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गर्भ में एक बच्चे की हो गई थी मौत, डॉक्टरों ने दूसरे की कराई स्वस्थ्य डिलवरी

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक महिला ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. बीते मंगलवार को गर्भवती महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया और एक मृत बच्चे को जन्म दिया.

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अवंती बाई महिला चिकित्सालय में रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस की पुष्टि.
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Published : Dec 12, 2019, 3:02 PM IST

लखनऊ: राजधानी के रानी अवंती बाई महिला चिकित्सालय में हाल ही में रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस की पुष्टि की गई है. इस मामले की कहानी कुछ ऐसी है कि गर्भवती महिला को खुशी के साथ गम भी मिला है. फिलहाल जच्चा और बच्चा स्वस्थ हैं.

अवंती बाई महिला चिकित्सालय में रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस की पुष्टि.
  • वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय में कुछ दिनों पहले एक गर्भवती महिला अल्ट्रासाउंड के लिए आई थी.
  • अल्ट्रासाउंड में इस बात की पुष्टि की गई कि महिला को जुड़वा बच्चे जन्म देना हैं.
  • 5 महीने के अल्ट्रासाउंड के बाद आठवें महीने में पता चला कि जुड़वा बच्चों में से एक बच्चा जीवित नहीं है.

इसके बाद महिला डॉक्टर के पास आई. डॉक्टरों ने महिला की जांच की और कुछ दवाइयों के सहारे, इस बात को निश्चित किया कि वह जच्चा-बच्चा को स्वस्थ रखेंगे. बीते मंगलवार को महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. वहीं दूसरी तरफ दूसरा बच्चा मृत निकला. इस बारे में वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय की एसआईसी डॉ. नीरा जैन ने बताया कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है, जिसमें गर्भावस्था में ही एक बच्चे की 5 महीने में मृत्यु हो गई और दूसरा बच्चा जीवित रहा और स्वस्थ रहा.

ऐसे केस चार-पांच वर्षों में एक बार ही देखने को मिलते हैं. दोनों बच्चे अलग-अलग थैलियों में थे और अलग-अलग प्लेसेंटा से जुड़े हुए थे. इसलिए इस बात का खतरा कम था कि मां या दूसरे बच्चे को इंफेक्शन फैल सकता है. ऐसे मामलों में डॉक्टरों का कहना है कि इन मामलों में दबाव और मेडिकल इलाज के साथ-साथ मरीज की काउंसलिंग भी की जाती है, ताकि वह मानसिक तौर पर खुश रहे.

लखनऊ: राजधानी के रानी अवंती बाई महिला चिकित्सालय में हाल ही में रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस की पुष्टि की गई है. इस मामले की कहानी कुछ ऐसी है कि गर्भवती महिला को खुशी के साथ गम भी मिला है. फिलहाल जच्चा और बच्चा स्वस्थ हैं.

अवंती बाई महिला चिकित्सालय में रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस की पुष्टि.
  • वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय में कुछ दिनों पहले एक गर्भवती महिला अल्ट्रासाउंड के लिए आई थी.
  • अल्ट्रासाउंड में इस बात की पुष्टि की गई कि महिला को जुड़वा बच्चे जन्म देना हैं.
  • 5 महीने के अल्ट्रासाउंड के बाद आठवें महीने में पता चला कि जुड़वा बच्चों में से एक बच्चा जीवित नहीं है.

इसके बाद महिला डॉक्टर के पास आई. डॉक्टरों ने महिला की जांच की और कुछ दवाइयों के सहारे, इस बात को निश्चित किया कि वह जच्चा-बच्चा को स्वस्थ रखेंगे. बीते मंगलवार को महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. वहीं दूसरी तरफ दूसरा बच्चा मृत निकला. इस बारे में वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय की एसआईसी डॉ. नीरा जैन ने बताया कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है, जिसमें गर्भावस्था में ही एक बच्चे की 5 महीने में मृत्यु हो गई और दूसरा बच्चा जीवित रहा और स्वस्थ रहा.

ऐसे केस चार-पांच वर्षों में एक बार ही देखने को मिलते हैं. दोनों बच्चे अलग-अलग थैलियों में थे और अलग-अलग प्लेसेंटा से जुड़े हुए थे. इसलिए इस बात का खतरा कम था कि मां या दूसरे बच्चे को इंफेक्शन फैल सकता है. ऐसे मामलों में डॉक्टरों का कहना है कि इन मामलों में दबाव और मेडिकल इलाज के साथ-साथ मरीज की काउंसलिंग भी की जाती है, ताकि वह मानसिक तौर पर खुश रहे.

Intro:लखनऊ। रानी अवंती बाई महिला चिकित्सालय में हाल ही में रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस की पुष्टि की गई है इस मामले की कहानी कुछ ऐसी है कि अगली बार गर्भवती हुई महिला को खुशी के साथ गम भी मिला। फिलहाल जच्चा और बच्चा स्वस्थ हैं और अस्पताल इस बात से काफी निश्चिंत है।


Body:वीओ1 वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय में कुछ दिनों पहले एक गर्भवती महिला आई अल्ट्रासाउंड में इस बात की पुष्टि की गई कि उसे जुड़वा बच्चे जन्म देने हैं 5 महीने के अल्ट्रासाउंड के बाद आठवें महीने में जबर पसंद किया गया तो पता चला कि उनमें से एक बच्चा जीवित नहीं है इस पर इंफेक्शन का खतरा और साथ ही कई अन्य परेशानियों को दिमाग में लिए हुए 15 दिन पहले डॉक्टर के पास आई यहाँ डॉक्टरों ने उसकी जांच की और कुछ दवाइयों के सहारे इस बात को निश्चित किया कि वह जच्चा बच्चा को स्वस्थ रखेंगे। बीते मंगलवार को महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया वहीं दूसरी तरफ दूसरा बच्चा मृत निकला। इस बारे में वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय(डफरिन) की एस आई सी डॉ नीरा जैन कहती हैं कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है जिसमें गर्भावस्था में ही एक बच्चे की 5 महीने में मृत्यु हो गई और दूसरा बच्चा जीवित रहा और स्वस्थ रहा। ऐसे केस चार-पांच वर्षों में एक बार ही देखने को मिलते हैं। क्योंकि दोनों बच्चे अलग-अलग थैलियों में थे और अलग-अलग प्लेसेंटा से जुड़े हुए थे इसलिए इस बात का खतरा कम था कि मां या दूसरे बच्चे को इंफेक्शन फैल सकता है और इसीलिए हम ने या कदम उठाया और 15 दिन भर्ती रखने के बाद प्रसूता की डिलीवरी की गई।


Conclusion:ऐसे मामलों में डॉक्टरों का कहना है कि इन मामलों में दबाव और मेडिकल इलाज के साथ-साथ मरीज की काउंसलिंग भी की जाती है ताकि वह मानसिक तौर पर खुश रहे। बाइट- मरीज के रिश्तेदार बाइट- डॉ नीरा जैन, एस आई सी, वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय (डफरिन)
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