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जेल में बंद पुलस्त तिवारी का आरोप- दो लाख रुपये न देने पर पुलिसवालों ने मार दी गोली

राजधानी लखनऊ के आशियाना थाना क्षेत्र में पुलस्त तिवारी एनकाउंटर मामला शुरू से ही विवादों में रहा है. अब इस मामले में जेल में बंद पुलस्त तिवारी ने चिट्ठी भेजकर आशियाना पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पुलस्त तिवारी का कहना है कि दो लाख रुपये न देने पर उसे पुलिसवालों ने गोली मार दी.

pulast tiwari encounter
पुलस्त तिवारी.
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Published : Oct 10, 2020, 10:36 PM IST

लखनऊ: राजधानी के आशियाना थाना अंतर्गत हुए पुलस्त तिवारी एनकाउंटर मामले में पुलस्त तिवारी ने जेल से चिट्ठी भेजकर आशियाना पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. शनिवार को वायरल हुई चिट्ठी के जरिए पुलस्त तिवारी ने पैसे न देने पर आशियाना थाना प्रभारी संजय राय द्वारा गोली मारे जाने का आरोप लगाया है. पुलस्त तिवारी एनकाउंटर शुरू से ही विवादों के घेरे में रहा है. इस पर सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने एक अपील राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में की थी, जिस पर पुलिस को नोटिस भी जारी हुआ था.

चिट्ठी के जरिए पुलस्त तिवारी ने बताया, '9 अगस्त 2020 की रात सर्वोदय नगर, इंदिरा नगर में शाम 6:30 बजे दो पुलिस वाले महेश दुबे और मोहित सोनी मेरे घर आए. वे खुद को आशियाना थाने का दारोगा बताते हुए अपने हुंडई क्रेटा गाड़ी में बैठा कर ले गए. इन लोगों ने आशियाना चौकी के सामने गाड़ी खड़ी कर दी और मेरे सामने ही इंस्पेक्टर आशियाना संजय राय और सीओ को इस सम्बन्ध में सूचित किया. इसके बाद वे पुलस्त तिवारी को भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के बगल में कूड़े वाले रास्ते पर ले गए. वहां ले जाकर उन्होंने मुझसे कहा कि बचना है तो 2 लाख रुपये दे दो.'

पुलस्त तिवारी द्वारा इस सम्बन्ध में असमर्थता दिखाने पर पुलिस वालों ने उसके मुंह और हाथ पर कपड़ा बांधकर गोली मार दी. फिर उसे फोटो खिंचवाने व कट्टा पकड़वाने के लिए मारा पीटा गया. पुलस्त तिवारी के अनुसार, उसे संजय राय द्वारा गोली मारी गई थी.

पुलस्त तिवारी के कथित मुठभेड़ को गलत बताते हुए उसकी मां मंजुला तिवारी द्वारा पुलिस वालों पर एफआईआर के लिए दायर वाद में सीजेएम कोर्ट शिवानंद ने गाजीपुर थाने से 29 अक्टूबर तक इस आशय की आख्या मांगी है कि इस मामले में सम्बन्धित थाने पर कोई मुकदमा पंजीकृत है अथवा नहीं.

वादिनी की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने बताया कि लखनऊ पुलिस ने दावा किया था कि आशियाना थाना क्षेत्र में देर रात हुई मुठभेड़ में 25 हजार का इनामी बदमाश पुलस्त तिवारी को गिरफ्तार किया गया है, जिसके दाहिने पैर में गोली लगी. इसके विपरीत पुलस्त तिवारी परिवार के अनुसार, शाम करीब 6:30 बजे दो पुलिस वाले उनके घर आए और वह पुलस्त तिवारी को अपने साथ ले गए, जिसकी सीसीटीवी रिकॉर्डिंग भी है.

