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लखनऊ: यहां नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, दावे हुए फेल

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आरटीओ कार्यालय में कोरोना से बचाव के लिए टोकन व्यवस्था शुरू की गई थी. विभाग के लापरवाह रवैये के कारण इस व्यवस्था का सुचारु रूप से संचालन नहीं हो रहा.

आरटीओ कार्यालय में नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
आरटीओ कार्यालय में नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
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Published : Nov 3, 2020, 9:13 PM IST

लखनऊ: परिवहन विभाग ने राजधानी लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में कोरोना से बचाव के लिए टोकन व्यवस्था लागू की है. इसके बाद भी कार्यालय में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा. कार्यालय में लागू टोकन व्यवस्था का सुचारु रूप से संचालन नहीं होने के कारण आवेदकों को अब तीन बार लाइन में लगना पड़ रहा है. साथ ही टोकन मिलने में भी परेशानी हो रही है. एक शिफ्ट खत्म होने के बाद दूसरी शिफ्ट के टोकन घंटों देरी से मिल रहे हैं, जिससे आवेदकों को परेशानी हो रही है.


जब टोकन व्यवस्था लागू नहीं थी. यह व्यवस्था लागू होने के बाद लाइन और बढ़ गई है. आरटीओ कार्यालय आने पर आवेदकों को अब पहले टोकन की लाइन में लगना पड़ रहा है. इसके बाद नंबर जनरेट कराने के लिए और फिर फोटो खिंचाने के लिए. अब तीन बार लाइन में लगने के बाद ही आवेदकों का काम हो रहा है. इस कारण आवेदक टोकन व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे हैं.


सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं हो रहा पालन
आरटीओ में टोकन व्यवस्था इसलिए लागू की गई थी कि आम जनता से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा सके. विभाग के लापरवाह रवैये के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा. कार्यालय में काम के लिए आने वाले लोगों को घंटों टोकन के लिए लाइन में लगना पड़ रहा है.

हर शिफ्ट में टोकन की परेशानी
टोकन व्यवस्था लागू करने के बाद विभाग का मानना था कि आवेदक अपने नंबर से काम कराएंगे, जिससे शिकायतें कम होंगी. अब हर शिफ्ट में बार-बार टोकन बांटने का झंझट हो रहा है. एक बार जो आवेदक लर्नर या परमानेंट लाइसेंस के लिए टोकन लेकर टेस्ट देने जाता है. उसके बाद दूसरी शिफ्ट के लिए यहां से टोकन वापस आने में काफी देरी हो जाती है. इससे दूसरी शिफ्ट के आवेदक टोकन के लिए लाइन में लग रहते हैं.


टोकन पर लिखने, मिटाने पड़ रहे हैं नंबर
पूछताछ काउंटर पर बैठे कर्मचारी हर शिफ्ट के लिए टोकन बांटते हैं, तो पहले के टोकन पर जो नंबर अंकित करते हैं, उसे मिटाते हैं और फिर दूसरी शिफ्ट के लिए उसी टोकन पर दूसरा नंबर अंकित करते हैं, इससे और भी देरी हो जाती है. इससे लाइन में लगे आवेदकों के सब्र का बांध टूट जाता है और कर्मचारियों के लिए भी मुश्किल खड़ी हो जाती है. आरटीओ रामफेर द्विवेदी ने कहा कि टोकन व्यवस्था में जो भी परेशानियां आ रही हैं, उनके समाधान के लिए मंगलवार को एक अतिरिक्त एआरटीओ की तैनाती की गई है. एआरटीओ टोकन व्यवस्था का संचालन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराएंगे.

लखनऊ: परिवहन विभाग ने राजधानी लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में कोरोना से बचाव के लिए टोकन व्यवस्था लागू की है. इसके बाद भी कार्यालय में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा. कार्यालय में लागू टोकन व्यवस्था का सुचारु रूप से संचालन नहीं होने के कारण आवेदकों को अब तीन बार लाइन में लगना पड़ रहा है. साथ ही टोकन मिलने में भी परेशानी हो रही है. एक शिफ्ट खत्म होने के बाद दूसरी शिफ्ट के टोकन घंटों देरी से मिल रहे हैं, जिससे आवेदकों को परेशानी हो रही है.


जब टोकन व्यवस्था लागू नहीं थी. यह व्यवस्था लागू होने के बाद लाइन और बढ़ गई है. आरटीओ कार्यालय आने पर आवेदकों को अब पहले टोकन की लाइन में लगना पड़ रहा है. इसके बाद नंबर जनरेट कराने के लिए और फिर फोटो खिंचाने के लिए. अब तीन बार लाइन में लगने के बाद ही आवेदकों का काम हो रहा है. इस कारण आवेदक टोकन व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे हैं.


सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं हो रहा पालन
आरटीओ में टोकन व्यवस्था इसलिए लागू की गई थी कि आम जनता से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा सके. विभाग के लापरवाह रवैये के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा. कार्यालय में काम के लिए आने वाले लोगों को घंटों टोकन के लिए लाइन में लगना पड़ रहा है.

हर शिफ्ट में टोकन की परेशानी
टोकन व्यवस्था लागू करने के बाद विभाग का मानना था कि आवेदक अपने नंबर से काम कराएंगे, जिससे शिकायतें कम होंगी. अब हर शिफ्ट में बार-बार टोकन बांटने का झंझट हो रहा है. एक बार जो आवेदक लर्नर या परमानेंट लाइसेंस के लिए टोकन लेकर टेस्ट देने जाता है. उसके बाद दूसरी शिफ्ट के लिए यहां से टोकन वापस आने में काफी देरी हो जाती है. इससे दूसरी शिफ्ट के आवेदक टोकन के लिए लाइन में लग रहते हैं.


टोकन पर लिखने, मिटाने पड़ रहे हैं नंबर
पूछताछ काउंटर पर बैठे कर्मचारी हर शिफ्ट के लिए टोकन बांटते हैं, तो पहले के टोकन पर जो नंबर अंकित करते हैं, उसे मिटाते हैं और फिर दूसरी शिफ्ट के लिए उसी टोकन पर दूसरा नंबर अंकित करते हैं, इससे और भी देरी हो जाती है. इससे लाइन में लगे आवेदकों के सब्र का बांध टूट जाता है और कर्मचारियों के लिए भी मुश्किल खड़ी हो जाती है. आरटीओ रामफेर द्विवेदी ने कहा कि टोकन व्यवस्था में जो भी परेशानियां आ रही हैं, उनके समाधान के लिए मंगलवार को एक अतिरिक्त एआरटीओ की तैनाती की गई है. एआरटीओ टोकन व्यवस्था का संचालन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराएंगे.

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