लखनऊः 15 दिसंबर को हुए अपहरण कांड का लखनऊ की क्राइम ब्रांच पुलिस ने खुलासा कर दिया है. पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. घटना में इस्तेमाल की हुई गाड़ी और हथियार भी बरामद हुआ है. कैसरबाग इलाके के रहने वाले शुएब का सूदखोरी के मामले में हसनगंज इलाके से अपहरण हुआ था. जिसके बाद उसकी हत्या कर सीतापुर नहर में फेंक दिया गया था. मृतक के अधिवक्ता भाई ने 15 दिसंबर को कैसरबाग कोतवाली में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
कैसरबाग इलाके में रहने वाले मोहम्मद शुएब के अपहरण कर हत्याकांड का खुलासा क्राइम ब्रांच पुलिस ने कर दिया है. क्राइम ब्रांच की टीम ने कैसरबाग पुलिस के साथ संयुक्त ऑपरेशन चलाया. जिसमें चार आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. पकड़े गए आरोपियों में घटना का मास्टरमाइंड नसीम अहमद उर्फ राजा और शोएब खान समेत मोहम्मद अकील और शादाब को गिरफ्तार किया है.
पकड़े गए आरोपियों ने ब्याज पर ली हुई रकम की अदायगी न हो पाने की वजह से हत्या की वारदात को अंजाम दिया था. पुलिस मृतक के शव को अभी तक बरामद नहीं कर पाई है, तो वहीं उसके शव की तलाश में पुलिस ने गोताखोरों को भी लगाया हुआ है. पुलिस टीम ने आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से मृतक की मोटरसाइकिल, शव को ठिकाने लगाने वाले टेंपो, मृतक की आरोपियों के पास से मिली अंगूठी, मृतक का पर्स और एक लोहे की रॉड जिस से सिर पर वार कर हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया था. उसको भी पुलिस ने बरामद किया हुआ है.
आमिर हमजा खान निवासी इस्लामिया कॉलेज खंदारी बाजार थाना कैसरबाग द्वारा बताया गया. उनके बड़े भाई मोहम्मद शुएब 14 दिसंबर को अपनी मोटर साईकिल लेकर निकले हुए थे. लेकिन देर रात तक उनका फोन बंद आने लगा और वह भी वापस नहीं लौटे हैं. इस बात की जानकारी लगते ही आमिर हमजा ने कैसरबाग कोतवाली में 15 दिसंबर को गुमशुदगी दर्ज कराई थी.
एडीसीपी क्राइम और डीसीपी पश्चिमी की सर्विलांस टीम द्वारा शुएब को तलाशने के लिए संपर्क किया जा रहा था. लेकिन किसी तरह की कोई सफलता न मिलने पर शुएब के अपहरण होने की बात पर पुलिस टीम ने मृतक के मित्रों के मोबाइल नंबर तथा उससे संबंधित मोबाइल नंबरों का विश्लेषण करना शुरू कर दिया. जिसके बाद ही पुलिस को यह जानकारी हुई कि मृतक का मोबाइल लोकेशन आखिरी बार हसनगंज खदरा के पास पाया गया है. पुलिस को पता चला कि मृतक शुएब हसनगंज में नसीम अहमद उर्फ राजा के घर अक्सर आया जाया करता था. जिसमें पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज भी खंगाला तो मोहम्मद शोएब को नसीम के यहां जाने की पुष्टि भी की.
डीसीपी सोमेन वर्मा का कहना है कि पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उन लोगों के द्वारा अपहरण हुए शुएब के सिर पर लोहे की रॉड मारकर हत्या की गई है. शुएब के शव को एक छोटा हाथी (टेंपो) में भरकर सीतापुर की इंदिरा नहर में फेंक कर ठिकाने लगाया गया है. हत्या के पीछे की वजह आरोपी नसीम ने बताया की उसने मृतक मोहम्मद शुएब से 20 लाख रुपये ब्याज पर लिया हुआ था. ब्याज की दर काफी अधिक होने के कारण ब्याज एवं मूलधन के रूप में उसे एक भारी रकम चुकानी पड़ती थी, जो उसकी क्षमता के बाहर थी. आरोपियों ने शुएब से ब्याज पर ली गई रकम को वापस करने के लिए ही उसी से ही ब्याज पर और पैसा लिया था, जिसकी वजह से वह मृतक शुएब के कर्ज में फंसता जा रहा था. इसी के साथ ही मृतक शुएब से खदरा निवासी शोएब खान उर्फ टोपी ने भी 9 लाख रुपया उधार लिया हुआ था, जिसकी ब्याज की दर बहुत ऊंची होने के कारण उसके द्वारा हर महीने अदा किए जाने वाली इस रकम का भुगतान नहीं कर पा रहा था. शोएब उर्फ टोपी द्वारा कर्ज की अदायगी के लिए मृतक से ही रुपया उधार लेकर उसको दिया जा रहा था. आरोपियों ने बताया कि जब उसके द्वारा कर्ज की रकम समय पर नहीं दी जाती थी तो मृतक शुएब द्वारा उसको बेइज्जत किया जाता था. इतना ही नहीं वह धमकी देता था कि उसका भाई अधिवक्ता है और उसको फर्जी मुकदमे में फंसा कर जेल भिजवा देगा. इन सभी बातों से परेशान होकर शुएब की हत्या की योजना बनाई गई थी.
आरोपियों ने बताया कि शुएब को अपने रास्ते से हटाने के लिए मोहम्मद अकील हसनगंज निवासी से संपर्क किया था. अकील को 50 हजार रुपये पर तय कर उसे अपनी योजना बताकर हत्या में शामिल होने के लिए राजी कर लिया गया था. आरोपियों द्वारा यह तय हुआ कि शुएब नियमित रूप से पैसा लेने के लिए हम लोगों के पास खदरा आएगा. अगली बार जब शुएब पैसा मांगने आएगा तो शोएब उर्फ टोपी उसको सूचित कर देगा. शोएब उर्फ टोपी अपने गोदाम पर अकील के साथ पहले ही मौजूद रहेगा, वहीं पर उसकी हत्या कर उसके शव को नहर में फेंकने को कहा गया था.
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नसीम उर्फ राजा ने बताया कि 14 दिसंबर को जब दोपहर में शुएब उसके पास पैसा लेने के लिए आया था तो वह लोग बैठकर कोल्डिंग पिए थे. उसके बाद शुएब ने पूछा कि यह शोएब टोपी कहां है? तब उसके द्वारा बनाई गई योजना के आधार पर उसको गोदाम ले गया. जहां पर शोएब उर्फ टोपी से शुएब बातचीत कर रहा था, तभी पीछे से अकील ने लोहे की रॉड से उसके सिर पर वार कर मौत की नींद सुला दी. शुएब के शव को प्लास्टिक के थैले में अच्छे से लपेट दिया गया. जिससे रास्ते में किसी को कोई शक न हो. इसके बाद शोएब उर्फ टोपी में पूर्व परिचित शादाब सीतापुर निवासी से संपर्क कर उसे उसे गोदाम पर बुलाया था. शादाब, शोएब उर्फ टोपी के यहां पहले से माल ढोने का काम करता था. उसके पास किराए की गाड़ी है, शादाब को 5,000 रुपया देकर उसकी गाड़ी का इस्तेमाल कर सीतापुर नहर में ले जाकर शुएब के शव को ठिकाने लगा दिया गया.