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20 मई के बाद होगा यूपी बोर्ड परीक्षाओं पर फैसला: दिनेश शर्मा

यूपी की तमाम परीक्षाओं पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा, 20 मई तक कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखा जाएगा. इसके बाद स्थिति नियंत्रण में होने पर विश्वविद्यालयों से बात की जाएगी. परीक्षा कराने की स्थिति नहीं हुई तो यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार प्रमोट करने पर विचार किया जाएगा.

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Published : May 12, 2021, 4:08 AM IST

उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा
उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा

लखनऊ: यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट से लेकर विश्वविद्यालय तक की परीक्षाओं पर अंतिम फैसले के लिए छात्र-छात्राओं को अभी इंतजार करना होगा. प्रदेश सरकार की ओर से 20 मई तक शिक्षण संस्थानों को बंद करने का फैसला लिया गया है, उसके बाद ही अब सरकार के स्तर पर परीक्षाओं के संबंध में फैसला लिया जाएगा. उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि 20 मई तक कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखा जाएगा. इसके बाद स्थिति नियंत्रण में होने पर विश्वविद्यालयों से बात की जाएगी. यदि परीक्षा कराने की स्थिति नहीं हुई तो यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार प्रमोट करने पर विचार किया जाएगा.

56 लाख से ज्यादा छात्र परेशान
राजधानी समेत प्रदेश भर के करीब 56 लाख छात्र-छात्राओं की 10वीं और 12वीं की परीक्षा टाल दी गई है. अब यह परीक्षाएं कब होंगी? कैसे कराई जाएंगी? सीबीएसई और आईसीएसई ने दसवीं की परीक्षा टाल दी हैं, तो क्या यूपी बोर्ड भी इन परीक्षाओं को टालेगा. इन सवालों को लेकर लाखों छात्र इस समय परेशान भटक रहें हैं. छात्रों का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद और प्रदेश सरकार को इस पर स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए. कम से कम उसके हिसाब से आगे की तैयारी की जा सकती है.

इसे भी पढ़ें: 255 बेड का कोविड-19 हॉस्पिटल तैयार

यह परीक्षाएं टाली गई
सीबीएसई और सीआईएससीई ने अपनी दसवीं की परीक्षाएं रद्द कर दी हैं. यानी इस साल दसवीं की परीक्षाएं नहीं कराई जाएंगी. सीआईएससी ने मूल्यांकन के लिए जहां नौवीं और दसवीं कक्षा में बच्चे के प्रदर्शन को आधार बनाया है. वहीं सीबीएसई ने दसवीं कक्षा में स्कूल स्तर पर हुई विभिन्न परीक्षाओं के आधार पर अंक देने का फैसला लिया है. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉक्टर आरपी मिश्रा का कहना है कि इन दोनों बोर्ड की तरफ से दसवीं की परीक्षा न कराने के फैसले से यूपी बोर्ड के बच्चे और ज्यादा परेशान हैं. यहां भी परीक्षाएं न कराने को लेकर मांग उठ रही है. वहीं, परिषद की ओर से स्थिति स्पष्ट न किए जाने से छात्र और भी परेशान हैं.

सीबीएसई और सीआईएससीई का फार्मूला अपनाएं
छात्रों की ओर से इस साल यूपी बोर्ड दसवीं की परीक्षा न कराने की मांग भी की जा रही है. छात्रों का कहना है कि कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. सीबीएसई में करीब 13 लाख और आईसीएससी में उससे भी कम बच्चे परीक्षा देने जा रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमण और बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए परीक्षा ना कराने का फैसला लिया गया. जबकि, यूपी बोर्ड में 25 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं परीक्षा देने के लिए पंजीकरण करा चुके हैं. इतनी बड़ी संख्या में प्रदेश में छात्रों का घर से बाहर निकल कर परीक्षा केंद्रों पर जाना खतरे से खाली नहीं होगा.

लखनऊ: यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट से लेकर विश्वविद्यालय तक की परीक्षाओं पर अंतिम फैसले के लिए छात्र-छात्राओं को अभी इंतजार करना होगा. प्रदेश सरकार की ओर से 20 मई तक शिक्षण संस्थानों को बंद करने का फैसला लिया गया है, उसके बाद ही अब सरकार के स्तर पर परीक्षाओं के संबंध में फैसला लिया जाएगा. उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि 20 मई तक कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखा जाएगा. इसके बाद स्थिति नियंत्रण में होने पर विश्वविद्यालयों से बात की जाएगी. यदि परीक्षा कराने की स्थिति नहीं हुई तो यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार प्रमोट करने पर विचार किया जाएगा.

56 लाख से ज्यादा छात्र परेशान
राजधानी समेत प्रदेश भर के करीब 56 लाख छात्र-छात्राओं की 10वीं और 12वीं की परीक्षा टाल दी गई है. अब यह परीक्षाएं कब होंगी? कैसे कराई जाएंगी? सीबीएसई और आईसीएसई ने दसवीं की परीक्षा टाल दी हैं, तो क्या यूपी बोर्ड भी इन परीक्षाओं को टालेगा. इन सवालों को लेकर लाखों छात्र इस समय परेशान भटक रहें हैं. छात्रों का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद और प्रदेश सरकार को इस पर स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए. कम से कम उसके हिसाब से आगे की तैयारी की जा सकती है.

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यह परीक्षाएं टाली गई
सीबीएसई और सीआईएससीई ने अपनी दसवीं की परीक्षाएं रद्द कर दी हैं. यानी इस साल दसवीं की परीक्षाएं नहीं कराई जाएंगी. सीआईएससी ने मूल्यांकन के लिए जहां नौवीं और दसवीं कक्षा में बच्चे के प्रदर्शन को आधार बनाया है. वहीं सीबीएसई ने दसवीं कक्षा में स्कूल स्तर पर हुई विभिन्न परीक्षाओं के आधार पर अंक देने का फैसला लिया है. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉक्टर आरपी मिश्रा का कहना है कि इन दोनों बोर्ड की तरफ से दसवीं की परीक्षा न कराने के फैसले से यूपी बोर्ड के बच्चे और ज्यादा परेशान हैं. यहां भी परीक्षाएं न कराने को लेकर मांग उठ रही है. वहीं, परिषद की ओर से स्थिति स्पष्ट न किए जाने से छात्र और भी परेशान हैं.

सीबीएसई और सीआईएससीई का फार्मूला अपनाएं
छात्रों की ओर से इस साल यूपी बोर्ड दसवीं की परीक्षा न कराने की मांग भी की जा रही है. छात्रों का कहना है कि कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. सीबीएसई में करीब 13 लाख और आईसीएससी में उससे भी कम बच्चे परीक्षा देने जा रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमण और बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए परीक्षा ना कराने का फैसला लिया गया. जबकि, यूपी बोर्ड में 25 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं परीक्षा देने के लिए पंजीकरण करा चुके हैं. इतनी बड़ी संख्या में प्रदेश में छात्रों का घर से बाहर निकल कर परीक्षा केंद्रों पर जाना खतरे से खाली नहीं होगा.

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