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भोपाल की नवाब सुल्तान जहां बेगम, जो AMU की आजीवन रहीं कुलाधिपति - अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

भोपाल की महिला शासक नवाब सुल्तान ने 19वीं सदी की शुरुआत में भोपाल रियासत पर राज करते हुए ना सिर्फ महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया बल्कि महिलाओं में हुनर आए, इस पर भी जोर दिया. उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में सर सैयद अहमद खान की विशेष मदद की और उसका नतीजा ये हुआ कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना पर उन्हें संस्थापक कुलाधिपति बनाया गया.

नवाब सुल्तान जहां बेगम
नवाब सुल्तान जहां बेगम
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Published : Dec 22, 2020, 2:02 PM IST

भोपाल: यह जानकर शायद आपको विश्वास नहीं होगा कि किसी मुस्लिम रियासत की महिला शासक ने 19वीं सदी की शुरुआत में ही महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया और नई तकनीक के साथ-साथ सामाजिक जीवन में सौहार्द लाने के लिए कई तरह के समाज सुधार किए. जी हां हम बात कर रहे हैं भोपाल की महिला शासक नवाब सुल्तान जहां बेगम की. जिन्होंने 19वीं सदी की शुरुआत में भोपाल रियासत पर राज करते हुए ना सिर्फ महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया. बल्कि महिलाओं में हुनर आए, इस पर भी जोर दिया. खास बात यह है कि सिर्फ फारसी भाषा की जानकार होने के बावजूद उन्होंने करीब 26 किताबें लिखीं, जिसमें उन्होंने पारिवारिक रिश्तों के अलावा आपसी संबंधों पर काफी कुछ लिखा. यहां तक कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में सर सैयद अहमद खान की विशेष मदद की और उसका नतीजा ये हुआ कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना पर उन्हें संस्थापक कुलाधिपति बनाया गया और आजीवन वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति रहीं. भोपाल रियासत की शासक को सुल्तान जहां बेगम को एक समाज सुधारक और महिलाओं को आगे बढ़ाने वाली शासक के रूप में देखा जाता है.

नवाब सुल्तान जहां बेगम ने 19वीं सदी की शुरूआत में जगाई महिला शिक्षा की अलख.

कौन थी सुल्तान जहां बेगम और कब तक किया भोपाल पर राज

19 वीं शताब्दी की शुरुआत से अप्रैल 1926 तक भोपाल रियासत की बेगम नवाब रही सुल्तान जहां बेगम का जन्म 9 जुलाई 1858 में हुआ था. उन्होंने 16 जून 1901 से लेकर 20 अप्रैल 1926 तक भोपाल रियासत पर राज किया. उन्हें भोपाल की समाज सुधारक और प्रगतिशील नवाब बेगम के रूप में जाना जाता है. करीब 25 साल के शासनकाल में उन्होंने जहां महिला शिक्षा पर जोर दिया. तो महिलाओं को हुनरमंद बनाने के लिए कई तरह के आयोजन और प्रतियोगिताएं की. इसके अलावा भोपाल में कई तरह के प्रयोग कर भोपाल को समृद्ध बनाने की कोशिश की. खुद ज्यादा पढ़ी लिखी ना होने के बावजूद उन्होंने महिला शिक्षा के महत्व को समझा और भोपाल में कई स्कूल खोले और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में विशेष योगदान दिया. महिला शिक्षा के साथ-साथ सिलाई कढ़ाई जैसे हुनर भी सिखाए.

इतिहासकार नवाब सुल्तान जहां बेगम को एक समाज सुधारक और शिक्षाविद के रूप में याद करते हैं. खासकर मुस्लिम रियासत भोपाल में 19वीं सदी की शुरुआत में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों का निर्माण करने के अलावा महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई जैसे हुनर सीखने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ उन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदर्शनी और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया.

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नवाब सुल्तान जहां बेगम

ज्यादा पढ़ी-लिखी ना होने के बावजूद फारसी भाषा में लिखी करीब 26 किताबें

सुल्तान जहां बेगम के लिए पढ़ाई के नाम पर सिर्फ फारसी भाषा का ज्ञान था, उन्होंने अपने जीवन काल में करीब 26 किताबें लिखी महिलाओं से जुड़े मुद्दे पारिवारिक संबंध और परिवार के अंदर आपसी संबंधों को लेकर उन्होंने कई ऐसी किताबें लिखी जो समाज और परिवार के लिए नजीर बनी.

