ETV Bharat / state

यूपी के सियासी संग्राम में कहीं पति-पत्नी तो कहीं मां-बेटा लड़ रहे चुनाव

विधानसभा तक पहुंचने के लिए पहली सीढ़ी किसी बड़े दल से टिकट का मिलना है और इसे हासिल करना ही पहली कामयाबी है. लेकिन ऐसे में अगर एक ही परिवार के दो लोगों को टिकट मिल जाए तो ये दोनों हाथों में लड्डू की तरह है. वहीं, इसके लिए कई परिवारों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ी और उन्होंने आखिरकार दो-दो टिकट हासिल भी कर लिए. हालांकि, कुछ ने तो खुद की टिकट कटता देख अपने परिवार के किसी और सदस्य की टिकट पक्की करा ली.

UP Assembly Election 2022 Somewhere husband and wife and somewhere mother and son are contesting elections  lucknow latest news  etv bharat up news  यूपी के सियासी संग्राम  कहीं पति-पत्नी  कहीं मां-बेटा लड़ रहे चुनाव  UP Assembly Election 2022  Somewhere husband and wife  mother and son are contesting elections  एक ही परिवार के दो लोगों को टिकट  दोनों हाथों में लड्डू  वकार अहमद शाह  बेटे यासिर शाह  बहराइच की इकलौती मटेरा विधानसभा  यासिर शाह की पत्नी मारिया शाह  उर्मिला सोनकर जालौन  पूर्व सांसद ब्रजलाल खाबरी  महरौनी विधानसभा सीट  अपना दल कमेरावादी  प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट  उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य  प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा  विधायक संजय प्रताप जयसवाल
UP Assembly Election 2022 Somewhere husband and wife and somewhere mother and son are contesting elections lucknow latest news etv bharat up news यूपी के सियासी संग्राम कहीं पति-पत्नी कहीं मां-बेटा लड़ रहे चुनाव UP Assembly Election 2022 Somewhere husband and wife mother and son are contesting elections एक ही परिवार के दो लोगों को टिकट दोनों हाथों में लड्डू वकार अहमद शाह बेटे यासिर शाह बहराइच की इकलौती मटेरा विधानसभा यासिर शाह की पत्नी मारिया शाह उर्मिला सोनकर जालौन पूर्व सांसद ब्रजलाल खाबरी महरौनी विधानसभा सीट अपना दल कमेरावादी प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा विधायक संजय प्रताप जयसवाल
author img

By

Published : Feb 15, 2022, 8:42 AM IST

लखनऊ: विधानसभा तक पहुंचने के लिए पहली सीढ़ी किसी बड़े दल से टिकट का मिलना है और इसे हासिल करना ही पहली कामयाबी है. लेकिन ऐसे में अगर एक ही परिवार के दो लोगों को टिकट मिल जाए तो ये दोनों हाथों में लड्डू की तरह है. वहीं, इसके लिए कई परिवारों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ी और उन्होंने आखिरकार दो-दो टिकट हासिल भी कर लिए. हालांकि, कुछ ने तो खुद की टिकट कटता देख अपने परिवार के किसी और सदस्य की टिकट पक्की करा ली. विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे वकार अहमद शाह के बेटे यासिर शाह भाजपा की पिछली लहर में बहराइच की इकलौती मटेरा विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर जीते थे. इस बार वो अपनी पत्नी के लिए भी टिकट चाह रहे थे. लेकिन ऐन समय पर सपा ने उनकी सीट ही बदल दी और उन्हें बहराइच सदर से प्रत्याशी बना दिया. खैर, उनकी जगह पार्टी ने जिसे मटेरा से प्रत्याशी बनाया वो वहां से चुनाव लड़ने से पीछे हट गया. क्योंकि उसे कहीं और से टिकट चाहिए था. आखिरकार सपा ने यासिर शाह की पत्नी मारिया शाह को वहां से बतौर उम्मीदवार मैदान में उतार दिया. अब पति-पत्नी अगल-बगल की सीट से लड़ रहे हैं.

