लखनऊ : कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा इस महीने की आखिरी में होने की संभावना जताई जा रही है. माना जा रहा है कि यह घोषणा प्रदेश प्रभारी के तय होने के बाद होगी. नए प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के पदभार ग्रहण करने के बाद प्रदेश की नई कार्यकारिणी को लेकर काफी अटकलें लगाई जा रही हैं. कांग्रेसियों को इस कार्यकारिणी का इंतजार काफी बेसब्री से है, क्योंकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी 10 महीने के कार्यकाल में अपनी कार्यकारिणी की घोषणा नहीं कर पाए थे. ऐसे में उनसे पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे अजय कुमार लल्लू के समय से प्रदेश कार्यकारिणी अभी तक चली आ रही है. कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने अपने कार्यभार संभालने के साथ ही सितंबर के पहले सप्ताह में कार्यकारिणी घोषित करने के संकेत दिए थे. ऐसे में कार्यकारिणी के गठन को लेकर हो रही देरी कांग्रेस में कई तरह के चर्चाओं को हवा दे रही है.
20 सितंबर के बाद घोषित हो सकती है कार्यकारिणी : कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि 'अजय राय की नई कार्यकारिणी का गठन सितंबर के अंतिम सप्ताह के आसपास होने के संकेत दिए थे. पार्टी नेताओं का कहना है कि 20 सितंबर के बाद स्थिति साफ होगी. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा से पहले पार्टी आलाकमान उत्तर प्रदेश के प्रभारी के नाम की घोषणा करना चाहते हैं. मौजूदा प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की बड़ी भूमिका को देखते हुए उनकी जगह किसी अन्य को प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी दी जाएगी. ऐसे में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव व अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए स्टार प्रचारकों के रूप में प्रियंका गांधी काफी व्यस्त रहेंगी. ऐसे में प्रियंका गांधी की जगह पार्टी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी किसी अन्य लोकप्रिय व कद्दावर नेता को सौंपने की तैयारी कर रही हैं. जो लोकसभा चुनाव के पहले और बाद में उत्तर प्रदेश में सक्रिय रहे. ज्ञात हो कि बीते वर्ष हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद से प्रियंका गांधी की यूपी में सक्रियता काफी कम हो गई है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आई.इन.डी.आई.ए गठबंधन की सक्रिय भूमिका और जाति समीकरण के कारण सपा के उम्मीदवार को जीत हासिल हुई है. इस जीत का श्रेय लेने के लिए सभी दलों में और होड़ मची है, वहीं एनडीए के खिलाफ एकजुट होकर उसको पटकनी देने की विपक्षी दलों की कोशिशों को घोसी चुनाव में काफी बल मिला है. ऐसे में कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर पार्टी पदाधिकारी के चयन करने में जुटी हुई है.