मुस्लिम गैर मुस्लिम का भेद छोड़कर सब को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया

अपने 26 साल के शासनकाल में उन्होंने पढ़ाई और खासकर महिला शिक्षा पर विशेष जोर दिया. नई तकनीक और प्रजा को हुनर सिखाने पर उन्होंने विशेष ध्यान दिया. एक मुस्लिम शासिका होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी प्रजा में भेदभाव नहीं किया. इतिहासकार और लेखक डॉ इफ्तिखार बताते हैं कि नवाब सुल्तान जहां बेगम 1926 तक शासक रही. फिर उन्होंने अपने बेटे के लिए भोपाल की सत्ता सौंप दी. वह बहुत बड़ी सुधारक और शिक्षाविद थी. उन्होंने भोपाल में महिला शिक्षा पर जोर दिया अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में बहुत योगदान दिया. खास तौर से नई तकनीक और पढ़ाई पर जोर दिया. वह मजहब के आधार पर भेद नहीं करती थी. हर जगह सबकी मदद करती थी. चाहे वह मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम हो. वह चाहती थी कि उनकी प्रजा खुश रहे और पढ़ लिख कर आगे बढ़े.

ऐसे बनी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की आजीवन कुलाधिपति

डॉक्टर इफ्तिखार बताते हैं कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उन्होंने जहां गर्ल्स हॉस्टल का निर्माण करवाया. वहीं उन्होंने यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए विशेष योगदान दिया. उन्हें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का संस्थापक कुलाधिपति बनाया गया और जब तक वह जिंदा रही, तब तक वह वहां की चांसलर रही. इतिहास में ऐसी कोई भी यूनिवर्सिटी की चर्चा सुनने नहीं मिलती है कि कोई महिला कुलाधिपति रही हो. उन्होंने महिला शिक्षा पर विशेष जोर दिया और भोपाल में सुलेमानिया, उबेदिया और मॉडल स्कूल बनवाया. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, बच्चों की परवरिश, पारिवारिक संबंध कैसे हों, औरत और मर्द की आपसी संबंध कैसे हों ऐसे संवेदनशील विषयों पर कई किताबें लिखीं. भोपाल में पुलिस सिस्टम की शुरूआत और जनसंख्या की शुरुआत उन्हीं के कार्यकाल में हुई. इसके अलावा डाक व्यवस्था के साथ-साथ बिजली व्यवस्था की शुरुआत भी उन्हीं के कार्यकाल में हुई.

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नवाब सुल्तान जहां बेगम

अपने बेटे को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पढ़ने भेजा लेकिन सामान्य छात्र के व्यवहार की हिदायत के साथ

भोपाल के आखिरी नवाब नवाब हमीदुल्ला खान की शिक्षा दीक्षा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुई थी. यूनिवर्सिटी की स्थापना में योगदान देने के लिए सर सैयद अहमद खान ने हमीदुल्ला खान के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने का प्रस्ताव और नवाब बेगम सुल्तान जहां के सामने रखा था. उन्होंने प्रस्ताव को स्वीकार किया, लेकिन शर्त यह रखी कि हमीदुल्ला खान एक सामान्य छात्र की तरह रहेंगे. हमीदुल्ला खान ने भी अपनी मां की मर्जी का सम्मान रखा और एक होनहार छात्र के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जाने गए.

भोपाल: यह जानकर शायद आपको विश्वास नहीं होगा कि किसी मुस्लिम रियासत की महिला शासक ने 19वीं सदी की शुरुआत में ही महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया और नई तकनीक के साथ-साथ सामाजिक जीवन में सौहार्द लाने के लिए कई तरह के समाज सुधार किए. जी हां हम बात कर रहे हैं भोपाल की महिला शासक नवाब सुल्तान जहां बेगम की. जिन्होंने 19वीं सदी की शुरुआत में भोपाल रियासत पर राज करते हुए ना सिर्फ महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया. बल्कि महिलाओं में हुनर आए, इस पर भी जोर दिया. खास बात यह है कि सिर्फ फारसी भाषा की जानकार होने के बावजूद उन्होंने करीब 26 किताबें लिखीं, जिसमें उन्होंने पारिवारिक रिश्तों के अलावा आपसी संबंधों पर काफी कुछ लिखा. यहां तक कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में सर सैयद अहमद खान की विशेष मदद की और उसका नतीजा ये हुआ कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना पर उन्हें संस्थापक कुलाधिपति बनाया गया और आजीवन वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति रहीं. भोपाल रियासत की शासक को सुल्तान जहां बेगम को एक समाज सुधारक और महिलाओं को आगे बढ़ाने वाली शासक के रूप में देखा जाता है.

नवाब सुल्तान जहां बेगम ने 19वीं सदी की शुरूआत में जगाई महिला शिक्षा की अलख.

