लखनऊ: किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (KGMU) में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के लिए राजभवन ने आदेश जारी किए हैं. केजीएमयू में नियमों को ताक पर रखकर बेटों-चहेतों को नौकरी बांटी गई थी. ऐसे में मेधावियों को दरकिनार कर किये गए खेल को ETV BHART ने सबसे पहले उठाया. अब कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अपर मुख्य सचिव ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजकर मामले की जांच के लिए आदेश जारी किया है, जिससे संस्थान में हड़कंप मच गया है.
बता दें कि केजीएमयू के करीब 43 विभागों में लगभग 230 पदों पर शिक्षक भर्ती हुई थी. साल के शुरुआत में मेडिकल संकाय में शिक्षक भर्ती के साक्षात्कार हुए थे. लेकिन जैसे ही मेडिकल संकाय में इंटरव्यू के लिफाफे खुले नियुक्तियों पर सवाल उठने लगे. नव नियुक्त शिक्षिकों के नाम सार्वजनिक होते ही भर्ती विवादों के घेरे में आ गई. सबसे बड़ा धांधली का आरोप प्लास्टिक सर्जरी विभाग में शिक्षक भर्ती में लगा. इसमें सरकारी कॉलेज से सुपर स्पेशयलिटी डिग्री हासिल करने वाले मेधावियों को दरकिनार कर दिया गया. जबकि नेपाल से प्राइवेट डिग्री लेकर आए केजीएमयू के एक बड़े अफसर के बेटे को शिक्षक पद पर नियुक्त कर दिया गया. ऐसे ही रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में शिक्षक भर्ती में एक वरिष्ठ शिक्षक के चहेते को नौकरी देने के आरोप हैं. इसमें दूसरे विभाग का अनुभव लगाने वाले अभ्यर्थी को स्क्रीनिंग कमेटी ने साक्षात्कार के लिए वैध कर दिया. वहीं, प्रस्तावित कार्यपरिषद में नियुक्ति पर मुहर लगाकर तैनाती भी दे दी गयी. विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरे विभाग का अनुभव प्रमाण पत्र लगाना नियम विपरीत है. अब राजभवन ने प्लास्टिक सर्जरी विभाग में नेपाल से पास अफसर के बेटे को भर्ती करने के मामले पर जांच के आदेश दिए हैं.
उरई के विधायक ने की कार्रवाई की मांग
उरई से विधायक गौरी शंकर वर्मा 5 अप्रैल को राज्यपाल और मुख्यमंत्री से भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत की थी. गौरी शंकर वर्मा सीएम और राज्यपाल को भेजे गए पत्र में लिखा था कि प्लास्टिक सर्जरी में एमसीएच कोर्स की पढ़ाई होती है. ऐसे में डीएनबी कोर्स करने वाले को सहायक आचार्य पद पर नियुक्त दी गई. आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों ने सरकार द्वारा आयोजित एमबीबीएस-एमएस व एमसीएच प्रवेश परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर की मेरिट हासिल कर सरकारी कॉलेज से पढ़ाई की, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ. जबकि नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व केरल के प्राइवेट कॉलेज से डीएनबी कोर्स करने वाले का चयन हो गया. इस शिकायत पर 25 जून को कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अपर मुख्य सचिव ने शिकायत का संज्ञान लिया और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजा. पत्र में प्रकरण के जांच करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही विधि अनुसार आवश्यक कार्यवाही करने को कहा गया है.
पहले मेरठ निवासी ने की थी शिकायत
वहीं, मेरठ के सर्वेन्द्र चौहान ने 1 मार्च को मुख्यमंत्री और राज्यपाल से शिकायत की थी. जिस पर 8 मार्च को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा ने केजीएमयू के रजिस्ट्रार से मामले पर रिपोर्ट तलब की. सर्वेन्द्र के मुताबिक प्लास्टिक सर्जरी विभाग में दो असिस्टेंट प्रोफेसर (अन रिजर्व) भर्ती के लिए विज्ञापन निकला. इसमें छह अभ्यर्थी ने आवदेन किए. सरकारी कॉलेज से एमसीएच पास आउट व नौकरी करने वाले अभ्यर्थियों को दरकिनार कर दिया गया. वहीं, नेपाल से एमबीबीएस व केरल के प्राइवेट कॉलेज से डीएनबी कोर्स करने वाले केजीएमयू के एक बड़े अधिकारी के बेटे का शिक्षक पद पर चयन कर लिया गया है. ऐसे ही रेस्परेटरी मेडिसिन समेत कई विभागों में गलत अनुभव प्रमाण पत्र के जरिए चहेतों को नौकरी देने का षडयंत्र किया गया.
ETV ने भी यह उठाये थे सवाल
- प्लास्टिक सर्जरी में एमसीएच कोर्स की पढ़ाई होती है। ऐसे में डीएनबी कोर्स करने वाला शिक्षक छात्रों को सुपर स्पेशयलिटी एमसीएच कोर्स कैसे पढ़ाएगा.
- आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों ने सरकार द्वारा आयोजित एमबीबीएस-एमएस व एमसीएच प्रवेश परीक्षा में नेशनल लेवल मेरिट हासिल कर सरकारी कॉलेज से पढ़ाई की. मगर, उनका चयन नहीं हुआ.
- नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व डायरेक्ट केरल के प्राइवेट कॉलेज से 6 साल का डीएनबी कोर्स करने वाले अफसर के बेटे का चयन हो गया.
- खास बात यह भी है कि चयन से बाहर किया गया एक अभ्यर्थी एम्सऋषिकेश में शिक्षक पद पर है, उसे भी नेपाली डिग्री वाले अफसर के बेटे के आगे नकार दिया गया.
- केजीएमयू से पास आउट, वहीं से सीनियर रेजीडेंट करने वाले भी अभ्यर्थी को नकार दिया गया. ऐसे में हताश मेधावी भी अब मामले की जांच की मांग कर रहे हैं.