डायरेक्टर निवेशकों को फर्जी चेक बांटकर गुमराह करते रहे.

चेक बाउंस होने पर हुआ खुलासा
बैंक से मिले चेकों को निवेशकों ने बैंक खातों में चेक जमा कर दिए. महीनों गुजरने के बाद भी उनके चेक कैश नहीं हो पाए. जब निवेशकों ने बैंक पहुंचकर इस बाबत जानकारी चाही तो बैंककर्मियों की बात सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. बैंक मैनेजर ने बताया कि उनके द्वारा लगाये गए चेक फर्जी हैं और बाउंस हो चुके हैं.

इसके बाद निवेशकों का गुस्सा फूट पड़ा और एक बार फिर पुलिस में शिकायत करनी पड़ी. शिकायत के बाद पुलिस और EOW की टीम ने सयुंक्त रूप से जांच पड़ताल शुरू कर दी. यहां भी अपने आप को बचाने के लिए विजय शर्मा ने चेक बाउंस होने का ठीकरा बैंक मैनेजर आरके नागपाल के सिर फोड़ दिया. इसके बाद उसको दोषी मानते हुए बर्खास्त करा दिया. बैंक मैनेजर आरके नागपाल ने लिखित बयान देकर बताया कि बैंक की सभी गतिविधियां और सभी कार्य विजय शर्मा के कहने पर किये जाते थे.

EOW मेरठ सेक्टर के अपर पुलिस अधीक्षक डॉ सुरेश राम यादव ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर बाइक बोट घोटाले के आरोपी विजय शर्मा को उसके नोएडा स्थित आवास से गिरफ्तार किया है. विजय शर्मा से पूछताछ की जा रही है. संजय भाटी और बिजेंद्र सिंह हुड्डा के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है.

मेरठ: 3500 करोड़ के बाइक बोट घोटाले में नोबेल कॉपरेटिव बैंक के सीईओ विजय शर्मा को EOW मेरठ ने गिरफ्तार किया है. बैंक के सीईओ विजय शर्मा पर बाइक बोट के 70 करोड़ रुपये अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनियों में लगाने का आरोप है. उन पर निवेश के नाम पर ग्राहकों से ठगी करने का भी आरोप है. वह निवेशकों के पैसे को इधर-उधर भी करते रहे हैं. निवेशकों ने पैसे की मांग की तो उन्हें खाली पड़े बैंक खातों के चेक थमा दिए गए. निवेशकों ने चेक खातों में लगाए तो वे बाउंस हो गए. इसके बाद बैंक के ग्राहकों और निवेशकों ने विजय शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. EOW की टीम ने गुरुवार को विजय शर्मा को नोएडा से गिरफ्तार किया है. फिलहाल EOW की टीम विजय शर्मा से पूछताछ कर रही है.

कौन हैं विजय शर्मा
बाइक बोट घोटाले का मुख्य आरोपी विजय शर्मा मूल रूप से हाथरस का रहने वाला है. 2003 में विजय शर्मा ने नोबल बैंक की स्थापना की थी. इस बैंक की 8 ब्रांचों में से 4 नोएडा में हैं. बैंक खोले जाने के बाद ग्राहकों ने पैसा जमा करना शुरू कर दिया. विजय शर्मा ने बड़े बेटे गोविंद भारद्वाज को लीगल एडवाइजर एवं पर्सनल सेकेट्री बनाया हुआ था, जबकि छोटे बेटे को बैंक का डिप्टी सीईओ का पद दिया था.

बिना KYC के खुलवाए बड़ी कंपनियों के खाते
EOW की पूछताछ में विजय शर्मा ने बताया कि 2018 में विजेंदर सिंह हुड्डा और संजय भाटी ने जीआईपीएल कंपनी और अन्य कंपनियों के अपने बैंक में बिना KYC की शर्त पूरी किए खाते खुलवाए थे. ये पूरी तरह से गैरकानूनी है. विजय शर्मा ने इनके साथ मिलकर न सिर्फ ग्राहकों के पैसे को इधर-उधर कर दिया, बल्कि नियम और कानून की खूब धज्जियां उड़ाईं. इतना ही नही संजय भाटी की मांग पर कैश काउंटिंग की मशीन जीआईपीएल कंपनी के नोएडा कार्यलय में उपलब्ध कराई गई.

