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ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने का फैसला, परिवहन विभाग जारी करेगा चालकों को लाइसेंस

उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के परिवहन विभाग चालकों को प्रशिक्षण देगा. इसके लिए निजी क्षेत्र में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने का फैसला लिया गया है.

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Published : Dec 15, 2022, 9:47 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के परिवहन विभाग चालकों को प्रशिक्षण देगा. इसके लिए निजी क्षेत्र में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने का फैसला लिया गया है. ट्रेनिंग सेंटर से जब चालक प्रशिक्षण लेकर निकलेंगे तो दुर्घटनाओं की संभावना काफी कम रह जाएगी. राज्य परिवहन प्राधिकरण से मुहर लगने के बाद ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर से संबंधित दिशा निर्देश परिवहन विभाग की तरफ से जारी कर दिए गए हैं. खास बात ये है कि सेंटर से प्रशिक्षित चालकों को आरटीओ में लाइसेंस के लिए टेस्ट देना नहीं होगा. परिवहन विभाग लाइसेंस जारी करेगा.

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हल्के मोटर वाहन के ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के लिए न्यूनतम एक एकड़ और भारी वाहनों के लिए न्यूनतम दो एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी. इस सेंटर में चालकों के लिए ट्रेनिंग की क्लास रूम व्यवस्था के साथ-साथ सिमुलेटर ट्रेनिंग और ऑटोमेटेड ट्रैक पर प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाएगी. आवेदक के लिए वार्षिक टर्न ओवर न्यूनतम दो करोड़ और नेटवर्थ 50 लाख रुपए रखा गया है. आवेदनकर्ता कोई विधिक संस्था जैसे-कंपनी, एसोसिएशन, फर्म, एनजीओ, ट्रस्ट, कोआपरेटिव सोसाइटी, वाहन निर्माता संघ, वाहन निर्माता कंपनी होगी. अगर आवेदनकर्ता एनजीओ हो तो उसका नीति आयोग के दर्पण पोर्टल पर पंजीकृत होना जरूरी है. आवेदन को स्वीकृत करने का अधिकार राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) को दिया गया है. अपीलीय प्राधिकारी प्रमुख सचिव परिवहन को रखा गया है.

उन्होंने बताया कि चालक प्रशिक्षण केंद्र की सुरक्षा और क्रियाकलापों में पारदर्शिता के लिए पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. उनकी एक माह की रिकार्डिंग सुरक्षित रखी जाएगी. राज्य परिवहन प्राधिकरण ने यह भी निर्णय लिया है कि एक आवेदक को पूरे प्रदेश में अधिकतम दो ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर आवंटित किए जाएंगे. प्राधिकरण ने 10 प्रशिक्षण कोर्स, उसकी अवधि और फीस का अनुमोदन किया है. आवेदन आमंत्रण और मूल्यांकन के लिए अपर परिवहन आयुक्त (सड़क सुरक्षा) की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है. आवेदन के 02 चरण होंगे. पहले चरण में पात्र आवेदक को ‘लेटर ऑफ इन्टेंट’ जारी किया जाएगा, जिसके आधार पर उस आवेदक को एक साल के अंदर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना संबंधी सभी काम पूरे कराने होंगे. दूसरे चरण में सेंटर स्थापना संबंधी कार्य पूरा करने के बाद आवेदक स्थाई प्रत्यायन प्रमाण पत्र के लिए राज्य परिवहन प्राधिकरण को आवेदन देगा और प्राधिकरण की तरफ से सत्यापन करने के बाद अधिकतम 60 दिनों के अन्दर प्रमाण पत्र जारी होंगे.

डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर मयंक ज्योति (Deputy Transport Commissioner Mayank Jyoti) ने बताया कि नए स्थापित होने वाले ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले चालकों को ड्राइविंग टेस्ट देने की आवशयकता नहीं होगी. परिवहन विभाग ऐसे चालकों को सीधे ड्राइविंग लाइसेंस जारी करेगा. राज्य सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के सभी विभागों और उपक्रमों में कार्यरत चालकों के लिए हर पांच साल पर किसी चालक प्रशिक्षण केंद्र से प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा.


वर्तमान में 17 जिलों वाराणसी, मिर्जापुर, प्रयागराज, गोरखपुर, बस्ती, अयोध्या, आज़मगढ़, देवीपाटन-गोंडा, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, झांसी, अलीगढ़, मथुरा, चित्रकूटधाम-बांदा में राज्य सरकार की तरफ से ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट स्थापित किए जा रहे हैं, जबकि रायबरेली में भारत सरकार और राज्य सरकार की सहायता से इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड रिसर्च सेंटर स्थापित किया गया है, को छोड़कर अन्य 58 जिलों में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे.

