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भ्रष्टाचार के खिलाफ जब शासन-प्रशासन का नहीं मिला साथ तो 'गांधी' ने मांगी इच्छामृत्यु

छोटेलाल गांधी नगर पालिका परिषद के पूर्व सदस्य व वर्तमान में श्री गंगा तमसा सेवा समिति के महामंत्री हैं. वह तमाम सामाजिक मुद्दों से जुड़े विरोध प्रदर्शनों में हमेशा सक्रिय रहते हैं. छोटेलाल गांधी ने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ कई बार पत्र लिखकर जांच की मांग की.

छोटेलाल गांधी
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Published : Feb 13, 2019, 1:24 PM IST

मऊ: स्वतंत्रता आंदोलन के समय महात्मा गांधी ने अहिंसा और अनशन को अंग्रेजी शासन के खिलाफ अपना हथियार बनाया था. देश आजाद हुआ, लेकिन आजादी मिलने के दशकों बाद भी देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी है. भ्रष्टाचार के खिलाफ मऊ जनपद के रहने वाले छोटेलाल गांधी ने भी जंग छेड़ रखी है, लेकिन जब उनकी इस लड़ाई में शासन-प्रशासन ने उनका साथ नहीं दिया तो दुखी होकर गांधी ने इच्छामृत्यु की मांग कर डाली.

जानकारी देते छोटेलाल गांधी.
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छोटेलाल गांधी नगर पालिका परिषद के पूर्व सदस्य व वर्तमान में श्री गंगा तमसा सेवा समिति के महामंत्री हैं. वह तमाम सामाजिक मुद्दों से जुड़े विरोध प्रदर्शनों में हमेशा सक्रिय रहते हैं. छोटेलाल गांधी ने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ कई बार पत्र लिखकर जांच की मांग की. इस पर जब कार्रवाई न हुई तो उन्होंने मजबूर होकर राज्यपाल, मुख्य नयायाधीश और जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की.

छोटेलाल गांधी ने बताया कि उन्होंने जिले के अधिकारियों को पत्र देकर 8 मार्च को इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है. यदि इच्छामृत्यु की अनुमति नहीं मिलती है तो 15 दिनों के बाद वैधानिक नोटिस देकर वह आत्मदाह करने पर विवश होंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि जिले में कानून की अवमानना और हत्या की जा रही है. सरकार कानून का राज चलाने की बात करती है लेकिन कानून के रक्षक ही भक्षक बन गए हैं.

उन्होंने कहा कि दिसंबर 2006 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में तत्कालीन जिलाधिकारी मुकेश कुमार ने पत्र जारी कर सार्वजनिक जलप्रणालियों व तालाबों से अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया था. जबकि वर्तमान में तहसीलदार पैसा लेकर अवैध कब्जा करा रहा है.

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गांधी ने बताया कि उन्होंने आरटीआई के तहत सूचना भी मांगी थी, लेकिन किसी भी प्रकार की लिखित सूचना नहीं दी गई और न ही राजस्व अधिकारियों ने कार्रवाई की. जिले के तमाम जलाशयों का अस्तित्व समाप्त हो गया है जो बचा है उस पर भूमाफियाओं द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है. अतिक्रमण पर कार्रवाई के संबंध में तहसीलदार और जिलाधिकारी ने सूचना नहीं दी है. जबकि जिलाधिकारी एक महीने में सूचना देने की बात कहते हैं. भ्रष्टाचारी जब तक जेल नहीं जाएंगे तब तक मैं न्याय के लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा.

मऊ: स्वतंत्रता आंदोलन के समय महात्मा गांधी ने अहिंसा और अनशन को अंग्रेजी शासन के खिलाफ अपना हथियार बनाया था. देश आजाद हुआ, लेकिन आजादी मिलने के दशकों बाद भी देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी है. भ्रष्टाचार के खिलाफ मऊ जनपद के रहने वाले छोटेलाल गांधी ने भी जंग छेड़ रखी है, लेकिन जब उनकी इस लड़ाई में शासन-प्रशासन ने उनका साथ नहीं दिया तो दुखी होकर गांधी ने इच्छामृत्यु की मांग कर डाली.

जानकारी देते छोटेलाल गांधी.
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छोटेलाल गांधी नगर पालिका परिषद के पूर्व सदस्य व वर्तमान में श्री गंगा तमसा सेवा समिति के महामंत्री हैं. वह तमाम सामाजिक मुद्दों से जुड़े विरोध प्रदर्शनों में हमेशा सक्रिय रहते हैं. छोटेलाल गांधी ने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ कई बार पत्र लिखकर जांच की मांग की. इस पर जब कार्रवाई न हुई तो उन्होंने मजबूर होकर राज्यपाल, मुख्य नयायाधीश और जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की.

