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देश में 70 हजार से ऊपर पहुंची स्टार्टअप की संख्या

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (CSIR) में विज्ञान एवं तकनीकी द्वारा उद्यमिता विकास पर दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित हुआ. प्रो. वीपी कम्बोज ने कहा कि देश चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के पथ पर आगे बढ़ रहा है.

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Published : Sep 12, 2022, 8:32 PM IST

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लखनऊ : राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (CSIR) में विज्ञान एवं तकनीकी द्वारा उद्यमिता विकास पर दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित हुआ. सोमवार को कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विज्ञान एवं तकनीकी द्वारा उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना रहा. कार्यक्रम का उद्घाटन प्रो. मंजू शर्मा, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत की चेयरमैन एवं पूर्व सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा किया गया.

राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत (नासी) प्रयागराज एवं बायोटेक कंसोर्टियम इंडिया लिमिटेड, नई दिल्ली द्वारा सयुंक्त रूप से क्रार्यक्रम का आयोजन किया गया. उद्घाटन सत्र में अतिथियों और सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए संस्थान के निदेशक एवं अकादमी के फेलो प्रो. एस के बारिक ने कहा कि यह अकादमी भारत सरकार के आत्मनिर्भर मिशन (self reliant mission) के अंतर्गत ऐसे उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को आयोजित कर देश में नए स्टार्टअप को बढ़ावा दे रही है. सीएसआईआर-सीडीआरआई एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत (नासी) के पूर्व प्रेसिडेंट प्रो. वीपी कम्बोज ने कार्यक्रम की रूपरेखा को प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी से पहले देश में करीब 500 स्टार्टअप रजिस्टर्ड थे, वहीं आज दो साल बाद आत्मनिर्भर भारत मिशन के अंतर्गत देश में स्टार्टअप की संख्या 70 हजार से ऊपर पहुंच चुकी है. देश चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के पथ पर आगे बढ़ रहा है. जिसका ज्वलंत उदहारण कोरोना काल में देश के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित कोरोना रोधी टीका है. जिसके चलते देश की इतनी बड़ी आबादी को टीका लगाया जा सका.

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर आईआईटी दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. वी रामगोपाल राव ने अपने विचार रखे. उन्होंने कहा अगर देश को आत्मनिर्भर बनना है तो देश के सभी वैज्ञानिक संस्थानों की विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्रों में प्राप्त उपलब्धियों को जमीनी स्तर तक पहुंचाना होगा. उन्होंने आईआईटी दिल्ली के द्वारा स्टार्टअप की सहायता के लिए चलाये जा रहे इन्क्यूबेशन सेंटर्स के बारे में भी बताया.

यह भी पढ़ें : यूपी पुलिस का डिजिटल वॉलेंटियर सी प्लान ऐप बनेगा मददगार, जानिये कैसे करेगा काम

वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शरद श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यक्रम में दो सत्रों में करीब सात विशेषज्ञों ने उद्यमिता विकास पर व्याख्यानों के द्वारा अपने-अपने विचार रखें. जिनमें आईआईटी कानपुर के डॉ. शांतनु भट्टाचार्य, आईआईटी, दिल्ली के डॉ. सुकुमार मिश्र, आईआईटी रूड़की के प्रो. रजत अग्रवाल, जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स, पुणे के डॉ. संजय सिंह, आईआईएससी बेंगलुरु की प्रो. रोहिणी गोडबोले, के एंड एस पार्टनर्स गुरुग्राम की डॉ. दीपा टिकू, आईआईटी खड़कपुर की प्रो. सुमन चक्रवर्ती एवं सीएसआईआर-सीडीआरआई लखनऊ की डॉ. रितु त्रिवेद्वी मुख्य वक्ता रहीं.

यह भी पढ़ें : समाधान दिवस में उपभोक्ताओं की समस्या सुनने पहुंचे ऊर्जा मंत्री, अधिकारियों को दिए निर्देश

लखनऊ : राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (CSIR) में विज्ञान एवं तकनीकी द्वारा उद्यमिता विकास पर दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित हुआ. सोमवार को कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विज्ञान एवं तकनीकी द्वारा उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना रहा. कार्यक्रम का उद्घाटन प्रो. मंजू शर्मा, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत की चेयरमैन एवं पूर्व सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा किया गया.

राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत (नासी) प्रयागराज एवं बायोटेक कंसोर्टियम इंडिया लिमिटेड, नई दिल्ली द्वारा सयुंक्त रूप से क्रार्यक्रम का आयोजन किया गया. उद्घाटन सत्र में अतिथियों और सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए संस्थान के निदेशक एवं अकादमी के फेलो प्रो. एस के बारिक ने कहा कि यह अकादमी भारत सरकार के आत्मनिर्भर मिशन (self reliant mission) के अंतर्गत ऐसे उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को आयोजित कर देश में नए स्टार्टअप को बढ़ावा दे रही है. सीएसआईआर-सीडीआरआई एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत (नासी) के पूर्व प्रेसिडेंट प्रो. वीपी कम्बोज ने कार्यक्रम की रूपरेखा को प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी से पहले देश में करीब 500 स्टार्टअप रजिस्टर्ड थे, वहीं आज दो साल बाद आत्मनिर्भर भारत मिशन के अंतर्गत देश में स्टार्टअप की संख्या 70 हजार से ऊपर पहुंच चुकी है. देश चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के पथ पर आगे बढ़ रहा है. जिसका ज्वलंत उदहारण कोरोना काल में देश के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित कोरोना रोधी टीका है. जिसके चलते देश की इतनी बड़ी आबादी को टीका लगाया जा सका.

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर आईआईटी दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. वी रामगोपाल राव ने अपने विचार रखे. उन्होंने कहा अगर देश को आत्मनिर्भर बनना है तो देश के सभी वैज्ञानिक संस्थानों की विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्रों में प्राप्त उपलब्धियों को जमीनी स्तर तक पहुंचाना होगा. उन्होंने आईआईटी दिल्ली के द्वारा स्टार्टअप की सहायता के लिए चलाये जा रहे इन्क्यूबेशन सेंटर्स के बारे में भी बताया.

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वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शरद श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यक्रम में दो सत्रों में करीब सात विशेषज्ञों ने उद्यमिता विकास पर व्याख्यानों के द्वारा अपने-अपने विचार रखें. जिनमें आईआईटी कानपुर के डॉ. शांतनु भट्टाचार्य, आईआईटी, दिल्ली के डॉ. सुकुमार मिश्र, आईआईटी रूड़की के प्रो. रजत अग्रवाल, जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स, पुणे के डॉ. संजय सिंह, आईआईएससी बेंगलुरु की प्रो. रोहिणी गोडबोले, के एंड एस पार्टनर्स गुरुग्राम की डॉ. दीपा टिकू, आईआईटी खड़कपुर की प्रो. सुमन चक्रवर्ती एवं सीएसआईआर-सीडीआरआई लखनऊ की डॉ. रितु त्रिवेद्वी मुख्य वक्ता रहीं.

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