वहीं, कांग्रेस के टिकट पर उर्मिला सोनकर जालौन की उरई विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं. वो पूर्व पीसीएस अधिकारी व मौजूदा जिला पंचायत सदस्य हैं. उनकी उम्मीदवारी आने के कुछ समय बाद कांग्रेस ने उनके पति व पूर्व सांसद ब्रजलाल खाबरी को महरौनी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया. बता दें कि ब्रजलाल कांग्रेस के पार्टी के राष्ट्रीय सचिव हैं.

इसे भी पढ़ें - UP Election 2022: मुख्तार अंसारी नहीं लड़ेगा चुनाव, बेटे अब्बास ने किया नामांकन

मां-बेटी, और मां-बेटा भी मैदान में

अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं तो वहीं उनकी बेटी पल्लवी पटेल सिराथू विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं, जहां उनका मुकाबला सूबे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से है. हालांकि खास बात यह पल्लवी सपा के सिंबल पर चुनावी मैदान में हैं. ठीक इसी तरह समाजवादी पार्टी ने अपने एक और सहयोगी पार्टी महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य के परिवार के दो लोगों को अपनी पार्टी से लड़ाया है. फर्रुखाबाद सदर विधानसभा सीट से केशव देव की पत्नी व पार्टी उपाध्यक्ष सुमन मौर्य भी चुनाव लड़ रही हैं, वहीं उनका बेटा प्रकाश चंद्र मौर्य बिल्सी विधानसभा से मैदान में हैं.

बहू का टिकट कटा तो ससुर को मिला

अंबेडकर नगर की आलापुर सीट पर भाजपा ने अपनी महिला विधायक अनीता का टिकट काटना तो तय कर लिया था, लेकिन नाराजगी से बचने के लिए उनके ससुर व पूर्व विधायक त्रिवेणी राम प्रत्याशी बना दिया. बताया जाता है कि साल 2017 में उन्होंने अपना टिकट बहू को दिलवाया था. प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा को भाजपा ने इस पर प्रत्याशी नहीं बनाया, लेकिन उनको सम्मान देते हुए उनके बेटे को उनकी सीट से प्रत्याशी बना दिया. कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी ने जब अपनी सीट से नामांकन किया तो साथ में उनकी मेयर पत्नी ने भी उसी सीट से नामांकन किया. लेकिन यह केवल अतिरिक्त सावधानी बरतने जैसा था, ताकि किसी वजह से पर्चा खारिज हो जाए तो घर का टिकट घर ही में रहे.

पत्नी को मिला टिकट

बस्ती की रुदौली विधानसभा सीट पर भाजपा ने अपने विधायक संजय प्रताप जयसवाल को इस बार कुछ खास वजह से प्रत्याशी नहीं बनाया. लेकिन उनके जगह उनकी पत्नी संगीता जयसवाल को टिकट दे दिया. अपनी पत्नी को टिकट मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए संजय जयसवाल ने भाजपा के नेताओं के प्रति आभार जताया और एक दिलचस्प मामला मंत्री स्वाति सिंह व उनके पति दयाशंकर सिंह का भी रहा. मंत्री का टिकट कटने के बाद पार्टी ने उनके पति व प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को बलिया से मैदान में उतारा है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: विधानसभा तक पहुंचने के लिए पहली सीढ़ी किसी बड़े दल से टिकट का मिलना है और इसे हासिल करना ही पहली कामयाबी है. लेकिन ऐसे में अगर एक ही परिवार के दो लोगों को टिकट मिल जाए तो ये दोनों हाथों में लड्डू की तरह है. वहीं, इसके लिए कई परिवारों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ी और उन्होंने आखिरकार दो-दो टिकट हासिल भी कर लिए. हालांकि, कुछ ने तो खुद की टिकट कटता देख अपने परिवार के किसी और सदस्य की टिकट पक्की करा ली. विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे वकार अहमद शाह के बेटे यासिर शाह भाजपा की पिछली लहर में बहराइच की इकलौती मटेरा विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर जीते थे. इस बार वो अपनी पत्नी के लिए भी टिकट चाह रहे थे. लेकिन ऐन समय पर सपा ने उनकी सीट ही बदल दी और उन्हें बहराइच सदर से प्रत्याशी बना दिया. खैर, उनकी जगह पार्टी ने जिसे मटेरा से प्रत्याशी बनाया वो वहां से चुनाव लड़ने से पीछे हट गया. क्योंकि उसे कहीं और से टिकट चाहिए था. आखिरकार सपा ने यासिर शाह की पत्नी मारिया शाह को वहां से बतौर उम्मीदवार मैदान में उतार दिया. अब पति-पत्नी अगल-बगल की सीट से लड़ रहे हैं.

