लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) ने सत्र 2021-22 में स्नातक में दाखिला लेने जा रहे छात्र छात्राओं के लिए बड़े बदलाव कर दिए हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) के प्रावधानों के तहत यहां छात्र-छात्राओं को अब 4 साल के स्नातक की पढ़ाई करने का मौका मिलेगा. इस पढ़ाई को पूरी करने के बाद वह सीधे पीएचडी (PHD) कर सकेंगे.
लखनऊ विश्वविद्यालय में सत्र 2021-22 में ग्रेजुएशन में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं को कई नए बदलाव देखने को मिलेंगे. विश्वविद्यालय ने न केवल पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया है, बल्कि छात्रों को शोध में जाने का रास्ता भी सीधे तौर पर खुल जाएगा. खास बात यह है कि इस स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के हिसाब से इतने बड़े बदलाव करने वाला लखनऊ विश्वविद्यालय प्रदेश का एकमात्र राज्य विश्वविद्यालय बन गया है.
लखनऊ विश्वविद्यालय में स्नातक की करीब साढ़े तीन हजार सीटें हैं. इन पर दाखिले के लिए करीब 50 हजार आवेदन आए हैं. डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर राकेश चंद्रा ने बताया कि 6 सितंबर से पीजी की प्रवेश परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं. उसके बाद यूजी की काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू होगी. उनकी मानें तो सितंबर के अंतिम सप्ताह तक स्नातक प्रथम सेमेस्टर की कक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के तहत लखनऊ विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में कई आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं. लविवि के पाठ्यक्रम में दाखिला लेते समय छात्रों को 4 साल का स्नातक पाठ्यक्रम पढ़ने का विकल्प मिलेगा. प्रोफेसर राकेश चंद्रा ने बताया कि इसके साथ ही छात्रों के पास मल्टी एग्जिट और एंट्री की सुविधा होगी. एक साल की पढ़ाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट मिलेगा. दो साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा, तीन साल के स्नातक की पढ़ाई पूरी करने पर डिग्री और चार साल की पढ़ाई पूरी करने पर छात्र को डिग्री विद रिसर्च मिलेगा.
प्रोफेसर राकेश चंद्रा ने बताया कि यूजी में चार साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को दो विकल्प मिलेंगे. पहला, छात्र एक साल के मास्टर प्रोग्राम में दाखिला ले सकेंगे. दूसरा, विकल्प उन छात्र-छात्राओं के लिए है जो शोध में अपना करियर बनाना चाहते हैं. वह सीधे शोध के लिए जा सकेंगे. प्रोफेसर राकेश चंद्रा ने बताया कि बाहर के विश्वविद्यालयों में छात्रों के पास इस तरह की विकल्प उपलब्ध होते हैं.
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दाखिले के समय छात्रों को दो मेजर और एक माइनर विषय चुनने का विकल्प मिलेगा. पहला सेमेस्टर को करिकुलर और दूसरा सेमेस्टर वोकेशनल ट्रेनिंग पर आधारित होगा. पांचवीं सेमेस्टर के बाद छात्र छात्राओं के लिए इंटर्नशिप की व्यवस्था की गई है. चौथे साल की पढ़ाई पूरी तरह से शोध पर आधारित है. इसलिए मांग चली आ रही है कि वो इसके बाद रिसर्च के क्षेत्र में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार होंगे. पहले दो साल छात्रों को दो मेजर और एक-विषय पढ़ने का मौका मिलेगा. तीसरे साल में एक मेजर विषय ज्यादा ही होगा. इसमें इंटर्नशिप भी है. फोर्थ सेमेस्टर के बाद छात्रों को उसके बारे में बता दिया जाएगा. विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि जो भी बदलाव किए जा रहे हैं वह ना केवल राष्ट्रीय शिक्षा नीति, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के भी अनुरूप है.
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प्रदेश सरकार की ओर से प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों में समान पाठ्यक्रम लागू करने की व्यवस्था शुरू की गई थी. इसमें 70 फीसदी सिलेबस एक समान था. बाकी 30 फीसदी सिलेबस विश्वविद्यालय को अपनी स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार करने की छूट दी गई. इसको लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय के स्तर पर काफी विरोध हुआ, जिसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों की बात को शासन ने स्वीकार किया और विश्वविद्यालय के स्तर पर ही नया सिलेबस डिजाइन करने की छूट दे दी गई. इसलिए लखनऊ विश्वविद्यालय में जो प्रयोग किए जा रहे हैं वह किसी और ने राज्य विश्वविद्यालय में उपलब्ध नहीं है.