लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मारपीट व अन्य आपराधिक आरोपों से संबंधित एक मामले में बाराबंकी के तत्कालीन एसपी अरविंद चतुर्वेदी व सीडीओ मेघा रूपम समेत खंड विकास अधिकारी, ग्राम्य विकास अधिकारी, थानाध्यक्ष देवां व एसआई जैद अहमद को बड़ी राहत दी है. इन अधिकारियों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, बाराबंकी ने जिस मामले में तलब किया था, न्यायालय ने उस मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी है.
यह आदेश न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान की एकल पीठ ने राज्य सरकार की पुनरीक्षण याचिका पर पारित किया. याचिका में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के 17 फरवरी 2021 के एक आदेश को चुनौती दी गई थी. स्थानीय निवासी राम प्रताप ने सीजेएम के समक्ष प्रार्थना पत्र देते हुए बीडीओ अनूप कुमार सिंह व ग्राम्य विकास अधिकारी बीना पर उसके साथ मारपीट, गाली-गलौज इत्यादि आरोप लगाए थे. जिस पर सीजेएम ने मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश बाराबंकी जनपद के देवां थाने को दिया था.
उक्त एफआईआर पर घटना की जांच सीडीओ द्वारा भी की गई. सीडीओ ने अपनी जांच में राम प्रताप द्वारा लगाए आरोपों को बेबुनियाद बताया व एक रिपोर्ट एसपी को भी प्रेषित कर दी. पुलिस ने सीडीओ की रिपोर्ट को देखते हुए विवेचना के उपरांत अभियुक्तों को क्लीन चिट देते हुए, फाइनल रिपोर्ट लगा दी. उक्त फाइनल रिपोर्ट के विरुद्ध एक प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र वादी द्वारा दाखिल किया गया.
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सीजेएम ने उक्त प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लेते हुए, उपरोक्त सभी अधिकारियों को तलब कर लिया. राज्य सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने दलील दी कि सीजेएम का तलबी आदेश मनमाना और अविधिपूर्ण है. कहा गया कि सरकारी अधिकारी होने के नाते इन सभी को सीआरपीसी की धारा 197 के तहत संरक्षण प्राप्त है. न्यायालय ने मामले की सभी परिस्थितियों पर गौर करने के पश्चात सीजेएम कोर्ट के समक्ष चल रही उक्त कार्यवाही पर रोक लगा दी है.