लखनऊ विश्वविद्यालय ने जनवरी 2020 से पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया की शुरुआत की थी ,लेकिन पूरा साल बीतने को है और अभी तक पीएचडी की प्रवेश प्रक्रिया संपन्न नहीं हो पाई है. पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में सबसे ज्यादा खामियाजा जेआरएफ अभ्यर्थियों को उठाना पड़ रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय में काफी खींचतान के बाद 15 फरवरी से 492 सीटों पर पीएचडी के आवेदन फार्म मांगे गए थे.
फरवरी में इसकी अंतिम तारीख थी. इसके बाद मार्च में प्रवेश परीक्षा का कार्यक्रम रखा गया. कोरोना संक्रमण की वजह से प्रवेश परीक्षा बीच में स्थगित करनी पड़ी. सितंबर में प्रवेश परीक्षा हुई पर अभी तक कटऑफ जारी करके दाखिला देने की प्रक्रिया लखनऊ विश्वविद्यालय ने शुरू नहीं की है. यूजीसी के निर्देश के अनुसार जेआरएफ अभ्यर्थियों को 2 साल के भीतर पीएचडी के लिए इनरोल होना होता है. ऐसा ना होने पर उन्हें फ़ेलोशिप नहीं मिलती है. वहीं बात करें तो काफी अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिनको दो साल जेआरएफ की परीक्षा पास किए हो गया है.
लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा ना होने की वजह से उनकी फ़ेलोशिप पर खतरा मंडरा रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय में अभी इस सत्र के आवेदन की प्रक्रिया शुरू तक नहीं हुई है. इससे इस साल दाखिला न पाने वाले और नए व्यक्तियों को भी समस्या रहेगी.
वहीं इस पूरे मामले में लखनऊ विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी दुर्गेश श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया है, कि पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने में संक्रमण की वजह से थोड़ी देरी हुई है. प्रक्रिया पूरी होने को है. इसके बाद अगली प्रक्रिया होगी.
लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं, फेलोशिप पर खतरा
लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश परीक्षा की पूरी प्रक्रिया अभी तक संपन्न नहीं हो पाई है. विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा ना होने की वजह से छात्रों की फेलोशिप पर खतरा मंडरा रहा है.
लखनऊ विश्वविद्यालय ने जनवरी 2020 से पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया की शुरुआत की थी ,लेकिन पूरा साल बीतने को है और अभी तक पीएचडी की प्रवेश प्रक्रिया संपन्न नहीं हो पाई है. पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में सबसे ज्यादा खामियाजा जेआरएफ अभ्यर्थियों को उठाना पड़ रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय में काफी खींचतान के बाद 15 फरवरी से 492 सीटों पर पीएचडी के आवेदन फार्म मांगे गए थे.
फरवरी में इसकी अंतिम तारीख थी. इसके बाद मार्च में प्रवेश परीक्षा का कार्यक्रम रखा गया. कोरोना संक्रमण की वजह से प्रवेश परीक्षा बीच में स्थगित करनी पड़ी. सितंबर में प्रवेश परीक्षा हुई पर अभी तक कटऑफ जारी करके दाखिला देने की प्रक्रिया लखनऊ विश्वविद्यालय ने शुरू नहीं की है. यूजीसी के निर्देश के अनुसार जेआरएफ अभ्यर्थियों को 2 साल के भीतर पीएचडी के लिए इनरोल होना होता है. ऐसा ना होने पर उन्हें फ़ेलोशिप नहीं मिलती है. वहीं बात करें तो काफी अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिनको दो साल जेआरएफ की परीक्षा पास किए हो गया है.
लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा ना होने की वजह से उनकी फ़ेलोशिप पर खतरा मंडरा रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय में अभी इस सत्र के आवेदन की प्रक्रिया शुरू तक नहीं हुई है. इससे इस साल दाखिला न पाने वाले और नए व्यक्तियों को भी समस्या रहेगी.
वहीं इस पूरे मामले में लखनऊ विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी दुर्गेश श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया है, कि पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने में संक्रमण की वजह से थोड़ी देरी हुई है. प्रक्रिया पूरी होने को है. इसके बाद अगली प्रक्रिया होगी.