नई दिल्ली: दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर को बेहतर बनाने के लिए NCRTC ने वेंडर के साथ बैठक की है. देश के पहले दिल्ली मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए सोमवार को NCRTC ने इंडिया हेबिटेट सेंटर में वेंडर के साथ मीटिंग की है.
45 कंम्पनियों को बुलाया गया
इस मीटिंग में करीब 45 ऐसी कम्पनियों को बुलाया गया जो इस कॉरिडोर को बनाने में योगदान निभा रहीं हैं. NCRTC के अधिकारियों ने बताया कि इस मीटिंग का उद्देश्य सभी वेंडर की कार्य क्षमता को परखना था, जिससे कि आने वाले समय में कॉरिडोर को बेहतर और मजबूत बनाया जा सके.
NCRTC के एमडी विनय कुमार सिंह ने कहा कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सरकार आरआरटीएस जैसी परियोजनाएं को लागू करना चाहती है. जिसके लिए ये कॉरिडोर बनना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस कॉरिडोर को बनाने की जिम्मेदारी NCRTC को दी गई है, जो बेहद बड़ी है. इसलिए जरूरी है कि समय पर वेंडर के साथ मीटिंग कर बेहतर वातावरण को सुविधाजनक बनाने के लिए सभी के आत्मविश्वास को देखा जाए और उसे परखा भी जाए. सिंह ने आगे कहा कि कॉरिडोर की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं इसलिए NCRTC सभी की राय पर ही आगे बढ़ रही है.
सिविल, आर्किटेक्चर सहित तमाम योजनाओं पर हुई बात
इस मीटिंग में कॉरिडोर के सिविल, आर्किटेक्टर को लेकर बातचीत की गई. जिसमें आगामी दिनों में इस योजना को बेहतर तरीके से सफल बनाया जा सकेगा. इस दौरान सभी वेंडर ने अपनी प्लानिंग को भी NCRTC के समक्ष रखा. जिसके बाद कॉरिडोर में काम करने वाले सभी उधमियों की कार्यक्षमता को भी परखा गया.
ये कम्पनियां हुईं शामिल
इस बैठक में इरकॉन, एचसीसी, एबीबी इंडिया लिमिटेड, एएफसीओएनएस, सीमेंस लिमिटेड, सिम्प्लेक्स इंडिया, एलएंडटी, टाटा प्रोजेक्ट्स सहित 45 से अधिक सिविल, इलेक्ट्रिकल और आर्किटेक्चर फर्मों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस कॉरिडोर के 2023 तक चालू होने की उम्मीद है, जबकि आम जनता इस कॉरिडोर का लाभ मार्च 2025 से ले सकेगी.