महाराजगंज: घने कोहरे और मांस गला देने वाली ठंड में घर से बाहर कौन निकलना चाहता है. इसी कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बीच युवाओं की एक टोली निकलती है, जिसका मकसद भूखों को रोटी और प्यासे को पानी देना है.
किसी अनजाने शहर में आपको कोई मददगार मिल जाए तो वो किसी फरिश्ते से कम नही हो सकता. जिले में इन दिनों युवाओं की एक टोली रोटी बैंक के नाम से प्रतिदिन निकलती है और हर उस गरीब असहाय मजबूर लोगों की मदद करती है. इनका कहना है कि "रोटी बैंक का नारा कोई भूखा न सोये हमारा" यह लोग प्रतिदिन पांच से छह की संख्या में नगर के मेन तिराहे से लेकर बस स्टैंड, मंदिर परिसर और रैन बसेरों में जाकर भूखे को भोजन और प्यासे को पानी पिलाते हैं." कुछ ऐसे दिव्यांग और मानसिक रूप से विकार लोग इनसे प्रतिदिन भोजन लेते हैं.
रोटी बैंक के देवेश कुमार ने बताया कि "इनके परिजनों का कोई पता नहीं है. हम इनको प्रतिदिन सड़कों पर भीख मांगते हुए और टहलते देखते हैं. इनमें से कुछ को चोट आई रहती हैं तो हम उन्हें जिला अस्पताल में इलाज के लिए भी ले जाते हैं." उन्होंने बताया कि "हमारी टीम करीब दो महीने से यह काम प्रतिदिन कर रही है और यह सब एक दूसरे के सहयोग से होता है. इसमें किसी प्रकार का कोई राजनीतिक या किसी दल से कोई लेना देना नहीं है."
जिले में इनके कार्यों की जमकर सराहना की जा रही है इनके साथ जुड़ने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही हैं. इन लोगों ने बताया कि "घने कोहरे के कारण थोड़ी असुविधा होती है, लेकिन हमारे जज्बे के आगे यह सब कठिनाइयां हल्के पड़ जाते हैं."