लखनऊ : यूपी के जिन जिलों में हादसों को रोकने के लिए सबसे अधिक जागरूकता अभियान चलाए गए, यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराया गया, वहीं दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा लोगों की जान गई. इनमें लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर और प्रयागराज भी शामिल हैं. ऐसे में यूपी ट्रैफिक निदेशालय और परिवहन विभाग इन जिलों पर सबसे अधिक फोकस करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं.
सीएम योगी भी सड़क हादसों से चिंतित : बीते दिनों राज्य सड़क सुरक्षा समिति की ओर से हैरान करने वाले आंकड़े जारी किए हैं. आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के 20 ऐसे बड़े जिले हैं, जहां कुल हादसों में 40 फीसदी मौतें हुई है. हैरान होना लाजमी इसलिए है क्योंकि इन जिलों में पुलिस और परिवहन विभाग सबसे अधिक सड़क सुरक्षा पर ध्यान देती है. हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को इन जिलों में हुई दुर्घटना और मौत के कारणों का विश्लेषण कर उसी के आधार पर कार्ययोजना तैयार करने को कहा है.
सड़क सुरक्षा के लिए कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता रविन्द्र मोहन बताते हैं कि हर माह सड़क सुरक्षा को लेकर डीएम की अध्यक्षता में बैठक होनी चाहिए, जबकि कई जिलों में हादसों को रोकने के लिए होने वाली ये बैठक हुई ही नहींं है. राज्य में 10 जिले ही ऐसे हैं, जहां हर माह बैठक हुई है, जबकि बलरामपुर में एक, चित्रकूट, फिरोजाबाद और आजमगढ़ में 3-3 व अयोध्या, बहराइच और गोंडा में 4-4 चार बैठकें हुईं.
हादसे में किस शहर में हुई कितनी मौत : कानपुर में 600, प्रयागराज में 552, आगरा में 537, बुलंदशहर में 511, अलीगढ़ में 502, लखनऊ में 484, उन्नाव में 478, हरदोई में 475, मथुरा में 460, गोरखपुर में 430, बरेली में 423, सीतापुर में 407, फतेहपुर में 398, नोएडा में 386, बाराबंकी में 385, कुशीनगर में 384, जौनपुर में 384, फिरोजाबाद में 369, गाजियाबाद में 361 और बदायूं में 356 लोगों की मौत हुई है. ये आंकड़े साल 2022, 23 और 24 के हैं.
बीते तीन वर्ष में राज्य में हुए सड़क हादसों में 62,970 मौतें की मौत हुई है. 20 जिलों में ही 26,448 लोगों की जान चली गई. औसतन हर वर्ष 8879 मौतें इन 20 जिलों में हुई हैं. वर्ष 2023 में 23652 लोगों की सड़क हादसे में मौत हुई. इसमें 7593 लोगों की मौत जंक्शन स्पॉट (पहले से चिन्हित ब्लैक स्पॉट) पर हुई.
जागरूकता अभियान में आएगी तेजी : IPS रवीना त्यागी कहती हैं कि सच यह है कि महानगरों में अधिक फोर्स होती है, परिवहन विभाग के कर्मचारी अधिक होते हैं, बड़े शहर होने के कारण जागरूकता अभियान भी बड़े स्तर पर होते हैं. कोशिश यह रहती है कि वहां हादसे कम हों, यह तभी संभव है जब आम लोग भी अपनी जिम्मेदारी समझें, ट्रैफिक नियमों का पालन करें, ट्रैफिक विभाग और परिवहन विभाग को सपोर्ट करें. गाड़ी स्पीड लिमिट में चलाएं. सड़कों पर लगे ट्रैफिक लाइटों की समझ रखें. हालांकि यह चिंता की बात अवश्य है कि, हादसों में घटने के बजाय मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है. हम सड़क सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त गंभीरता बरतेंगे. परिवहन विभाग के साथ मिलकर सड़क सुरक्षा अभियान को तेज किया जाएगा.
यह भी पढ़ें : खराब मौसम के बीच UP में ताबड़तोड़ हादसे, सहारनपुर में 2 बाइकों की टक्कर, 2 लोगों की मौत, चंदौली में पिकअप ने मारी टक्कर