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SC का आदेश! आजीवन दोषियों की समयपूर्व रिहाई पर ब्योरा दें UP पुलिस महानिदेशक

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस महानिदेशक से दोषियों की समयपूर्व रिहाई पर ब्योरा मांगा है. इसके लिए उन्हें एक हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jan 5, 2023, 10:40 PM IST

लखनऊ: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गुरुवार को यूपी के पुलिस महानिदेशक से राज्य में दोषियों को समयपूर्व रिहाई देने के मामले में व्यक्तिगत तौर पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है. एससी ने यूपी में दोषियों को सजा से छूट का लाभ देने के लिए अब तक उठाए गए कदमों का ब्योरा भी मांगा गया है.

न्यायमूर्ति पी एस नरिसम्हा और डीवाई चंद्रचूड़ वाली पीठ ने कहा कि इससे संबंधित मामले के फैसले के बाद से कितने मामलों पर समय से पहले रिहाई के लिए विचार किया गया है. इसकी जानकारी दें. शीर्ष अदालत ने राज्य के अधिकारियों के पास छूट के लंबित मामलों का विवरण और इन मामलों पर कब तक विचार किया जाएगा. इसका विवरण भी मांगा है.

यूपी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरम को नोटिस जारी करते हुए खंडपीठ ने आदेश दिया कि जेल महानिदेश को तीन हफ्ते का समय भीतर आवश्यक जानकारी देते हुए अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करना होगा. अदालत ने इसकी सहायता के लिए अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा को एमकिस क्यूरी भी नियुक्त किया है.

दरअसल शीर्ष अदालत ने इससे संबंधित एक मामले के फैसले में उत्तर प्रदेश में आजीवन कारावास की सजा काट रहे लगभग 500 दोषियों की रिहाई पर असर डालने वाले कई निर्देश जारी किए थे. फैसले में कहा था कि आजीवन दोषियों की समयपूर्व रिहाई के सभी मामलों पर राज्य की अगस्त 2018 की नीति के अनुसार विचार किया जाएगा.

लखनऊ: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गुरुवार को यूपी के पुलिस महानिदेशक से राज्य में दोषियों को समयपूर्व रिहाई देने के मामले में व्यक्तिगत तौर पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है. एससी ने यूपी में दोषियों को सजा से छूट का लाभ देने के लिए अब तक उठाए गए कदमों का ब्योरा भी मांगा गया है.

न्यायमूर्ति पी एस नरिसम्हा और डीवाई चंद्रचूड़ वाली पीठ ने कहा कि इससे संबंधित मामले के फैसले के बाद से कितने मामलों पर समय से पहले रिहाई के लिए विचार किया गया है. इसकी जानकारी दें. शीर्ष अदालत ने राज्य के अधिकारियों के पास छूट के लंबित मामलों का विवरण और इन मामलों पर कब तक विचार किया जाएगा. इसका विवरण भी मांगा है.

यूपी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरम को नोटिस जारी करते हुए खंडपीठ ने आदेश दिया कि जेल महानिदेश को तीन हफ्ते का समय भीतर आवश्यक जानकारी देते हुए अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करना होगा. अदालत ने इसकी सहायता के लिए अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा को एमकिस क्यूरी भी नियुक्त किया है.

दरअसल शीर्ष अदालत ने इससे संबंधित एक मामले के फैसले में उत्तर प्रदेश में आजीवन कारावास की सजा काट रहे लगभग 500 दोषियों की रिहाई पर असर डालने वाले कई निर्देश जारी किए थे. फैसले में कहा था कि आजीवन दोषियों की समयपूर्व रिहाई के सभी मामलों पर राज्य की अगस्त 2018 की नीति के अनुसार विचार किया जाएगा.

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