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आठ मई को होगी राज्य सलाहकार समिति की बैठक, सभी बिंदुओं पर होगा मंथन

यूपी में प्रस्तावित बिजली दरों पर मंथन को लेकर आठ मई को राज्य सलाहकार समिति की आगामी आठ मई को बैठक बुलाई गई है. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की है.

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Published : May 2, 2023, 7:06 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियां जहां एक तरफ बिजली दरों में 18 से 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी चाहती हैं, वहीं दूसरी तरफ उपभोक्ता परिषद बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं की निकल रही सरप्लस राशि के एवज में बिजली दरों में कमी के लिए पेशबंदी में लगा हुआ है. मंगलवार को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की है. उन्होंने बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल जवाब को गैर जरूरी और बेबुनियाद बताया. नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने कहा कि 'पूरे मामले पर ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी संवैधानिक कमेटी राज्य सलाहकार समिति की आगामी आठ मई को बैठक बुलाई गई है, जिसमें सभी बिंदुओं पर विचार कर उसे अंतिम रूप दिया जाएगा.'




उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 'आठ मई को राज्य सलाहकार समिति की बैठक में जहां बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी का मुद्दा भी शामिल किया गया है, वहीं रेगुलेटरी असेट के आधार पर बिजली दरों में कमी का मुद्दा भी चर्चा में रहेगा. बिजली दरों में कमी को रोकने के लिए जो बिजली कंपनियां बार-बार अपटेल (अपीली प्राधिकरण) में मुकदमा लंबित है, का हवाला देती हैं वह भी राज्य सलाहकार समिति की बैठक में चर्चा में शामिल रहेगा. ऊर्जा क्षेत्र की इस संवैधानिक कमेटी में बिजली कंपनियों की तरफ से प्रस्तावित टैरिफ प्रस्ताव, वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR), नोएडा पावर कंपनी की बिजली दर व पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन का मुद्दा भी प्रमुख रहेगा. उन्होंने कहा कि 'बिजली दरों में कमी को लेकर उपभोक्ता परिषद ने अपनी पूरी तैयारी कर रखी है. अब राज्य सलाहकार समिति की बैठक में सभी वैधानिक तथ्य रखते हुए यह मांग उठाई जाएगी कि प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी की जाए. देश का कोई भी कानून उपभोक्ताओं के सरप्लस धनराशि निकलने के बाद बिजली दरों में बढ़ोतरी की इजाजत नहीं देता, लेकिन प्रदेश की बिजली कंपनियां दबाव डालकर बिजली दरों में बढ़ोतरी चाहती हैं जो बिल्कुल सही नहीं है.'



बता दें कि आठ मई को होने वाली बैठक में प्रमुख सचिव ऊर्जा, प्रमुख सचिव कृषि, प्रमुख सचिव सिंचाई, प्रमुख सचिव खाद्य सहित बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक व उपभोक्ता प्रतिनिधि के रूप में उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स, मेट्रो रेल प्रेसिडेंट, इंडियन स्मार्ट ग्रिड फोरम, निदेशक नेडा सहित कुल 20 सदस्य शामिल होंगे.

यह भी पढ़ें : खुदी सड़क, ट्रैफिक जाम व खुले तार का जाल, स्मार्ट सिटी को लेकर जनता ने बताया यह हाल

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियां जहां एक तरफ बिजली दरों में 18 से 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी चाहती हैं, वहीं दूसरी तरफ उपभोक्ता परिषद बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं की निकल रही सरप्लस राशि के एवज में बिजली दरों में कमी के लिए पेशबंदी में लगा हुआ है. मंगलवार को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की है. उन्होंने बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल जवाब को गैर जरूरी और बेबुनियाद बताया. नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने कहा कि 'पूरे मामले पर ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी संवैधानिक कमेटी राज्य सलाहकार समिति की आगामी आठ मई को बैठक बुलाई गई है, जिसमें सभी बिंदुओं पर विचार कर उसे अंतिम रूप दिया जाएगा.'




उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 'आठ मई को राज्य सलाहकार समिति की बैठक में जहां बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी का मुद्दा भी शामिल किया गया है, वहीं रेगुलेटरी असेट के आधार पर बिजली दरों में कमी का मुद्दा भी चर्चा में रहेगा. बिजली दरों में कमी को रोकने के लिए जो बिजली कंपनियां बार-बार अपटेल (अपीली प्राधिकरण) में मुकदमा लंबित है, का हवाला देती हैं वह भी राज्य सलाहकार समिति की बैठक में चर्चा में शामिल रहेगा. ऊर्जा क्षेत्र की इस संवैधानिक कमेटी में बिजली कंपनियों की तरफ से प्रस्तावित टैरिफ प्रस्ताव, वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR), नोएडा पावर कंपनी की बिजली दर व पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन का मुद्दा भी प्रमुख रहेगा. उन्होंने कहा कि 'बिजली दरों में कमी को लेकर उपभोक्ता परिषद ने अपनी पूरी तैयारी कर रखी है. अब राज्य सलाहकार समिति की बैठक में सभी वैधानिक तथ्य रखते हुए यह मांग उठाई जाएगी कि प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी की जाए. देश का कोई भी कानून उपभोक्ताओं के सरप्लस धनराशि निकलने के बाद बिजली दरों में बढ़ोतरी की इजाजत नहीं देता, लेकिन प्रदेश की बिजली कंपनियां दबाव डालकर बिजली दरों में बढ़ोतरी चाहती हैं जो बिल्कुल सही नहीं है.'



बता दें कि आठ मई को होने वाली बैठक में प्रमुख सचिव ऊर्जा, प्रमुख सचिव कृषि, प्रमुख सचिव सिंचाई, प्रमुख सचिव खाद्य सहित बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक व उपभोक्ता प्रतिनिधि के रूप में उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स, मेट्रो रेल प्रेसिडेंट, इंडियन स्मार्ट ग्रिड फोरम, निदेशक नेडा सहित कुल 20 सदस्य शामिल होंगे.

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