लखनऊ : आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी में सीटों के बंटवारे पर खूब नूराकुश्ती हुई पर बात नहीं बनी. अब दोनों पार्टियों के अलग-अलग चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल आगामी दो जनवरी को लखनऊ में रैली करके पार्टी के चुनावी अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार समाजवादी पार्टी के साथ बनते बिगड़ते इस राजनीतिक समीकरणों के बीच यूपी में अपनी सियासी जमीन तलाश रहे आप को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
दरअसल, समाजवादी पार्टी से गठबंधन की चर्चाओं ने टिकट की आस में आम आदमी पार्टी से जुड़े नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. वह मायूस होकर बैठ गए. उत्तर प्रदेश में आप का झंड़ा उठाने वाले कई चेहरे इससे नाखुश थे.
अब दोबारा चर्चा है कि पार्टी सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने पर विचार कर रही है. हालांकि अब उनके अपने ही विश्वास नहीं दिखा पा रहे हैं. ऐसे में चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने की आस में पार्टी से जुड़े कई चेहरे लौट भी सकते हैं.
यह भी पढ़ें : UP Election 2022: वाराणसी के बाद PM मोदी का यूपी में ताबड़तोड़ दौरा, दस दिन में 4 बार आएंगे उत्तर प्रदेश
नाम न छापने की शर्त पर एक नेता ने बताया कि पार्टी ने पहले सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. इससे कार्यकर्ताओं में भी उत्साह देखने को मिल रहा था.
सपा से गठबंधन की चर्चाओं के बाद पार्टी के कार्यकर्ता भी पीछे हट गए थे. इतने कम समय में दोबारा से उन्हें खींचकर लाना संभव ही नहीं होगा. इनकी मानें तो पहली बार आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में उतर रही है. ऐसे में इस तरह के बनते बिगड़ते समीकरणों के कारण नुकसान उठाना पड़ सकता है.
आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी सांसद संजय सिंह बीते दिनों समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे थे. उसके बाद जारी बयान में सांसद संजय सिंह ने खुद ही गठबंधन की बात को स्वीकार किया था.
हालांकि तब भी उन्होंने सीटों के बंटवारे पर चुप्पी साध ली. जानकारों की मानें तो समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच सीट के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है. सपा जहां आप को दहाई में समेटना चाहती है तो वहीं आम आदमी पार्टी ज्यादा सीटों की मांग कर रही है.