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मुस्लिम धर्मगुरुओं ने हाईकोर्ट के सुझाव का स्वागत किया, बोले- गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करे सरकार

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के सुझाव का मुस्लिम धर्म गुरुओं ने स्वागत किया है. इस्लामिक सेन्टर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली कहा कि मुगलिया शासन काल में भी गोकशी पर पाबंदी थी. केंद्र सरकार पर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने को लेकर कानून बनाए.

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली
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Published : Sep 2, 2021, 9:57 PM IST

Updated : Sep 2, 2021, 10:24 PM IST

लखनऊः इस्लामिक सेन्टर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सुझाव का स्वागत किया है. उन्होंने गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिये जाने की हिमायत की है. मौलाना ने कहा कि माननीय न्यायालय ने सही कहा है कि देश के मुस्लिम शासनकाल के दौर में भी गौकशी पर पाबंदी थी. मौलाना फरंगी महली ने कहा कि धार्मिक मेल मिलाप, आपसी भाई चारा, एकता और रवादारी हमारे देश की असल पहचान रही है.



लखनऊ ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि मुस्लिम शासनकाल में देश के दूसरे भाईयों धार्मिक अकीदे, इबादतगाहों, त्यौहारों, खानों और पहनावों पर कभी कोई पाबंदी नहीं लगायी. यही वजह है कि कई सौ सालों तक मुस्लिम शासन कालों के दौर में धार्मिक बुनियाद पर कभी कोई झगड़ा और दंगा नहीं हुआ. मुगलिया हुकूमत के संस्थापक बादशाह बाबर ने अपने बेटे हुमायूं को अच्छे शासनकाल के लिए जो हिदायत दी थीं उसमें विशेष तौर पर यह लिखा था कि हिन्दुओं के धार्मिक जज्बात का सम्मान करना और गौकशी न करना. इस हिदायत नामे पर हुमायूं के बाद तमाम मुगल बादशाहों ने अमल किया. औरंगजेब ने बनारस और कई शहरों की मंदिरों को जागीरें दीं.

पढ़ें- इलाहाबाद हाईकोर्ट का अधिवक्ता ने जताया आभार, बोले-गोरक्षा से बचेगी हिंदू संस्कृति

मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि गौकशी के सिलसिले में हमारे उलमा की अहम भूमिका रही है. तहरीक-ए-आजादी के जमाने में मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली ने महात्मा गांधी की मौजूदगी में निर्णय लिया था कि मुसलमान गौकशी नहीं करेंगें आज भी उलमा गौकशी को पसन्द नहीं करते हैं. वह देश के दूसरे भाइयों के जज्बातों का सम्मान करने की हिदायत देते हैं. वह सामाज में गंगा-जमुनी सभ्यता और साझी विरासत को बढ़ावा देते हैं. वह अपनी बातचीत से देश व कौम की तरक्की के लिए सरगरम हैं.



मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने कानून बनाने की मांग की

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तर्ज पर हाल ही में बनी संस्था मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने भी हाईकोर्ट के सुझाव का स्वागत किया. बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव मोइन अहमद ने कहा कि गौवध रोकने के लिये केंद्र सरकार कानून बनाए. आस्थाओं का सम्मान सभी धर्म के लोग करते हुए एक-दूसरे की आस्था को ठेस न पहुंचाए. मोइन अहमद ने कहा कि इस्लाम के सुन्नी समुदाय ने गौवध का हमेशा विरोध किया है. गाय हिन्दू भाइयों व भारतीयों की मजबूत सभ्यता और आस्था का प्रतीक है. इस्लाम धर्म सहिष्णुता सदभाव का प्रतीक है और वह गौवंश के वध को उचित नहीं मानता है. उन्होंने कहा कि इस्लाम ने कभी नहीं कहा कि गौमांस मुसलमानों का भोजन है।

लखनऊः इस्लामिक सेन्टर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सुझाव का स्वागत किया है. उन्होंने गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिये जाने की हिमायत की है. मौलाना ने कहा कि माननीय न्यायालय ने सही कहा है कि देश के मुस्लिम शासनकाल के दौर में भी गौकशी पर पाबंदी थी. मौलाना फरंगी महली ने कहा कि धार्मिक मेल मिलाप, आपसी भाई चारा, एकता और रवादारी हमारे देश की असल पहचान रही है.



लखनऊ ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि मुस्लिम शासनकाल में देश के दूसरे भाईयों धार्मिक अकीदे, इबादतगाहों, त्यौहारों, खानों और पहनावों पर कभी कोई पाबंदी नहीं लगायी. यही वजह है कि कई सौ सालों तक मुस्लिम शासन कालों के दौर में धार्मिक बुनियाद पर कभी कोई झगड़ा और दंगा नहीं हुआ. मुगलिया हुकूमत के संस्थापक बादशाह बाबर ने अपने बेटे हुमायूं को अच्छे शासनकाल के लिए जो हिदायत दी थीं उसमें विशेष तौर पर यह लिखा था कि हिन्दुओं के धार्मिक जज्बात का सम्मान करना और गौकशी न करना. इस हिदायत नामे पर हुमायूं के बाद तमाम मुगल बादशाहों ने अमल किया. औरंगजेब ने बनारस और कई शहरों की मंदिरों को जागीरें दीं.

पढ़ें- इलाहाबाद हाईकोर्ट का अधिवक्ता ने जताया आभार, बोले-गोरक्षा से बचेगी हिंदू संस्कृति

मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि गौकशी के सिलसिले में हमारे उलमा की अहम भूमिका रही है. तहरीक-ए-आजादी के जमाने में मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली ने महात्मा गांधी की मौजूदगी में निर्णय लिया था कि मुसलमान गौकशी नहीं करेंगें आज भी उलमा गौकशी को पसन्द नहीं करते हैं. वह देश के दूसरे भाइयों के जज्बातों का सम्मान करने की हिदायत देते हैं. वह सामाज में गंगा-जमुनी सभ्यता और साझी विरासत को बढ़ावा देते हैं. वह अपनी बातचीत से देश व कौम की तरक्की के लिए सरगरम हैं.



मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने कानून बनाने की मांग की

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तर्ज पर हाल ही में बनी संस्था मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने भी हाईकोर्ट के सुझाव का स्वागत किया. बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव मोइन अहमद ने कहा कि गौवध रोकने के लिये केंद्र सरकार कानून बनाए. आस्थाओं का सम्मान सभी धर्म के लोग करते हुए एक-दूसरे की आस्था को ठेस न पहुंचाए. मोइन अहमद ने कहा कि इस्लाम के सुन्नी समुदाय ने गौवध का हमेशा विरोध किया है. गाय हिन्दू भाइयों व भारतीयों की मजबूत सभ्यता और आस्था का प्रतीक है. इस्लाम धर्म सहिष्णुता सदभाव का प्रतीक है और वह गौवंश के वध को उचित नहीं मानता है. उन्होंने कहा कि इस्लाम ने कभी नहीं कहा कि गौमांस मुसलमानों का भोजन है।

Last Updated : Sep 2, 2021, 10:24 PM IST
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