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फर्जी अभ्यर्थी बनकर परीक्षा देने के तीनों अभियुक्तों की जमानत अर्जी की खारिज

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Published : Feb 23, 2023, 10:24 PM IST

लखनऊ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Lucknow Prevention of Corruption Act) के विशेष न्यायाधीश ने फर्जी अभ्यर्थी बनकर परीक्षा देने के मामले में अभियुक्त की जमानत अर्जी खारिज कर दी है.

Lucknow Prevention of Corruption Act
Lucknow Prevention of Corruption Act

लखनऊ: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज लोकेश वरुण ने एससीसी जीडी (कांस्टेबल) की परीक्षा में दूसरे अभ्यर्थियों की जगह परीक्षा देने के आरोप में निरुद्ध अर्पित कुमार, सचिन कुमार व जतिन कुमार की जमानत अर्जी एक साथ खारिज कर दी है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अभियुक्तों के अपराध को गंभीर करार दिया है.


अभियोजन के मुताबिक एक फरवरी 2023 को एसटीएफ को सूचना मिली थी कि आवर लिटिल एंजेल्स होम में आयोजित एससीसी जीडी परीक्षा की प्रथम पाली में कुछ छात्र दूसरे अभ्यर्थियों की जगह परीक्षा में शामिल होने वाले हैं. गहनता से जांच करने पर एक छात्र सचिन कुमार की प्रवेश पत्र पर लगा फोटो भिन्न पाया गया. पूछताछ में बताया कि उसका नाम अर्पित कुमार है. वह फर्जी प्रवेश पत्र पर परीक्षा देने जा रहा था. जबकि सचिन बाहर मौजूद है. इसके बाद जतिन कुमार भी फर्जी प्रवेश पत्र के जरिए प्रशांत कुमार की जगह परीक्षा देते पकड़ा गया था. इस मामले की एफआईआर सेंट्रल एडमिन टीसीएस कंपनी के अजय कुमार ने थाना कृष्णा नगर में दर्ज कराई थी.



मनरेगा घोटाला मामले में समीक्षा अधिकारी को राहत नहीं
वगीं, सीबीआई के विशेष जज अनुरोध मिश्र ने मनरेगा की धनराशि में करोड़ों रुपये का घोटाला करने के मामले में वांछित ग्राम्य विकास उत्तर प्रदेश के तत्कालीन समीक्षा अधिकारी पुरुषोत्तम चौधरी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया मुल्जिम के अपराध को गंभीर करार दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यह आर्थिक अपराध का अत्यंत गंभीर मामला है. अभियुक्त के विरुद्ध आरोप पत्र भी दाखिल है. ऐसी परिस्थिति में अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर करने का कोई न्यायोचित व विधिक आधार नहीं है.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007-08 व 2008-09 के दौरान बलरामपुर में निजी आपूतिकर्ताओं व अधिकारियों की मिलीभगत से मनरेगा की राशि में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी व अनियमितताएं की गई. इस मामले के मुल्जिमों पर एक करोड़ 81 लाख 15 हजार 802 रुपए स्टेशनरी व अन्य मदों में मनमाना दरों पर केंद्रीयकृत खरीदारी करने का आरोप है. जिसकी वजह से सरकारी कोष को भारी आर्थिक क्षति हुई. 31 जनवरी 2014 को हाईकोर्ट के आदेश से सीबीआई ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु की थी.

यह भी पढ़ें-बीजेपी सांसद ने की गौतम अडानी की तारीफ, कहा- ऐसे उद्योगपतियों की देश को सख्त जरूरत

लखनऊ: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज लोकेश वरुण ने एससीसी जीडी (कांस्टेबल) की परीक्षा में दूसरे अभ्यर्थियों की जगह परीक्षा देने के आरोप में निरुद्ध अर्पित कुमार, सचिन कुमार व जतिन कुमार की जमानत अर्जी एक साथ खारिज कर दी है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अभियुक्तों के अपराध को गंभीर करार दिया है.


अभियोजन के मुताबिक एक फरवरी 2023 को एसटीएफ को सूचना मिली थी कि आवर लिटिल एंजेल्स होम में आयोजित एससीसी जीडी परीक्षा की प्रथम पाली में कुछ छात्र दूसरे अभ्यर्थियों की जगह परीक्षा में शामिल होने वाले हैं. गहनता से जांच करने पर एक छात्र सचिन कुमार की प्रवेश पत्र पर लगा फोटो भिन्न पाया गया. पूछताछ में बताया कि उसका नाम अर्पित कुमार है. वह फर्जी प्रवेश पत्र पर परीक्षा देने जा रहा था. जबकि सचिन बाहर मौजूद है. इसके बाद जतिन कुमार भी फर्जी प्रवेश पत्र के जरिए प्रशांत कुमार की जगह परीक्षा देते पकड़ा गया था. इस मामले की एफआईआर सेंट्रल एडमिन टीसीएस कंपनी के अजय कुमार ने थाना कृष्णा नगर में दर्ज कराई थी.



मनरेगा घोटाला मामले में समीक्षा अधिकारी को राहत नहीं
वगीं, सीबीआई के विशेष जज अनुरोध मिश्र ने मनरेगा की धनराशि में करोड़ों रुपये का घोटाला करने के मामले में वांछित ग्राम्य विकास उत्तर प्रदेश के तत्कालीन समीक्षा अधिकारी पुरुषोत्तम चौधरी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया मुल्जिम के अपराध को गंभीर करार दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यह आर्थिक अपराध का अत्यंत गंभीर मामला है. अभियुक्त के विरुद्ध आरोप पत्र भी दाखिल है. ऐसी परिस्थिति में अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर करने का कोई न्यायोचित व विधिक आधार नहीं है.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007-08 व 2008-09 के दौरान बलरामपुर में निजी आपूतिकर्ताओं व अधिकारियों की मिलीभगत से मनरेगा की राशि में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी व अनियमितताएं की गई. इस मामले के मुल्जिमों पर एक करोड़ 81 लाख 15 हजार 802 रुपए स्टेशनरी व अन्य मदों में मनमाना दरों पर केंद्रीयकृत खरीदारी करने का आरोप है. जिसकी वजह से सरकारी कोष को भारी आर्थिक क्षति हुई. 31 जनवरी 2014 को हाईकोर्ट के आदेश से सीबीआई ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु की थी.

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