ये भी पढ़ें: लखनऊः एसटीपी से शोधित पानी को दोबारा इस्तेमाल में लाएगा नगर-निगम

नूतन के अनुसार, सीजेएम कोर्ट में वाद की पोषणीयता के सम्बन्ध में बहस हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि पुलिस वालों द्वारा फर्जी मुठभेड़ उनके सरकारी काम का नहीं है. अतः इसमें पूर्व अभियोजन स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है. इस पर कोर्ट ने आदेश किया कि वाद की व 156 (3) सीआरपीसी के सम्बन्ध में कोई भी आदेश करने से पूर्व थाने से आख्या मांगा जाना जरूरी है. कोर्ट ने वाद की पोषणीयता के लिए 29 अक्टूबर की तारीख तय की है.

लखनऊ: राजधानी के आशियाना थाना अंतर्गत हुए पुलस्त तिवारी एनकाउंटर मामले में पुलस्त तिवारी ने जेल से चिट्ठी भेजकर आशियाना पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. शनिवार को वायरल हुई चिट्ठी के जरिए पुलस्त तिवारी ने पैसे न देने पर आशियाना थाना प्रभारी संजय राय द्वारा गोली मारे जाने का आरोप लगाया है. पुलस्त तिवारी एनकाउंटर शुरू से ही विवादों के घेरे में रहा है. इस पर सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने एक अपील राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में की थी, जिस पर पुलिस को नोटिस भी जारी हुआ था.

चिट्ठी के जरिए पुलस्त तिवारी ने बताया, '9 अगस्त 2020 की रात सर्वोदय नगर, इंदिरा नगर में शाम 6:30 बजे दो पुलिस वाले महेश दुबे और मोहित सोनी मेरे घर आए. वे खुद को आशियाना थाने का दारोगा बताते हुए अपने हुंडई क्रेटा गाड़ी में बैठा कर ले गए. इन लोगों ने आशियाना चौकी के सामने गाड़ी खड़ी कर दी और मेरे सामने ही इंस्पेक्टर आशियाना संजय राय और सीओ को इस सम्बन्ध में सूचित किया. इसके बाद वे पुलस्त तिवारी को भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के बगल में कूड़े वाले रास्ते पर ले गए. वहां ले जाकर उन्होंने मुझसे कहा कि बचना है तो 2 लाख रुपये दे दो.'

पुलस्त तिवारी द्वारा इस सम्बन्ध में असमर्थता दिखाने पर पुलिस वालों ने उसके मुंह और हाथ पर कपड़ा बांधकर गोली मार दी. फिर उसे फोटो खिंचवाने व कट्टा पकड़वाने के लिए मारा पीटा गया. पुलस्त तिवारी के अनुसार, उसे संजय राय द्वारा गोली मारी गई थी.

पुलस्त तिवारी के कथित मुठभेड़ को गलत बताते हुए उसकी मां मंजुला तिवारी द्वारा पुलिस वालों पर एफआईआर के लिए दायर वाद में सीजेएम कोर्ट शिवानंद ने गाजीपुर थाने से 29 अक्टूबर तक इस आशय की आख्या मांगी है कि इस मामले में सम्बन्धित थाने पर कोई मुकदमा पंजीकृत है अथवा नहीं.

वादिनी की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने बताया कि लखनऊ पुलिस ने दावा किया था कि आशियाना थाना क्षेत्र में देर रात हुई मुठभेड़ में 25 हजार का इनामी बदमाश पुलस्त तिवारी को गिरफ्तार किया गया है, जिसके दाहिने पैर में गोली लगी. इसके विपरीत पुलस्त तिवारी परिवार के अनुसार, शाम करीब 6:30 बजे दो पुलिस वाले उनके घर आए और वह पुलस्त तिवारी को अपने साथ ले गए, जिसकी सीसीटीवी रिकॉर्डिंग भी है.

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नूतन के अनुसार, सीजेएम कोर्ट में वाद की पोषणीयता के सम्बन्ध में बहस हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि पुलिस वालों द्वारा फर्जी मुठभेड़ उनके सरकारी काम का नहीं है. अतः इसमें पूर्व अभियोजन स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है. इस पर कोर्ट ने आदेश किया कि वाद की व 156 (3) सीआरपीसी के सम्बन्ध में कोई भी आदेश करने से पूर्व थाने से आख्या मांगा जाना जरूरी है. कोर्ट ने वाद की पोषणीयता के लिए 29 अक्टूबर की तारीख तय की है.

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