कौन थी सुल्तान जहां बेगम और कब तक किया भोपाल पर राज

19 वीं शताब्दी की शुरुआत से अप्रैल 1926 तक भोपाल रियासत की बेगम नवाब रही सुल्तान जहां बेगम का जन्म 9 जुलाई 1858 में हुआ था. उन्होंने 16 जून 1901 से लेकर 20 अप्रैल 1926 तक भोपाल रियासत पर राज किया. उन्हें भोपाल की समाज सुधारक और प्रगतिशील नवाब बेगम के रूप में जाना जाता है. करीब 25 साल के शासनकाल में उन्होंने जहां महिला शिक्षा पर जोर दिया. तो महिलाओं को हुनरमंद बनाने के लिए कई तरह के आयोजन और प्रतियोगिताएं की. इसके अलावा भोपाल में कई तरह के प्रयोग कर भोपाल को समृद्ध बनाने की कोशिश की. खुद ज्यादा पढ़ी लिखी ना होने के बावजूद उन्होंने महिला शिक्षा के महत्व को समझा और भोपाल में कई स्कूल खोले और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में विशेष योगदान दिया. महिला शिक्षा के साथ-साथ सिलाई कढ़ाई जैसे हुनर भी सिखाए.

इतिहासकार नवाब सुल्तान जहां बेगम को एक समाज सुधारक और शिक्षाविद के रूप में याद करते हैं. खासकर मुस्लिम रियासत भोपाल में 19वीं सदी की शुरुआत में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों का निर्माण करने के अलावा महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई जैसे हुनर सीखने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ उन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदर्शनी और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया.

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नवाब सुल्तान जहां बेगम

ज्यादा पढ़ी-लिखी ना होने के बावजूद फारसी भाषा में लिखी करीब 26 किताबें

सुल्तान जहां बेगम के लिए पढ़ाई के नाम पर सिर्फ फारसी भाषा का ज्ञान था, उन्होंने अपने जीवन काल में करीब 26 किताबें लिखी महिलाओं से जुड़े मुद्दे पारिवारिक संबंध और परिवार के अंदर आपसी संबंधों को लेकर उन्होंने कई ऐसी किताबें लिखी जो समाज और परिवार के लिए नजीर बनी.

मुस्लिम गैर मुस्लिम का भेद छोड़कर सब को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया

अपने 26 साल के शासनकाल में उन्होंने पढ़ाई और खासकर महिला शिक्षा पर विशेष जोर दिया. नई तकनीक और प्रजा को हुनर सिखाने पर उन्होंने विशेष ध्यान दिया. एक मुस्लिम शासिका होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी प्रजा में भेदभाव नहीं किया. इतिहासकार और लेखक डॉ इफ्तिखार बताते हैं कि नवाब सुल्तान जहां बेगम 1926 तक शासक रही. फिर उन्होंने अपने बेटे के लिए भोपाल की सत्ता सौंप दी. वह बहुत बड़ी सुधारक और शिक्षाविद थी. उन्होंने भोपाल में महिला शिक्षा पर जोर दिया अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में बहुत योगदान दिया. खास तौर से नई तकनीक और पढ़ाई पर जोर दिया. वह मजहब के आधार पर भेद नहीं करती थी. हर जगह सबकी मदद करती थी. चाहे वह मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम हो. वह चाहती थी कि उनकी प्रजा खुश रहे और पढ़ लिख कर आगे बढ़े.

ऐसे बनी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की आजीवन कुलाधिपति

डॉक्टर इफ्तिखार बताते हैं कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उन्होंने जहां गर्ल्स हॉस्टल का निर्माण करवाया. वहीं उन्होंने यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए विशेष योगदान दिया. उन्हें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का संस्थापक कुलाधिपति बनाया गया और जब तक वह जिंदा रही, तब तक वह वहां की चांसलर रही. इतिहास में ऐसी कोई भी यूनिवर्सिटी की चर्चा सुनने नहीं मिलती है कि कोई महिला कुलाधिपति रही हो. उन्होंने महिला शिक्षा पर विशेष जोर दिया और भोपाल में सुलेमानिया, उबेदिया और मॉडल स्कूल बनवाया. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, बच्चों की परवरिश, पारिवारिक संबंध कैसे हों, औरत और मर्द की आपसी संबंध कैसे हों ऐसे संवेदनशील विषयों पर कई किताबें लिखीं. भोपाल में पुलिस सिस्टम की शुरूआत और जनसंख्या की शुरुआत उन्हीं के कार्यकाल में हुई. इसके अलावा डाक व्यवस्था के साथ-साथ बिजली व्यवस्था की शुरुआत भी उन्हीं के कार्यकाल में हुई.

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नवाब सुल्तान जहां बेगम

अपने बेटे को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पढ़ने भेजा लेकिन सामान्य छात्र के व्यवहार की हिदायत के साथ

भोपाल के आखिरी नवाब नवाब हमीदुल्ला खान की शिक्षा दीक्षा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुई थी. यूनिवर्सिटी की स्थापना में योगदान देने के लिए सर सैयद अहमद खान ने हमीदुल्ला खान के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने का प्रस्ताव और नवाब बेगम सुल्तान जहां के सामने रखा था. उन्होंने प्रस्ताव को स्वीकार किया, लेकिन शर्त यह रखी कि हमीदुल्ला खान एक सामान्य छात्र की तरह रहेंगे. हमीदुल्ला खान ने भी अपनी मां की मर्जी का सम्मान रखा और एक होनहार छात्र के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जाने गए.

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