लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लाखों विद्युत उपभोक्ताओं को अधिक विद्युत आपूर्ति देने के नाम पर सप्लाई टाइप बदलकर ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की बिलिंग को शहरी दर पर किए जाने का मामला अब तूल पकडता जा रहा है. विद्युत नियामक आयोग ने चार दिन पहले ही पावर कारपोरेशन को सात दिन के अंदर जवाब (UP Power Corporation sought report from power companies) दाखिल न करने पर स्वत: अवमानना की कार्रवाई शुरू किए जाने का अल्टीमेटम दिया.
अब यूपी पावर कारपोरेशन ने अवमानना की कार्रवाई से बचने के लिए सभी बिजली कंपनियों से चार दिन में पूरी रिपोर्ट तलब की है. एक प्रोफार्मा भी भेजा है जिसमें बिजली कंपनियों को यह बताना होगा कि किसके आदेश पर किस फीडर पर कितने विद्युत उपभोक्ताओं का सप्लाई टाइप बदल गया जिसकी वजह से विद्युत उपभोक्ताओं को अधिक बिल का भुगतान करना पड़ा.
यूपी पावर कारपोरेशन प्रबंधन के निर्देश पर विद्युत नियामक आयोग की तरफ से जारी फरमान के बाद यूपी पावर कारपोरेशन के निदेशक कॉमर्शियल की तरफ से सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को निर्देश जारी करते हुए चार दिन में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. यह भी कहा है कि आयोग इस मामले पर बहुत गंभीर हो गया है. आयोग में जवाब दाखिल करना है इसलिए बिना देरी के रिपोर्ट भेजी जाए. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा जिस प्रकार से सप्लाई टाइप बदलकर के ग्रामीण क्षेत्र के लाखों विद्युत उपभोक्ताओं से अधिक वसूली की गई है.
उसकी वापसी बिजली कंपनियों को करना होगा. गौरतलब है कि उपभोक्ता परिषद ने इस गंभीर मामले पर अगस्त में ही विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की थी, लेकिन बिजली कंपनियों के दबाव में इस पर कार्रवाई लंबित थी. जब उपभोक्ता परिषद ने अपने रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत विधिक कार्यवाही को तेज किया. बार-बार आयोग अध्यक्ष से मुलाकात कर गुहार लगाई तो विद्युत नियामक आयोग भी सक्रिय हो गया और अंततः अब जब सभी बिजली कंपनियां में पावर कॉरपोरेशन की तरफ से जारी निर्देश के साथ विद्युत नियामक आयोग का फरमान पहुंचा तो हडकंप मचा हुआ है.
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा परिषद ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत अवमानना याचिका दाखिल की है. इसके तहत सभी बिजली कंपनियों के प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, क्योंकि जिस तरह से टैरिफ आदेश का उल्लंघन कर उपभोक्ताओं से अधिक वसूली की गई है ये बेहद गंभीर मामला है.