प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शारीरिक क्षति और पोस्टमार्टम रिपोर्ट को कंप्यूटरीकृत टाइप करने के राज्य सरकार के आश्वासन का पालन न करने को गंभीरता से लिया है और अपर मुख्य सचिव गृह, डीजीपी, डायरेक्टर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है कि वसीम केस में सरकार ने 14 बार आश्वासन दिया कि रिपोर्ट कंप्यूटर से टाइप होगी लेकिन उसका पालन क्यों नहीं किया जा रहा है.
यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने रेप के एक मामले में दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका में कहा गया कि पीड़िता से रेप के आरोप की मेडिकल रिपोर्ट से समर्थन नहीं हुआ है. कोर्ट ने रिपोर्ट देखी तो वह डॉक्टर की राइटिंग में थी और पठनीय नहीं थी. कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता से पढ़ने को कहा तो वह भी पढ़ने में असमर्थ रहे. कोर्ट ने कहा कि वसीम केस की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया था कि मेडिकल रिपोर्ट व पोस्टमार्टम रिपोर्ट कंप्यूटर से टाइप कराई जाएगी लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है.
मेरठ के मदरसों में छात्रवृत्ति वितरण में गबन के आरोपी अध्यापक जमानत मंजूर
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के छात्रवृत्ति वितरण में 13 साल पहले हुए 41 लाख रुपये के गबन के आरोपी दीन मोहम्मद की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है .यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी और सरकारी वकील को सुनकर दिया है. मेरठ जिले में वर्ष 2010-11 में सरकार द्वारा मदरसों के प्रबंधकों के खाते में छात्रवृत्ति के वितरण में अनियमिता पाए जाने के कारण तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम और कार्यालय के लिपिक संजय त्यागी समेत कई मदरसा संचालकों व अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित अन्य धाराओं में 98 मुकदमे दर्ज किए गए थे.
याची पर आरोप है कि गुडविन हर्रा व चार अन्य मदरसों में बच्चों को 41 लाख नगद छात्रवृति का वितरण दिखाकर धनराशि का गबन कर लिया है. कहा गया कि याची का नाम एफआईआर में नहीं है. मुखबिर की सूचना पर उसके खिलाफ चार्जशीट लगाई गई है. जबकि पूर्व में विवेचना अधिकारी ने भ्रष्टाचार का कोई भी अपराध न पाए जाने पर अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी. पुनः आर्थिक अपराध संगठन ने जांच की. अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मदरसा के प्रिंसिपल उम्मीद अली और अन्य तीन अभियुक्त संजय त्यागी, नौशाद अली व नजमा परवीन की जमानत मंजूर हो चुकी है, याची ने कोई अपराध नहीं किया है. उसे झूठा फंसाया गया है. वह लगभग दो साल से जेल में है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद पर याची की जमानत शर्तों के साथ मंजूर कर ली.
पूर्व सपा विधायक इरफान सोलंकी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई जारी
प्रयागराज: पूर्व सपा विधायक इरफान सोलंकी की सजा के खिलाफ अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. गुरुवार को प्रदेश सरकार की ओर से बहस की गई. सरकार ने कहा कि कानपुर के डिफेंस कालोनी में हुए चर्चित अग्निकांड में नजीर फातिमा की झोपडी में आग पेट्रोल और केरोसीन से लगाई गई थी. आगजनी के वक्त सपा के तत्कालीन विधायक इरफान सोलंकी, उनके भाई रिजवान समेत अन्य दोषी मौके पर मौजूद थे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह प्रथम की पीठ अपील के साथ दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है. बुधवार को इरफान के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता जी एस चतुर्वेदी, इमरान उल्ला और उपेंद्र उपाध्याय ने अपनी बहस पूरी की. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के वकील के एम नटराजन, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड और जेके उपाध्याय ने सरकार का पक्ष रखना शुरू किया है.
उन्होंने दलील दी कि फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट के मुताबिक नजीर की झोपडी में पेट्रोल या केरोसीन से आग लगाई गई थी. इस तथ्य के दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध है जो दर्शाते है कि इरफान सोलंकी अपने भाई रिजवान और अन्य साथियों के साथ घटना स्थल पर मौजूद थे. उन्होंने ही आग लगाई है. सरकार की ओर से बहस शुक्रवार को भी जारी रहेगी.
यह घटना 8 नवंबर 2022 की है. सपा विधायक इरफान सोलंकी, उसके भाई रिजवान, इजरायल आटेवाला, मो. शरीफ, शौकत अली, अनूप यादव, महबूब आलम, शमशुद्दीन उर्फ चच्चा, एजाजुद्दीन उर्फ सबलू, मो. एजाज, मुरसलीन भोलू, शकील चिकना के खिलाफ नजीर फातिमा ने अपनी झोपडी में आग लगाई थी. इसका मुकदमा जाजमऊ थाने में दर्ज कराया गया था. इसके बाद इरफान सोलंकी उनके भाई रिजवान, इजरायल आटेवाला, मो. शरीफ व शौकत अली को सात साल की सजा सुनाई गई है.
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