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CRPF कैंप में तैनात बिहार के जवान ने इंसास राइफल से गोली मारकर खुदकुशी की - CRPF JAWAN COMMITTED SUICIDE

आशियाना थाना क्षेत्र स्थित सीआरपीएफ कैंप में जवान के सुसाइड की खबर से हर कोई हैरान. पुलिस कर रही है मामले की जांच.

सीआरपीएफ जवान ने किया सुसाइड.
सीआरपीएफ जवान ने किया सुसाइड. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 10 hours ago

लखनऊ : आशियाना थाना क्षेत्र स्थित सीआरपीएफ कैंप में तैनात सीआरपीएफ जवान उपेंद्र कुमार सिंह (36) ने गुरुवार सुबह इंसास राइफल से खुद को गोली मार ली. बताया गया कि सीआरपीएफ जवान की मौके पर मौत हो गई थी. जवान के सुसाइड की खबर से कैंप में हड़कंप मच गया. मौके पर पहुंचे सीआरपीएफ अधिकारियों और पुलिस टीम ने प्राथमिक जांच की, लेकिन सुसाइड के पीछे की वजह साफ नहीं हो सकी है. जवान रसूलपुर छपरा बिहार का रहने वाला था.

सुसाइड समस्या का समाधान नहीं.
सुसाइड समस्या का समाधान नहीं. (Photo Credit : ETV Bharat)

आशियाना इंस्पेक्टर छत्रपाल सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह सूचना मिली थी कि सीआरपीएफ कैंप में एक जवान ने खुद को गोली मार ली है. घटनास्थल पर पूछताछ में पता चला कि सीआरपीएफ जवान उपेंद्र कुमार सिंह (36) ने इंसास राइफल से खुद को गोली मारी है. उपेंद्र कुमार सिंह मूलरूप से रसूलपुर छपरा बिहार का रहने वाला था. उपेंद्र ने सुसाइड क्यों किया. इन सभी बिंदुओं की जांच की जा रही है. फोरेंसिक टीम ने भी मौके से साक्ष्य जुटाए हैं. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है.

जागरूकता से बच सकता है जीवन

  1. आत्महत्या के विचारों को दर्शाने वाले शब्दों या कार्यों को कभी कम न आंकें. इसके अतिरिक्त व्यवहार में किसी भी बदलाव पर नजर रखें. सिर की चोटों के बाद (मस्तिष्काघात) की स्थिति में अतिरिक्त सतर्कता बरतें.
  2. आत्महत्या के विचारों और अवसाद और चिंता की भावनाओं के बारे में बात करते समय अपने एएसडी और सामान्य बच्चों दोनों के साथ खुलकर और स्पष्ट रहें. किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर, पादरी, शिक्षक, चिकित्सक आदि से मदद लेने की कोशिश करें. स्कूल या कार्यस्थल पर निगरानी रखें.
  3. सामाजिक संबंध बनाएं, समुदाय-आधारित गतिविधियों में शामिल हों. सामाजिक कौशल और सहकर्मी मार्गदर्शन को प्राथमिकता दें.
  4. अच्छा पोषण, दैनिक व्यायाम, नियमित नींद और माइंडफुलनेस अभ्यास मूड और व्यवहार को नियंत्रित करने में बहुत मददगार साबित होते हैं. आत्म-सशक्तिकरण और आत्म-जागरूकता कार्यक्रमों को लागू करें जो जीवन के तनावों को बेहतर ढंग से संभालने में सक्षम बनाते हैं. इसके अलावा शराब और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के संकेतों के प्रति सतर्क रहें और जरूरत पड़ने पर पेशेवर से सहायता लें.
  5. व्यवहार या मूड संबंधी समस्याओं के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं आत्महत्या के विचार को बढ़ा सकती हैं. अगर कोई चिंताजनक लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर से बातचीत बनाए रखें.
  6. यदि आपको चिंता है या आप किसी संकट की स्थिति में प्रवेश कर रहे हैं तो आग्नेयास्त्रों और नुकीली वस्तुओं को ताले में बंद करके रखें. घर में मौजूद जहरीली वस्तुएं सुरक्षित रखने की आवश्यकता है. ऊपरी मंजिल की खिड़कियों को बंद रखें और कार के दरवाजों पर लॉक लगा कर रखें. रस्सियों और डोरियों को भी पहुंच से दूर रखें.
  7. यदि आप किसी व्यक्ति में आत्महत्या की प्रवृत्ति देखते हैं. चाहे वह ASD से पीड़ित हो या न हो तो तुरंत किसी पेशेवर जानकार से संपर्क करें. जब तक कि वह किसी पेशेवर से न मिल जाए, तब तक लगातार नजर बनाए रखें.