वहीं, कांग्रेस के टिकट पर उर्मिला सोनकर जालौन की उरई विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं. वो पूर्व पीसीएस अधिकारी व मौजूदा जिला पंचायत सदस्य हैं. उनकी उम्मीदवारी आने के कुछ समय बाद कांग्रेस ने उनके पति व पूर्व सांसद ब्रजलाल खाबरी को महरौनी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया. बता दें कि ब्रजलाल कांग्रेस के पार्टी के राष्ट्रीय सचिव हैं.

इसे भी पढ़ें - UP Election 2022: मुख्तार अंसारी नहीं लड़ेगा चुनाव, बेटे अब्बास ने किया नामांकन

मां-बेटी, और मां-बेटा भी मैदान में

अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं तो वहीं उनकी बेटी पल्लवी पटेल सिराथू विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं, जहां उनका मुकाबला सूबे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से है. हालांकि खास बात यह पल्लवी सपा के सिंबल पर चुनावी मैदान में हैं. ठीक इसी तरह समाजवादी पार्टी ने अपने एक और सहयोगी पार्टी महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य के परिवार के दो लोगों को अपनी पार्टी से लड़ाया है. फर्रुखाबाद सदर विधानसभा सीट से केशव देव की पत्नी व पार्टी उपाध्यक्ष सुमन मौर्य भी चुनाव लड़ रही हैं, वहीं उनका बेटा प्रकाश चंद्र मौर्य बिल्सी विधानसभा से मैदान में हैं.

बहू का टिकट कटा तो ससुर को मिला

अंबेडकर नगर की आलापुर सीट पर भाजपा ने अपनी महिला विधायक अनीता का टिकट काटना तो तय कर लिया था, लेकिन नाराजगी से बचने के लिए उनके ससुर व पूर्व विधायक त्रिवेणी राम प्रत्याशी बना दिया. बताया जाता है कि साल 2017 में उन्होंने अपना टिकट बहू को दिलवाया था. प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा को भाजपा ने इस पर प्रत्याशी नहीं बनाया, लेकिन उनको सम्मान देते हुए उनके बेटे को उनकी सीट से प्रत्याशी बना दिया. कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी ने जब अपनी सीट से नामांकन किया तो साथ में उनकी मेयर पत्नी ने भी उसी सीट से नामांकन किया. लेकिन यह केवल अतिरिक्त सावधानी बरतने जैसा था, ताकि किसी वजह से पर्चा खारिज हो जाए तो घर का टिकट घर ही में रहे.

पत्नी को मिला टिकट

बस्ती की रुदौली विधानसभा सीट पर भाजपा ने अपने विधायक संजय प्रताप जयसवाल को इस बार कुछ खास वजह से प्रत्याशी नहीं बनाया. लेकिन उनके जगह उनकी पत्नी संगीता जयसवाल को टिकट दे दिया. अपनी पत्नी को टिकट मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए संजय जयसवाल ने भाजपा के नेताओं के प्रति आभार जताया और एक दिलचस्प मामला मंत्री स्वाति सिंह व उनके पति दयाशंकर सिंह का भी रहा. मंत्री का टिकट कटने के बाद पार्टी ने उनके पति व प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को बलिया से मैदान में उतारा है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.