छोटेलाल गांधी ने बताया कि उन्होंने जिले के अधिकारियों को पत्र देकर 8 मार्च को इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है. यदि इच्छामृत्यु की अनुमति नहीं मिलती है तो 15 दिनों के बाद वैधानिक नोटिस देकर वह आत्मदाह करने पर विवश होंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि जिले में कानून की अवमानना और हत्या की जा रही है. सरकार कानून का राज चलाने की बात करती है लेकिन कानून के रक्षक ही भक्षक बन गए हैं.

उन्होंने कहा कि दिसंबर 2006 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में तत्कालीन जिलाधिकारी मुकेश कुमार ने पत्र जारी कर सार्वजनिक जलप्रणालियों व तालाबों से अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया था. जबकि वर्तमान में तहसीलदार पैसा लेकर अवैध कब्जा करा रहा है.

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गांधी ने बताया कि उन्होंने आरटीआई के तहत सूचना भी मांगी थी, लेकिन किसी भी प्रकार की लिखित सूचना नहीं दी गई और न ही राजस्व अधिकारियों ने कार्रवाई की. जिले के तमाम जलाशयों का अस्तित्व समाप्त हो गया है जो बचा है उस पर भूमाफियाओं द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है. अतिक्रमण पर कार्रवाई के संबंध में तहसीलदार और जिलाधिकारी ने सूचना नहीं दी है. जबकि जिलाधिकारी एक महीने में सूचना देने की बात कहते हैं. भ्रष्टाचारी जब तक जेल नहीं जाएंगे तब तक मैं न्याय के लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा.

Intro:मऊ। स्वतंत्रता आंदोलन के समय महात्मा गांधी ने अहिंसा व अनशन को अंग्रेजी शासन के विरोध का तरीका बनाया था. उस समय देश स्वाधीन नहीं था सो अंग्रेजों से लड़ाई थी. लेकिन आजादी मिलने के दशकों बाद भी देश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडा़ई जारी है. उत्तर प्रदेश के जनपद मऊ में सामाजिक कार्यकर्ता छोटेलाल गांधी ने अतिक्रमण पर कारवाई ना होने से दुखी होकर शासन-प्रशासन से इच्छामृत्यु की मांग की है.


Body:छोटेलाल गांधी नगर पालिका परिषद मऊनाथ भंजन के पूर्व सदस्य व वर्तमान में श्री गंगा तमसा सेवा समिति के महामंत्री भी हैं. जिले में चल रहे तमाम सामाजिक मुद्दों से जुड़े विरोध प्रदर्शनों में गांधी सक्रिय रहते हैं. उन्होंने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण के विरुद्ध जांच के लिए कई बार पत्र लिखकर मांग किया. जिसपर कार्रवाई न होने के कारण मजबूर होकर राज्यपाल, मुख्य नयायाधीश और जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग कर डाली है.

छोटेलाल गांधी ने बताया कि उन्होंने जिले के अधिकारियों को पत्र देकर 8 मार्च को इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है. यदि इच्छामृत्यु की अनुमति नहीं मिलती है 15 दिनों के बाद वैधानिक नोटिस देकर आत्मदाह करने पर विवश होंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि जिले में कानून की अवमानना और हत्या की जा रही है. सरकार कानून का राज चलाने की बात करती है लेकिन कानून के रक्षक ही भक्षक बन गए हैं. दिसंबर 2006 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में तत्कालीन जिलाधिकारी श्री मुकेश कुमार मेश्राम ने पत्र जारी कर सार्वजनिक जलप्रणालियों व तालाबों से अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया था. जबकि वर्तमान में तहसीलदार मिथिलेश त्रिपाठी द्वारा पैसा लेकर अवैध कब्जा कराया जा रहा है.

गांधी ने बताया कि उन्होंने आरटीआई के तहत सूचना भी मांगी थी लेकिन किसी भी प्रकार की लिखित सूचना नहीं दी गई और ना ही राजस्व अधिकारियों द्वारा कार्यवाही की गई. जिले के तमाम जलाशयों का अस्तित्व समाप्त हो गया है, जो बचा है उस पर भूमाफियाओं द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है. अतिक्रमण पर कार्रवाई के संबंध में तहसीलदार और जिलाधिकारी ने सूचना नहीं दिया है. जबकि जिलाधिकारी एक महीने में सूचना देने की बात कहते हैं. भ्रष्टाचारी जब तक जेल नहीं जाएंगे तब तक मैं न्याय के लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा.


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