ETV Bharat / state

नेपाल में हो रही बारिश से महाव नाले पर बना तटबंध टूटा, बाढ़ का मंडराया खतरा

महराजगंज जिले में खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंडक समेत कई नदियों के बढ़ते जलस्तर से बाढ़ की आशंका बढ़ गई है. वहीं चंदन और प्यास नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है. अन्य नदियां खतरे के निशान के आसपास हैं. बाढ़ की आशंका को देखते हुए प्रशासन एवं सिंचाई विभाग के अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं.

mahav nala maharajganj  mahav nala broke  mahav nala  flood in maharajganj  embankment on mahav nala broke  flood in maharajganj  maharajganj latest news in hindi  महराजगंज में बाढ़  महाव नाले पर बना तटबंध टूटा  महाव नाला महराजगंज  महराजगंज की ताजा खबर  महराजगंज समाचार
महाव नाले पर बना तटबंध टूटा.
author img

By

Published : Jun 17, 2021, 1:38 PM IST

Updated : Jun 17, 2021, 1:48 PM IST

महराजगंज: नेपाल के पहाड़ी इलाकों में बीते 4 दिनों से लगातार हो रही बारिश से गंडक नदी सहित तीन नदियां जहां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं, वहीं कई पहाड़ी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को छूने के कगार पर है. नेपाल के पहाड़ों से बहकर आ रहे महाव नाले का तटबंध चार जगहों से टूट गया है, जिससे सैकड़ों एकड़ फसल जहां जलमग्न हो गई है, वहीं कई घरों में बाढ़ का पानी भी घुस गया है.

जानकारी देते संवाददाता.

महाव नाले पर बने तटबंध के चार जगह से टूटने से आधा दर्जन गांव की जहां सैकड़ों एकड़ फसल डूब चुकी है, वहीं कई घरों में बाढ़ का पानी भी घुस गया है. इससे ग्रामीण डरे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर निरीक्षण करने नहीं आया. हर साल उन लोगों को बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ती है. अभी भी बाढ़ आने का खतरा सता रहा है.

सबसे बड़ी बात यह है कि सिंचाई विभाग इस महाव नाले पर हर वर्ष करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाता है, लेकिन जैसे ही बारिश का पानी आता है, महाव नाला टूट जाता है. ग्रामीणों ने कहा कि जब भी बारिश का मौसम आता है, हम लोगों की फसलें नष्ट हो जाती हैं. इसकी सुध आज तक किसी ने नहीं लिया. अधिकारी आते हैं, निरीक्षण करते हैं और चले जाते हैं, लेकिन आज तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे यहां आस-पास के ग्रामीण काफी भयभीत रहते हैं. फसलों के साथ-साथ गांव में पानी भी घुस जाता है, इसलिए ग्रामीण काफी भयभीत रहते हैं. बारिश का समय आते ही लोगों के मन में डर सताता है.

इसे भी पढ़ें: महराजगंज में बाढ़ जैसे हालात, गंडक सहित तीन नदियां खतरे के निशान से ऊपर

वहीं इस पूरे मामले में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता राजीव कपिल ने बताया कि भारत में महाव नाला टोटल 23 किलोमीटर बहता है जो कि 8 किलोमीटर वन क्षेत्र में पड़ता है, जिसकी सफाई हम नहीं करा सकते हैं. वहां नाले की चौड़ाई भी कम है. इसलिए जब बाढ़ का पानी नेपाल से आता है, वह निकल नहीं पाता है. इस कारण जहां सिल्ट होता है, वहां तटबंध टूट जाता है. यही कारण है हर वर्ष महाव नाले पर बना तटबंध टूट जाता है.

महराजगंज: नेपाल के पहाड़ी इलाकों में बीते 4 दिनों से लगातार हो रही बारिश से गंडक नदी सहित तीन नदियां जहां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं, वहीं कई पहाड़ी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को छूने के कगार पर है. नेपाल के पहाड़ों से बहकर आ रहे महाव नाले का तटबंध चार जगहों से टूट गया है, जिससे सैकड़ों एकड़ फसल जहां जलमग्न हो गई है, वहीं कई घरों में बाढ़ का पानी भी घुस गया है.

जानकारी देते संवाददाता.

महाव नाले पर बने तटबंध के चार जगह से टूटने से आधा दर्जन गांव की जहां सैकड़ों एकड़ फसल डूब चुकी है, वहीं कई घरों में बाढ़ का पानी भी घुस गया है. इससे ग्रामीण डरे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर निरीक्षण करने नहीं आया. हर साल उन लोगों को बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ती है. अभी भी बाढ़ आने का खतरा सता रहा है.

सबसे बड़ी बात यह है कि सिंचाई विभाग इस महाव नाले पर हर वर्ष करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाता है, लेकिन जैसे ही बारिश का पानी आता है, महाव नाला टूट जाता है. ग्रामीणों ने कहा कि जब भी बारिश का मौसम आता है, हम लोगों की फसलें नष्ट हो जाती हैं. इसकी सुध आज तक किसी ने नहीं लिया. अधिकारी आते हैं, निरीक्षण करते हैं और चले जाते हैं, लेकिन आज तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे यहां आस-पास के ग्रामीण काफी भयभीत रहते हैं. फसलों के साथ-साथ गांव में पानी भी घुस जाता है, इसलिए ग्रामीण काफी भयभीत रहते हैं. बारिश का समय आते ही लोगों के मन में डर सताता है.

इसे भी पढ़ें: महराजगंज में बाढ़ जैसे हालात, गंडक सहित तीन नदियां खतरे के निशान से ऊपर

वहीं इस पूरे मामले में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता राजीव कपिल ने बताया कि भारत में महाव नाला टोटल 23 किलोमीटर बहता है जो कि 8 किलोमीटर वन क्षेत्र में पड़ता है, जिसकी सफाई हम नहीं करा सकते हैं. वहां नाले की चौड़ाई भी कम है. इसलिए जब बाढ़ का पानी नेपाल से आता है, वह निकल नहीं पाता है. इस कारण जहां सिल्ट होता है, वहां तटबंध टूट जाता है. यही कारण है हर वर्ष महाव नाले पर बना तटबंध टूट जाता है.

Last Updated : Jun 17, 2021, 1:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.