चेक पर बिना हस्ताक्षर के बांट दिया निवेशकों का पैसा
EOW की टीम ने ग्राहकों की शिकायत पर मामले को गंभीरता से लेकर जांच की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. विजय शर्मा ने बिना चेकों पर हस्ताक्षर हुए ही बैंक से निवेशकों के पैसे का कई पार्टियों को नकद भुगतान कर दिया. संजय भाटी की कंपनी जीआईपीएल और विजेंद्र सिंह हुड्डा की कंपनियों के जुड़ने के बाद बैंक में ज्यादा काम आने लगा था. जीआईपीएल कंपनी में निवेशकों का 60-70 करोड़ रुपये नकद आया था. संजय भाटी से सांठगांठ कर विजय शर्मा ने उस पैसे को अपनी कंस्ट्रक्शन वाइट हाउस ग्रेटर नोएडा में लगा दिया. जीआईपीएल और आईटीवी कंपनी के खातों में आया 7 करोड़ 50 लाख रुपये भी अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी में लगा लिए. बैंक ग्राहकों और निवेशकों के पैसे को अन्य कंपनियों ने लगाना शुरू कर दिया. इससे ग्राहकों को किस्तों में मिलने वाला पैसा बंद हो गया.

नियम विरुद्ध बांट दिया करोड़ों का लोन
नोबल बैंक के सीईओ विजय शर्मा ने मनमानी कर बिजेंद्र सिंह हुड्डा की पीटीपीएल, आईटीवी और गर्वित इंफ्राटेक कंपनी के नाम पर गाड़ियों के लिए नियम के खिलाफ 2 करोड़ 10 लाख का लोन बांट दिया. जीआईपीएल कंपनी के निवेशकों को जब किस्तों में मिलने वाला पैसा नहीं मिला तो सभी लोग दुःखी होकर कंपनियों के चक्कर काटने लगे. कंपनी में जाकर अधिकारियों के साथ झगड़ा होने लगा. ग्राहकों को शांत करने के लिए कई बार पुलिस तक बुलाई गई. निवेशकों को पैसा मिलने की उम्मीद खत्म होने लगी तो निवेशकों को पुलिस में शिकायत करनी पड़ी.

निवेशकों को बांट दिए फर्जी चेक
कंपनी की धांधली बढ़ती देख निवेशकों का गुस्सा फुट पड़ा. निवेशकों के गुस्से को शांत करने के लिए विजय शर्मा ने बिजेंद्र हुड्डा और संजय भाटी के कहने पर अपराधिक षड्यंत्र के तहत नोबेल बैंक के नाम से लाखों फर्जी चेक छपवा लिए. इतना ही नहीं, जब निवेशकों और ग्राहकों ने पैसे की मांग की तो विजय कुमार ने 2.61 लाख चेक निवेशकों को बांट दिए. विजय शर्मा और जीआईपीएल कंपनी के डायरेक्टर निवेशकों को फर्जी चेक बांटकर गुमराह करते रहे.

चेक बाउंस होने पर हुआ खुलासा
बैंक से मिले चेकों को निवेशकों ने बैंक खातों में चेक जमा कर दिए. महीनों गुजरने के बाद भी उनके चेक कैश नहीं हो पाए. जब निवेशकों ने बैंक पहुंचकर इस बाबत जानकारी चाही तो बैंककर्मियों की बात सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. बैंक मैनेजर ने बताया कि उनके द्वारा लगाये गए चेक फर्जी हैं और बाउंस हो चुके हैं.

इसके बाद निवेशकों का गुस्सा फूट पड़ा और एक बार फिर पुलिस में शिकायत करनी पड़ी. शिकायत के बाद पुलिस और EOW की टीम ने सयुंक्त रूप से जांच पड़ताल शुरू कर दी. यहां भी अपने आप को बचाने के लिए विजय शर्मा ने चेक बाउंस होने का ठीकरा बैंक मैनेजर आरके नागपाल के सिर फोड़ दिया. इसके बाद उसको दोषी मानते हुए बर्खास्त करा दिया. बैंक मैनेजर आरके नागपाल ने लिखित बयान देकर बताया कि बैंक की सभी गतिविधियां और सभी कार्य विजय शर्मा के कहने पर किये जाते थे.

EOW मेरठ सेक्टर के अपर पुलिस अधीक्षक डॉ सुरेश राम यादव ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर बाइक बोट घोटाले के आरोपी विजय शर्मा को उसके नोएडा स्थित आवास से गिरफ्तार किया है. विजय शर्मा से पूछताछ की जा रही है. संजय भाटी और बिजेंद्र सिंह हुड्डा के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है.

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