लखनऊ : 24 मार्च को क्षय रोग दिवस था. वहीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का कहना है कि एक तरफ जहां केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार टीबी उन्मूलन को लेकर होर्डिंग, पोस्टर और विज्ञापन के जरिए बड़े जोर-शोर से प्रचार अभियान चला रही हैं. वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का ढिंढोरा पीट रही हैं और इसे लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही हैं. उनका कहना था कि केंद्र सरकार द्वारा टीबी मरीजों को हर महीने इलाज के साथ पोषण के लिए दिए जाने वाले पोषण भत्ते 500 रुपए की योजना कागजों तक सिमट कर रह गई है.
टीबी से हर साल हो रही चार लाख मौतें
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने पार्टी मुख्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा कि बुधवार से शुरू हुए विश्व टीबी (क्षय) रोग दिवस को योगी सरकार बड़े-बड़े विज्ञापनों के माध्यम से प्रचारित कर रही है. केन्द्र सरकार ने वर्ष 2025 तक भारत को पूर्ण रूप से टीबी मुक्त करने के अपने वादे का लक्ष्य निर्धारित किया है. टीबी के मरीजों को पोषण के लिए दी जाने वाली रकम तो दूर, मरीजों को उचित इलाज भी नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि शायद यही कारण है कि देश में हर साल चार लाख से ज्यादा लोगों की मौतें टीबी से हो रही हैं.
ये है टीबी के मरीजों का आंकड़ा
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही वेंटिलेटर पर हैं. यहां अस्पतालों में न तो डॉक्टर हैं और न ही नर्स. टीबी की दवाओं का भी पूर्णतया अभाव है जिसकी वजह से यहां के हालात और भी ज्यादा बदतर होते जा रहे हैं. देश का हर 5वां टीबी से संक्रमित मरीज उत्तर प्रदेश से है और ये संख्या लगातार बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में पूरे देश में 17 लाख 34 हजार 905 टीबी मरीज मिले थे, जिनमें से 17 प्रतिशत सिर्फ उत्तर प्रदेश से थे. यानी 2 लाख 96 हजार 910 संक्रमित मरीज यूपी से थे. वर्ष 2018 में देश में 21 लाख 1 हजार 82 मरीज मिले थे. इसके 20 फीसदी मरीज सिर्फ यूपी से थे. यूपी में 2018 में मरीजों की संख्या 4 लाख 11 हजार 6 थी. वर्ष 2019 में देश में चिन्हित मरीजों की संख्या 24 लाख 1 हजार 589 थी, जबकि यूपी में 4 लाख 87 हजार 653 मरीज मिले थे.
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'टीबी के मरीज भगवान भरोसे'
वर्ष 2020 में चिन्हित टीबी संक्रमित मरीजों की संख्या काफी गिर गई. पिछले साल देश में 18 लाख 11 हजार 105 मरीज मिले थे, जबकि यूपी में 3 लाख 68 हजार 112 मरीज मिले थे. इस साल मरीजों की संख्या गिरने का कारण कोरोना था. मरीज चिन्हित नहीं हो पाए थे जिसकी वजह से यह संख्या कम होना प्रतीत हो रही थी, जबकि सच्चाई तो यह है कि टीबी के मरीजों को कोरोना के नाम पर भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया और आज स्थिति भयावह हो चुकी है.