लखनऊ: लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद की चुप्पी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा सियासी सवाल बन गई है. लोक निर्माण विभाग में तबादलों को लेकर बवंडर मचा हुआ है. कई अधिकारी और कर्मचारी निलंबित किए जा चुके हैं. इसमें सबसे बड़ा नाम विभागाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता का है. इसके अलावा दो अन्य इंजीनियर इन चीफ को भी निलंबित करके जांच का आगाज हो चुका है. इसके बावजूद इस पूरे मामले पर जितिन प्रसाद चुप हैं. वे दिल्ली जा चुके हैं. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में जितिन प्रसाद कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं.
लोक निर्माण विभाग में तबादला काल में हुए ट्रांसफर को लेकर अनेक सवाल उठे. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर कमेटी बनाकर जांच की गई. जांच रिपोर्ट 3 दिन पहले मुख्यमंत्री को सौंपी गई थी. इसके बाद में पीडब्ल्यूडी में सबसे पहले मंत्री के ओएसडी को दिल्ली भेजकर विजिलेंस जांच शुरू करा दी गई. मंगलवार रात विभागाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता के अलावा दो अन्य वरिष्ठ अभियंताओं और अन्य अधिकारियों को निलंबित करते हुए कुल 6 पर कार्रवाई हुई. लेकिन, इस पूरे मामले में सवाल उठ रहा है कि इन सारी अनियमितताओं को लेकर क्या जितिन प्रसाद को कोई जानकारी नहीं थी?
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जितिन प्रसाद विभाग में बतौर मंत्री क्या अपने अफसरों पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे थे या फिर खुद भी इस पूरे मामले में शामिल थे. उनके ओएसडी को हटाकर तो सरकार ने यह सीधा-सीधा संकेत दे ही दिया है. इसके अलावा सूत्रों का यह भी कहना है कि तबादलों पर पीडब्ल्यूडी के राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह को भी आपत्ति थी, उनका टकराव जितिन प्रसाद से था. सूत्रों का कहना है कि जितिन प्रसाद की चुप्पी बस यूं ही नहीं है. इसके बड़े निहितार्थ हैं. इसका नतीजा बहुत जल्द ही सामने आएगा. माना जा रहा है कि जितिन प्रसाद या फिर उनके जूनियर मयंकेश्वर शरण सिंह में से किसी एक पर बड़ी गाज गिर सकती है.
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