यह भी पढ़ें : गोरखपुर के सीआरपीएफ जवान ने एके 47 से खुद को मारी गोली, सुसाइड से पहले की थी फोन पर बात - गोरखपुर सीआरपीएफ जवान ने की सुसाइड

यह भी पढ़ें : सीआरपीएफ जवान ने अपनी AK 47 से खुद को मारी गोली, सुसाइड से पहले किसी से फोन पर की थी बात - suicide in chakradharpur

लखनऊ : आशियाना थाना क्षेत्र स्थित सीआरपीएफ कैंप में तैनात सीआरपीएफ जवान उपेंद्र कुमार सिंह (36) ने गुरुवार सुबह इंसास राइफल से खुद को गोली मार ली. बताया गया कि सीआरपीएफ जवान की मौके पर मौत हो गई थी. जवान के सुसाइड की खबर से कैंप में हड़कंप मच गया. मौके पर पहुंचे सीआरपीएफ अधिकारियों और पुलिस टीम ने प्राथमिक जांच की, लेकिन सुसाइड के पीछे की वजह साफ नहीं हो सकी है. जवान रसूलपुर छपरा बिहार का रहने वाला था.

सुसाइड समस्या का समाधान नहीं.
सुसाइड समस्या का समाधान नहीं. (Photo Credit : ETV Bharat)

आशियाना इंस्पेक्टर छत्रपाल सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह सूचना मिली थी कि सीआरपीएफ कैंप में एक जवान ने खुद को गोली मार ली है. घटनास्थल पर पूछताछ में पता चला कि सीआरपीएफ जवान उपेंद्र कुमार सिंह (36) ने इंसास राइफल से खुद को गोली मारी है. उपेंद्र कुमार सिंह मूलरूप से रसूलपुर छपरा बिहार का रहने वाला था. उपेंद्र ने सुसाइड क्यों किया. इन सभी बिंदुओं की जांच की जा रही है. फोरेंसिक टीम ने भी मौके से साक्ष्य जुटाए हैं. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है.

जागरूकता से बच सकता है जीवन

  1. आत्महत्या के विचारों को दर्शाने वाले शब्दों या कार्यों को कभी कम न आंकें. इसके अतिरिक्त व्यवहार में किसी भी बदलाव पर नजर रखें. सिर की चोटों के बाद (मस्तिष्काघात) की स्थिति में अतिरिक्त सतर्कता बरतें.
  2. आत्महत्या के विचारों और अवसाद और चिंता की भावनाओं के बारे में बात करते समय अपने एएसडी और सामान्य बच्चों दोनों के साथ खुलकर और स्पष्ट रहें. किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर, पादरी, शिक्षक, चिकित्सक आदि से मदद लेने की कोशिश करें. स्कूल या कार्यस्थल पर निगरानी रखें.
  3. सामाजिक संबंध बनाएं, समुदाय-आधारित गतिविधियों में शामिल हों. सामाजिक कौशल और सहकर्मी मार्गदर्शन को प्राथमिकता दें.
  4. अच्छा पोषण, दैनिक व्यायाम, नियमित नींद और माइंडफुलनेस अभ्यास मूड और व्यवहार को नियंत्रित करने में बहुत मददगार साबित होते हैं. आत्म-सशक्तिकरण और आत्म-जागरूकता कार्यक्रमों को लागू करें जो जीवन के तनावों को बेहतर ढंग से संभालने में सक्षम बनाते हैं. इसके अलावा शराब और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के संकेतों के प्रति सतर्क रहें और जरूरत पड़ने पर पेशेवर से सहायता लें.
  5. व्यवहार या मूड संबंधी समस्याओं के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं आत्महत्या के विचार को बढ़ा सकती हैं. अगर कोई चिंताजनक लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर से बातचीत बनाए रखें.
  6. यदि आपको चिंता है या आप किसी संकट की स्थिति में प्रवेश कर रहे हैं तो आग्नेयास्त्रों और नुकीली वस्तुओं को ताले में बंद करके रखें. घर में मौजूद जहरीली वस्तुएं सुरक्षित रखने की आवश्यकता है. ऊपरी मंजिल की खिड़कियों को बंद रखें और कार के दरवाजों पर लॉक लगा कर रखें. रस्सियों और डोरियों को भी पहुंच से दूर रखें.
  7. यदि आप किसी व्यक्ति में आत्महत्या की प्रवृत्ति देखते हैं. चाहे वह ASD से पीड़ित हो या न हो तो तुरंत किसी पेशेवर जानकार से संपर्क करें. जब तक कि वह किसी पेशेवर से न मिल जाए, तब तक लगातार नजर बनाए रखें.

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