लखनऊ: केजीएमयू के डॉक्टरों पर महंगी ब्रांडेड दवा लिखने पर अंकुश लगेगा. इसके लिए कुलपति ने जेनेरिक दवा लिखने का चिकित्सकों को आदेश दिए हैं. साथ ही संस्थान की फार्मेसी में भी दवा उपलब्धता कराने के निर्देश दिए हैं. वहीं, नीट सॉल्वर गैंग में शामिल एमबीबीएस छात्र को निलंबित कर दिया गया है.
केजीएमयू में बेडों की क्षमता 4500 है. यह 90 फीसदी तक फुल रहते हैं. वहीं ओपीडी में रोजाना 3 हजार से अधिक मरीज आ रहे हैं. यहां 450 संकाय सदस्य व करीब 1000 जूनियर डॉक्टर हैं. मरीजों को सस्ती दर पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिए परिसर में जन औषधि केंद्र, हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) के मेडिकल स्टोर खुले हैं. अमृत फार्मेसी भी है.
इसके बावजूद डॉक्टर मरीजों को बाजार की महंगी व ब्रांडेड दवाएं ही लिख रहे हैं. ऐसे में मरीज महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं. ऐसे में कुलपति डॉ. विपिन पूरी ने पहले एचआरएफ के मेडिकल स्टोर में दवाओं की संख्या बढ़ाने का फैसला किया. अब ब्रांडेड दवाएं लिखने पर रोक संबंधी आदेश सभी विभागों को जारी कर दिए गए हैं. इससे डॉक्टरों पर शिकंजा कस गया है.
सॉल्वर गैंग में शामिल छात्र को हॉस्टल से निकाला
राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट ) में फर्जीवाड़ा करने वाले सॉल्वर गिरोह के सदस्य ओसामा पर केजीएमयू प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की है. वाराणसी पुलिस ने सॉल्वर गैंग का भंडाफोड़ किया था. इसमें केजीएमयू एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्र ओसामा का नाम भी सामने आया. ओसामा साल्वर गैंग का सक्रिय सदस्य है. केजीएमयू कुलपति ने बताया कि वाराणसी से पत्र आया. उसके बाद मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई.
इसके बाद कुलपति डॉ. विनीत शर्मा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी. इसमें डीन मेडिकल डॉ. उमा सिंह, चीफ प्रॉक्टर डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव समेत अन्य सदस्य थे. कमेटी ने जांच के बाद आरोपी छात्र को निलंबित करने की संस्तुति की थी. उसे एमबीबीएस की वार्षिक परीक्षा से डिबार कर दिया गया है. हॉस्टल से भी निष्काषित कर दिया गया है. परिसर में आने पर भी पाबंदी लगा दी गई है.
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