लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा को 67, सपा को पांच रालोद को एक और दो अन्य के खाते में सीटें गयीं हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत से सत्ताधारी खेमे में जश्न का माहौल है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत अन्य नेताओं ने कार्यकर्ताओं और प्रदेश की जनता को धन्यवाद दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत अन्य केंद्रीय नेताओं ने यूपी में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मिली बड़ी जीत पर खुशी व्यक्त की है. वहीं राज्य में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा की इस जीत को सत्ता के दबाव की जीत करार दिया है.
स्वतंत्र देव ने कहा कि 2022 में भी भाजपा की सरकार बनेगी
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि समाज के हर वर्ग और इसके प्रतिनिधि ने भाजपा को अपना समर्थन दिया है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पंचायत चुनाव में जीत कर आए जनप्रतिनिधि अंत्योदय पथ पर बढ़ते हुए मोदी सरकार और योगी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे. भाजपा पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक के हर चुनाव में जनता के अभूतपूर्व समर्थन व कार्यकर्ताओं के परिश्रम से ऐतिहासिक विजय हासिल कर रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा एक बार फिर से बड़े बहुमत के साथ सरकार बनाएगी.
भाजपा ने विपक्षी दलों पर किया पलटवार
स्वतंत्र देव सिंह ने पंचायत चुनाव परिणाम को लेकर विपक्षी नेताओं की बयानबाजी पर कहा कि हार व जीत लोकतंत्र के दो पहलू हैं. विपक्ष को अगर लोकतंत्र में विश्वास है तो उसे विनम्रता के साथ अपनी हार स्वीकार करनी चाहिए, लेकिन विपक्ष अपनी हार स्वीकार करने के बजाय मनगढ़ंत आरोप लगाकर झूठ बोलने की कोशिश में लगा है. विपक्ष हार की हताशा में डूब चुका है. विपक्ष जनादेश का अपमान करने में जुट गया है. उन्होंने कहा कि दरअसल विपक्ष की लोकतंत्र का अपहरण करने की आदत रही है. सरकार से लेकर पार्टी चलाने तक परिवारवाद, भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी ही उनकी राजनीतिक संस्कृति रही है. इसीलिए जनता उन्हें सबक सिखा रही है.
दो मंत्री वाले जिले में हार गई भाजपा
भाजपा ने भले ही 75 में से 67 सीटें जीत कर खुश हो लेकिन दो मंत्रियों वाले जिला प्रतापगढ़ में मिली करारी शिकस्त से सवाल भी खड़े हो रहे हैं. दरअसल प्रतापगढ़ जिले से कैबिनेट मंत्री मोती सिंह और जल शक्ति मंत्री डॉक्टर महेंद्र सिंह आते हैं. योगी सरकार के दो ताकतवर मंत्रियों के इस जिले में रघुराज प्रताप 'राजा भैया' की पार्टी से भाजपा को करारी हार मिली है. इस हार से पार्टी के भीतर मंथन की आवश्यकता जताई जा रही है. अन्य जिलों में सत्ताधारी दल पर धांधली के आरोप लगे हैं लेकिन प्रतापगढ़ में भाजपाइयों को धांधली के आरोप लगाकर धरने पर बैठना पड़ा है. पार्टी मुख्यालय से बड़े नेताओं ने वहां के नेताओं से बात की. तब मामला शांत हो पाया.
अखिलेश यादव ने भाजपा पर साधा निशाना
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा पर सत्ता की हनक में जोर जबरदस्ती कर चुनाव जीतने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में लोकतांत्रिक मान्यताओं का तिरस्कार हुआ है. सत्ताधारी दल ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को एक मजाक बना दिया. सत्ता का ऐसा बदरंग चेहरा कभी नहीं देखा गया. भाजपा ने मतदाताओं के अपहरण, मतदान से रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन का सहारा लिया है. प्रशासनिक अधिकारियों को अखिलेश यादव ने चेताया कि सपा सरकार आने पर ऐसे अफसरों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सपा ने विधायक को किया निष्कासित
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने फिरोजाबाद के सिरसागंज से विधायक हरिओम यादव को पार्टी से निकाल दिया है. उन पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को मदद देने का आरोप लगा है. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर इससे पहले भी समाजवादी पार्टी ने कार्रवाई की है. भारतीय जनता पार्टी के 21 उम्मीदवार निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं. उस वक्त पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने 11 जिला अध्यक्षों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से हटा दिया था. पार्टी के उन 11 जिला अध्यक्षों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा था.
अपना गढ़ भी नहीं बचा सके सपा और कांग्रेस जैसे विपक्षी दल
मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी हो या फिर कांग्रेस, अपना गढ़ नहीं बचा पाए हैं. समाजवादी पार्टी के गढ़ कन्नौज, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, संभल, रामपुर और कासगंज में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली है. यह वे जिले हैं जहां समाजवादी पार्टी का हमेशा दबदबा रहा है. कांग्रेस की बात करें तो अमेठी और सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में भी कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है.