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चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी ने तैयार किया खास लैमिनेटेड ग्लास, अब देश बनेगा आत्मनिर्भर - मेरठ में लैमिनेटेड ग्लास

मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (chaudhary charan singh university meerut) की केमिस्ट्री लैब में ही विशेष लेमिनेटिड ग्लास तैयार किया गया है. विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग ने शोध कार्य में तीन तकनीक विकसित की गई हैं, जिसके द्वारा प्रदेश में वास्तुकला, ऑटोमोबाइल और सुरक्षा के कांच बनाए जा सकेंगे.

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चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय
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Published : Sep 3, 2022, 8:45 PM IST

मेरठ: चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी (chaudhary charan singh university meerut) प्रदेश की ऐसी पहली यूनिवर्सिटी बन गई है, जिसने लेबग्रेड तकनीक को विश्वविद्यालय की केमिस्ट्री लैब (Chemistry Lab Chaudhary Charan Singh University) से इंडस्ट्री तक पहुंचाया है. यहां तैयार किए गए लैमिनेटेड ग्लास को देश की इंडस्ट्री में ही बनाया जा सकेगा, यानी अब वास्तुकला कांच (Architectural glass), ऑटोमोबाइल कांच (Automobile glass), सुरक्षा कांच (Security glass) देश के मैटीरियल से ही तैयार हो सकते हैं.

रसायन विज्ञान के एचओडी डॉक्टर आरके सोनी का कहना है कि रसायन विज्ञान विभाग में पॉलीविनाइल ब्यूट्रील (PVB) सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली इंटरलेयर सामग्री है. भारत में अब तक PVB शीट चीन से आयात की जाती हैं और सुरक्षित गिलास के निर्माण में उपयोग की जाती हैं. इन उत्पादों के रेलवे, ऑटोमोबाइल, ऊंची इमारत (संरचनात्मक और वास्तुशिल्प), रक्षा, विमान, समुद्री जहाजों मुख्य उपभोक्ता हैं. अब हमारा देश इसमें आत्मनिर्भर बनेगा.

लैमिनेटेड ग्लास के बारे में जानकारी देते चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के शोधकर्ता
इस खास रिसर्च के लिए एक कम्पनी से चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने करार किया था. जिसके बाद रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर आरके सोनी और सह आचार्य डॉक्टर मीनू तेवतिया ने इस काम को किया. डॉक्टर मीनू तेवतिया ने बताया कि इस शोध कार्य को पेटेंट भी करा लिया गया है. चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के कुलपति का कहना है कि ये बेहद ही गर्व की बात है कि पहली बार प्रदेश के विश्वविद्यालय को किसी इंडस्ट्री ने आगे बढ़कर रिसर्च के लिए फंडिंग की और टेक्नोलॉजी को खरीदा. यूनिवर्सिटी के द्वारा विकसित की गई तकनीक को सिद्धिविनायक एंटरप्राइजेज कंपनी (Siddhivinayak Enterprises Company) ने 50 लाख रुपये में खरीदा है.

यह भी पढ़ें: जिन्हें अपनों ने ठुकराया उन्हें सरकार की इस योजना से मिला जीवनदान

बता दें कि 2015 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (भारत सरकार) और सिद्धिविनायक इंडस्ट्रीज, लुधियाना द्वारा डेवलपमेंट ऑफ नॉवेल यूवी एंड थर्मल क्यूरेबल फॉर्मूलेशन फॉर ग्लास स्ट्रक्चरल और आर्किटेक्चरल एप्लीकेशन्स (Development of novel UV and thermal curable formulation for glass for structural and architechtural applications) नामक रिसर्च प्रोजेक्ट प्रो० आर के सोनी को दिया गया था. जिस पर यूनिवर्सिटी की टीम रिसर्च कर रही थी.

मेरठ: चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी (chaudhary charan singh university meerut) प्रदेश की ऐसी पहली यूनिवर्सिटी बन गई है, जिसने लेबग्रेड तकनीक को विश्वविद्यालय की केमिस्ट्री लैब (Chemistry Lab Chaudhary Charan Singh University) से इंडस्ट्री तक पहुंचाया है. यहां तैयार किए गए लैमिनेटेड ग्लास को देश की इंडस्ट्री में ही बनाया जा सकेगा, यानी अब वास्तुकला कांच (Architectural glass), ऑटोमोबाइल कांच (Automobile glass), सुरक्षा कांच (Security glass) देश के मैटीरियल से ही तैयार हो सकते हैं.

रसायन विज्ञान के एचओडी डॉक्टर आरके सोनी का कहना है कि रसायन विज्ञान विभाग में पॉलीविनाइल ब्यूट्रील (PVB) सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली इंटरलेयर सामग्री है. भारत में अब तक PVB शीट चीन से आयात की जाती हैं और सुरक्षित गिलास के निर्माण में उपयोग की जाती हैं. इन उत्पादों के रेलवे, ऑटोमोबाइल, ऊंची इमारत (संरचनात्मक और वास्तुशिल्प), रक्षा, विमान, समुद्री जहाजों मुख्य उपभोक्ता हैं. अब हमारा देश इसमें आत्मनिर्भर बनेगा.

लैमिनेटेड ग्लास के बारे में जानकारी देते चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के शोधकर्ता
इस खास रिसर्च के लिए एक कम्पनी से चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने करार किया था. जिसके बाद रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर आरके सोनी और सह आचार्य डॉक्टर मीनू तेवतिया ने इस काम को किया. डॉक्टर मीनू तेवतिया ने बताया कि इस शोध कार्य को पेटेंट भी करा लिया गया है. चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के कुलपति का कहना है कि ये बेहद ही गर्व की बात है कि पहली बार प्रदेश के विश्वविद्यालय को किसी इंडस्ट्री ने आगे बढ़कर रिसर्च के लिए फंडिंग की और टेक्नोलॉजी को खरीदा. यूनिवर्सिटी के द्वारा विकसित की गई तकनीक को सिद्धिविनायक एंटरप्राइजेज कंपनी (Siddhivinayak Enterprises Company) ने 50 लाख रुपये में खरीदा है.

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बता दें कि 2015 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (भारत सरकार) और सिद्धिविनायक इंडस्ट्रीज, लुधियाना द्वारा डेवलपमेंट ऑफ नॉवेल यूवी एंड थर्मल क्यूरेबल फॉर्मूलेशन फॉर ग्लास स्ट्रक्चरल और आर्किटेक्चरल एप्लीकेशन्स (Development of novel UV and thermal curable formulation for glass for structural and architechtural applications) नामक रिसर्च प्रोजेक्ट प्रो० आर के सोनी को दिया गया था. जिस पर यूनिवर्सिटी की टीम रिसर्च कर रही थी.

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