यह भी पढ़ें : कहासुनी के बाद दबंगों ने युवक को बेरहमी से पीटा, मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के परिवहन विभाग चालकों को प्रशिक्षण देगा. इसके लिए निजी क्षेत्र में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने का फैसला लिया गया है. ट्रेनिंग सेंटर से जब चालक प्रशिक्षण लेकर निकलेंगे तो दुर्घटनाओं की संभावना काफी कम रह जाएगी. राज्य परिवहन प्राधिकरण से मुहर लगने के बाद ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर से संबंधित दिशा निर्देश परिवहन विभाग की तरफ से जारी कर दिए गए हैं. खास बात ये है कि सेंटर से प्रशिक्षित चालकों को आरटीओ में लाइसेंस के लिए टेस्ट देना नहीं होगा. परिवहन विभाग लाइसेंस जारी करेगा.

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हल्के मोटर वाहन के ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के लिए न्यूनतम एक एकड़ और भारी वाहनों के लिए न्यूनतम दो एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी. इस सेंटर में चालकों के लिए ट्रेनिंग की क्लास रूम व्यवस्था के साथ-साथ सिमुलेटर ट्रेनिंग और ऑटोमेटेड ट्रैक पर प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जाएगी. आवेदक के लिए वार्षिक टर्न ओवर न्यूनतम दो करोड़ और नेटवर्थ 50 लाख रुपए रखा गया है. आवेदनकर्ता कोई विधिक संस्था जैसे-कंपनी, एसोसिएशन, फर्म, एनजीओ, ट्रस्ट, कोआपरेटिव सोसाइटी, वाहन निर्माता संघ, वाहन निर्माता कंपनी होगी. अगर आवेदनकर्ता एनजीओ हो तो उसका नीति आयोग के दर्पण पोर्टल पर पंजीकृत होना जरूरी है. आवेदन को स्वीकृत करने का अधिकार राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) को दिया गया है. अपीलीय प्राधिकारी प्रमुख सचिव परिवहन को रखा गया है.

उन्होंने बताया कि चालक प्रशिक्षण केंद्र की सुरक्षा और क्रियाकलापों में पारदर्शिता के लिए पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. उनकी एक माह की रिकार्डिंग सुरक्षित रखी जाएगी. राज्य परिवहन प्राधिकरण ने यह भी निर्णय लिया है कि एक आवेदक को पूरे प्रदेश में अधिकतम दो ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर आवंटित किए जाएंगे. प्राधिकरण ने 10 प्रशिक्षण कोर्स, उसकी अवधि और फीस का अनुमोदन किया है. आवेदन आमंत्रण और मूल्यांकन के लिए अपर परिवहन आयुक्त (सड़क सुरक्षा) की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है. आवेदन के 02 चरण होंगे. पहले चरण में पात्र आवेदक को ‘लेटर ऑफ इन्टेंट’ जारी किया जाएगा, जिसके आधार पर उस आवेदक को एक साल के अंदर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना संबंधी सभी काम पूरे कराने होंगे. दूसरे चरण में सेंटर स्थापना संबंधी कार्य पूरा करने के बाद आवेदक स्थाई प्रत्यायन प्रमाण पत्र के लिए राज्य परिवहन प्राधिकरण को आवेदन देगा और प्राधिकरण की तरफ से सत्यापन करने के बाद अधिकतम 60 दिनों के अन्दर प्रमाण पत्र जारी होंगे.

डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर मयंक ज्योति (Deputy Transport Commissioner Mayank Jyoti) ने बताया कि नए स्थापित होने वाले ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले चालकों को ड्राइविंग टेस्ट देने की आवशयकता नहीं होगी. परिवहन विभाग ऐसे चालकों को सीधे ड्राइविंग लाइसेंस जारी करेगा. राज्य सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के सभी विभागों और उपक्रमों में कार्यरत चालकों के लिए हर पांच साल पर किसी चालक प्रशिक्षण केंद्र से प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा.


वर्तमान में 17 जिलों वाराणसी, मिर्जापुर, प्रयागराज, गोरखपुर, बस्ती, अयोध्या, आज़मगढ़, देवीपाटन-गोंडा, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, झांसी, अलीगढ़, मथुरा, चित्रकूटधाम-बांदा में राज्य सरकार की तरफ से ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट स्थापित किए जा रहे हैं, जबकि रायबरेली में भारत सरकार और राज्य सरकार की सहायता से इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड रिसर्च सेंटर स्थापित किया गया है, को छोड़कर अन्य 58 जिलों में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे.

यह भी पढ़ें : कहासुनी के बाद दबंगों ने युवक को बेरहमी से पीटा, मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ

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