भोपाल: देश भर में 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है. 14 नवंबर को आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती के अवसर पर बाल दिवस (Children's Day) मनाया जाता है.
बाल दिवस के मौके पर स्कूलों में कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. बाल दिवस उत्सव का आयोजन देश के भविष्य के निर्माण में बच्चों के महत्व को बताता है. साथ ही इस दिन बाल अधिकारों के प्रति लोगों को जागरुक किया जाता है. आज के समय में बढ़ती बेरोजगारी और अशिक्षा के चलते बच्चों से उनके बाल अधिकार छिन रहे हैं और बच्चे बाल मजदूरी करने के लिए मजबूर हो रहे हैं. ये बेहद जरूरी है कि बच्चों को सही शिक्षा, पोषण, संस्कार मिले क्योंकि बच्चे ही देश का भविष्य हैं.
आखिर 14 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है बाल दिवस
भारत में 1964 से पहले तक बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था, लेकिन जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद उनके जन्मदिन यानी 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया. 27 मई 1964 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद सर्वसम्मति से ये फैसला लिया गया कि जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से अधिक लगाव था, इसलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के तौर पर माना जाएगा.
कई देशों में अलग-अलग दिन मनाया जाता है बाल दिवस
अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है.1959 में संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली ने बाल अधिकारों की घोषणा की थी. बाल अधिकारों को चार अलग-अलग भांगों में बांटा गया है - जीवन जीने का अधिकार, संरक्षण का अधिकार, सहभागिता का अधिकार और विकास का अधिकार. हालांकि कई देश ऐसे हैं जहां 20 नवंबर की जगह अलग-अलग दिन बाल दिवस मनाया जाता है. कई देशों में 1 जून को बाल दिवस मनाया जाता है.
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राष्ट्रपति की सहभागिता
हर साल राष्ट्रपति भवन में देश भर से आए चुनिंदा बच्चों से भारत के राष्ट्रपति मुलाकात करते हैं. बाल दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति बच्चों का मनोबल बढ़ाते हैं और उन्हें उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं.
देश के 11वें राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम देश के विकास के लिए बच्चों का विकास जरूरी मानते थे. उन्होंने पद पर रहते हुए और बाद में भी कई मौकों पर ये संदेश दिया है कि देश का विकास बच्चों के हाथों में ही है. उन्होंने कहा था कि आज के साथ समझौता करने पर ही हम देश के बच्चों के लिए बेहतर कल दे सकेंगे.